फ्लोचार्ट (Flowchart)
फ्लोचार्ट किसी
प्रोग्राम के निर्माण के लिए दिए जाने वाले आदेशों का चरणबद्ध रूप से चित्रात्मक निरूपण
है। दूसरे शब्दों में यह एल्गोरिद्म की डायग्राम के रूप में प्रस्तुति है। इसमें आदेश, आदेशों का क्रम और उनकी
दिशा सभी को साफ-साफ देखा जा सकता है।
आरंभिक और छोटे-छोटे
प्रोग्रामों को व्यक्त करने के लिए तो अपनी भाषा में एल्गोरिद्म लेखन ठीक रहता है, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े
और जटिल प्रोग्राम की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे उनके एल्गोरिद्मों
को समझना कठिन होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए फ्लोचार्ट का विकास किया गया।
चित्रात्मक प्रस्तुति होने के कारण फ्लोचार्ट में कंट्रोल के प्रवाह को समझना सरल होता
है। मुख्यत: जब कई निर्णय लेने हों और लूप लगे हों तो फ्लोचार्ट उन्हें अत्यंत सरलता
से प्रदर्शित कर देते हैं। इसलिए कुछ प्रोग्रामर एल्गोरिद्म लिखने बजाए फ्लोचार्ट को
ज्यादा महत्व देते हैं। American Society of Mechanical Engineers (ASME) के Frank Gilbert द्वारा सर्वप्रथम 1921 में फ्लोचार्ट
पद्धति का प्रयोग किया गया। बाद में 1949 में Douglas Hartree ने Herman Goldstine और John von Neumann द्वारा फ्लोचार्ट के विकास किए जाने की विस्तृत व्याख्या की।
फ्लोचार्ट निर्माण
में अलग-अलग इकाइयों और प्रक्रियाओं को व्यक्त करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की आकृतियों
का प्रयोग किया जाता है। एक आकृति एक (या एक समान) कार्य को ही दर्शाती है। फ्लोचार्ट
निर्माण के लिए इन आकृतियों का ज्ञान होना आवश्यक है। एक सामान्य प्रोग्राम के फ्लोचार्ट
के निर्माण के लिए आवश्यक आधारभूत आकृतियाँ निम्नलिखित हैं -
संकेत (Symbols)
यह एक चौकोर आकृति
है जो दोनों तरफ गोल होती है। इस कारण इसे अंडाकार भी कहा जाता है। यह आकृति ‘आरंभ’ और ‘समाप्त’ चरणों को प्रदर्शित
करती है। किसी प्रोग्राम का फ्लोचार्ट बनाते समय ये दोनों शब्द इस आकृति में लिखे भी
जाते हैं। इसे अंग्रेजी में टर्मिनल/टर्मिनेटर भी कहा गया है।
यह एक चतुर्भुजाकार आकृति होती है। इसमें ‘इनपुट’ और ‘आउटपुट’ को प्रदर्शित करते हैं। इस कारण इसे डाटा ऑब्जेक्ट भी कहा गया है।
यह एक आयताकार आकृति
होती है। प्रक्रिया, कार्य अथवा संक्रिया (process, action or an operation) को प्रदर्शित करने के लिए इस आकृति का प्रयोग किया जाता है। अत: जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना आदि
गणितीय क्रियाओं के लिए यह आकृति प्रयुक्त होगी। भाषिक संसाधन की दृष्टि से जहाँ भी
कोई क्रियात्मक आदेश होगा, जैसे – ‘शब्द
में से ‘उपसर्ग/प्रत्यय’ निकालना’, तो इस आकृति का प्रयोग किया जाएगा।
यह हीरक आकार (Diamond shape) है जिसका प्रयोग निर्णय संबंधी कथनों के लिए किया
जाता है। ‘यदि’ (if) से जुड़े सभी कथनों को इस आकृति द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इस बॉक्स का
जहाँ भी प्रयोग होता है, वहाँ से दो फ्लो निकलते हैं – एक ‘हाँ’ (yes) के लिए, और दूसरा ‘नहीं’ (no) के लिए। इन्हें अंग्रेजी में ‘सत्य’ (true) और ‘असत्य’ (false) द्वारा भी प्रदर्शित किया जाता है।
5. प्रवाह रेखा (Flow Line -Arrow)
फ्लोचार्ट में कंट्रोल
के प्रवाह को दिखाने के लिए ‘तीर’ के निशान से युक्त रेखाओं का प्रयोग
किया जाता है। ये रेखाएँ चारों दिशाओं में होती हैं और प्रवाह की दिशा को दर्शाती हैं।
6.
योजक (Connectors)-
जब फ्लोचार्ट अधिक
लंबा हो जाता है तो उसे कई टुकड़ों में बनाना पड़ता है। इन टुकड़ों को जोड़ने के लिए योजकों
का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि फ्लोचार्ट दो पृष्ठों का हो गया तो पहचा
योजक पहले पृष्ठ पर और दूसरा योजक दूसरे पृष्ठ पर लगाया जाता है।
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