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Tuesday, April 23, 2024

प्री-फ्रंटल कार्टेक्स

 25 की उम्र में जलती दिमाग में नई बत्ती, प्री-फ्रंटल ब्रेन होता एक्टिव

इंसानी शरीर की बनावट भी मैच्योरिटी पर असर डाल सकती है। मनोवैज्ञानिक दिमाग के प्री-फ्रंटल कार्टेक्स को परिपक्वता से जोड़कर देखते हैं। ब्रेन का यह हिस्सा पूरी तरह विकसित होने में सबसे लंबा समय लेता है और 22-23 साल की उम्र तक जाकर पूरी तरह विकसित हो पाता है।

प्री-फ्रंटल कार्टेक्स (PFC) हायर कॉग्निटिव स्किल के साथ डिसिजन मेकिंग, तर्कशीलता, समझदारी, इंपल्स कंट्रोल और स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार होता है। दिमाग के इस हिस्से से सोचना शुरू करने के बाद इंसान भावुक की जगह तर्कशील हो जाता है। भावनाओं मे बहकर फैसले नहीं लेता। कुछ भी करने से पहले अपनी इच्छा-अनिच्छा, फायदे-नुकसान का गणित लगा पाता है।

जैसाकि हम जानते हैं कि प्री-फ्रंटल कार्टेक्स देर से विकसित होता है, लेकिन बच्चा बुनियादी इंस्टिक्टिव ब्रेन यानी सेरेबेलम के साथ ही जन्म लेता है। दिमाग का ये हिस्सा उसके नेचुरल इंस्टिंक्ट जैसे भूख लगने पर खाना मांगना, चोट लगने पर रोना के लिए जिम्मेदार होता है। इन्हें सीखने की जरूरत नहीं होती।

लेकिन 20 से 25 साल की उम्र में विकसित होने वाले प्री-फ्रंटल कार्टेक्स में अपनी कोशिशों से सीखी गई चीजें स्टोर होती हैं। दिमाग का यही हिस्सा मैच्योरिटी के लिए जिम्मेदार होता है।

दैनिक भास्कर से साभार

लिंक : https://www.bhaskar.com/lifestyle/news/relationship-partner-mature-or-immature-signs-132913315.html

Saturday, April 20, 2024

टैग और टैगसेट (Tag and Tagset)

 किसी पाठ में आए हुए शब्दों के साथ उनके शब्दवर्ग (Parts of Speech-POS) या रूप-वाक्यीय सूचनाएँ  (Morpho-Syntactic Information) जोड़ना टैगिंग (Tagging) है। वह टूल या सॉफ्टवेयर जो टैगिंग करता है, टैगर (Tagger) कहलाता है।  

टैगिंग करने के लिए शब्दों के स्वरूप और प्रकार्य के अनुसार उनके अलग-अलग वर्ग/उपवर्ग बनाए जाते हैं। फिर प्रत्येक वर्ग के लिए एक चिह्न निर्मित किया जाता है। इसी चिह्न को टैग (Tag) कहते हैं, जैसे- जातिवाचक संज्ञा के लिए ‘NN’

टैगों के समुच्चय को टैगसेट (Tagset) कहते हैं।

टैगिंग के लिए एक टैगसेट का होना आवश्यक होता है। प्रत्येक भाषा में कुछ शब्दवर्ग समान होते हैं। अतः उनके टैग एक ही होने चाहिए। किंतु भाषा विशेष में पाए जाने वाले शब्दवर्गों के लिए स्वतंत्र टैग बनाए जा सकते हैं। विभिन्न कार्पस विकासकर्ताओं और प्राकृतिक भाषा संसाधन प्रणाली (NLP System) विकासकर्ताओं द्वारा भाँति-भाँति के टैगसेट विकसित किए जाते हैं। उनमें यह प्रयास रहता है कि यथासंभव एकरूपता बनी रहे।

इस लिंक पर जाकर और पढ़ें- 

टैगिंग और टैगसेट (Tagging and Tagset)

टैगिंग (Tagging) और टैगर (Tagger)

 किसी पाठ में आए हुए शब्दों के साथ उनके शब्दवर्ग (Parts of Speech-POS) या रूप-वाक्यीय सूचनाएँ  (Morpho-Syntactic Information) जोड़ना टैगिंग (Tagging) है। वह टूल या सॉफ्टवेयर जो टैगिंग करता है, टैगर (Tagger) कहलाता है।  

टैगिंग करने के लिए शब्दों के स्वरूप और प्रकार्य के अनुसार उनके अलग-अलग वर्ग/उपवर्ग बनाए जाते हैं। फिर प्रत्येक वर्ग के लिए एक चिह्न निर्मित किया जाता है। इसी चिह्न को टैग (Tag) कहते हैं, जैसे- जातिवाचक संज्ञा के लिए ‘NN’

टैगों के समुच्चय को टैगसेट (Tagset) कहते हैं।

टैगिंग के लिए एक टैगसेट का होना आवश्यक होता है। प्रत्येक भाषा में कुछ शब्दवर्ग समान होते हैं। अतः उनके टैग एक ही होने चाहिए। किंतु भाषा विशेष में पाए जाने वाले शब्दवर्गों के लिए स्वतंत्र टैग बनाए जा सकते हैं। विभिन्न कार्पस विकासकर्ताओं और प्राकृतिक भाषा संसाधन प्रणाली (NLP System) विकासकर्ताओं द्वारा भाँति-भाँति के टैगसेट विकसित किए जाते हैं। उनमें यह प्रयास रहता है कि यथासंभव एकरूपता बनी रहे।

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टैगिंग और टैगसेट (Tagging and Tagset)

संदर्भ युक्त टैगिंग (Context sensitive Tagging)

 टैगिंग दो प्रकार के होते हैं- संदर्भ मुक्त और संदर्भ युक्त। संदर्भ मुक्त टैगिंग(Context free Tagging) में किसी शब्द के एक से अधिक टैग होने की स्थिति में यह नहीं देखते हैं कि यहां पर उसका किस रूप में प्रयोग हुआ है, बल्कि दोनों ही टैग दे देते हैं।

दूसरी ओर संदर्भ युक्त टैगिंग(Context sensitive Tagging) में पहले उस वाक्य का संदर्भ समझते हैं और जिस संदर्भ में उस शब्द का प्रयोग हुआ रहता है, वही टैग प्रदान किया जाता है।

इसे नीचे दिए गए दो उदाहरणों से समझ सकते हैं-

उसे रोटी और दाल चाहिए।

उसे और दाल चाहिए।

इनमें से पहले वाक्य में और शब्द का प्रयोग ‘CC’ के रूप में हुआ है, तो दूसरे वाक्य में ‘JJ’ के रूप में। संदर्भ मुक्त टैगिंग (Context free Tagging) में दोनों ही वाक्यों में औरशब्द को ‘CC’ तथा ‘JJ’ दोनों टैग प्रदान किया जाएगा। किंतु संदर्भ युक्त टैगिंग (Context sensitive Tagging) पहले वाक्य में ‘CC’ टैग देंगे तो दूसरे वाक्य में ‘JJ’ टैग देंगे।

उक्त वाक्यों की संदर्भ मुक्त टैगिंग (Context free Tagging):

उसे<PR> रोटी<NN> और<CC> और<JJ> दाल<NN> चाहिए<VM>

 उसे<PR> और<CC> और<JJ> दाल<NN> चाहिए<VM>

उक्त वाक्यों की संदर्भ युक्त टैगिंग (Context sensitive Tagging):

उसे<PR> रोटी<NN> और<CC> दाल<NN> चाहिए<VM>

 उसे<PR> और<JJ> दाल<NN> चाहिए<VM>