मानव भाषा और मशीनी भाषा (Human Language and Machine Language)
कंप्यूटर का अविष्कार मानव सभ्यता की
कुछ प्रमुख क्रांतिकारी घटनाओं में से एक है। इसके कारण मानव सभ्यता ने ‘डिजिटल युग’ (Digital Era) में प्रवेश किया है। कंप्यूटर की गणना करने और तर्क के आधार पर कार्य करने
की क्षमता असीम है। इसकी स्मृति (memory) और गति (speed)
को बढ़ाने की दिशा में निरंतर कार्य किया जा रहा है। आज डिजिटल
युक्तियाँ- मोबाइल, स्मार्टफोन, टैबलेट, कंप्यूटर, लैपटॉप आदि हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन
चुकी हैं, किंतु ये युक्तियाँ जिस भाषा में कार्य करती हैं, वह हमारी भाषा से बिल्कुल अलग है। उसे ‘मशीनी भाषा’ नाम दिया गया है, जबकि मनुष्य जिस भाषा का प्रयोग
करता है उसे ‘मानव भाषा’ कहते हैं। इन
दोनों को संक्षेप में इस प्रकार से समझ सकते हैं-
मानव भाषा (Human Language)
मानव भाषा ध्वनि संकेतों की वह
व्यवस्था है, जिसका प्रयोग मनुष्य विचार करने और विचारों
का आपस में संप्रेषण करने में करता है। भाषावैज्ञानिकों द्वारा इसे परिभाषित करते
हुए कहा गया है-
“भाषा यादृच्छिक ध्वनि-प्रतीकों की
वह व्यवस्था है,
जिसके माध्यम से मनुष्य विचार करता है तथा अपने भाषायी समाज
में विचारों का आदान-प्रदान करता है।”
अतः मानव भाषा ध्वनि-प्रतीकों की व्यवस्था
है। ध्वनि-प्रतीक उच्चार के लघुतम खंड होते हैं, जिनका
अपना कोई अर्थ नहीं होता। भाषा विविध स्तरों पर इन निरर्थक ध्वनि-प्रतीकों को इस प्रकार
से जोड़ती है, कि उनके माध्यम से अर्थ और विचार का संप्रेषण
किया जाता है।
संप्रेषण के लिए एक बार में कम-से-कम जिस
ध्वनि-गुच्छ का प्रयोग किया जाता है, उसे ‘वाक्य’
कहते हैं। ध्वनियों का समूहन 'वाक्य'
के रूप में करने के लिए मानव मस्तिष्क को उनका संचयन और
व्यवस्थापन कई क्रमशः बड़े स्तरों पर किया जाता है, जिन्हें भाषाविज्ञान में भाषा के स्तर कहा जाता है, ये निम्नलिखित हैं-
स्वनिम
रूपिम
शब्द/पद
पदबंध
उपवाक्य
वाक्य
प्रोक्ति
इन सभी इकाइयों और उन्हें गठित करने
वाले नियमों को संरचना की दृष्टि से चित्र रूप में इस प्रकार से देखा जा सकता है-
...
इस प्रकार स्पष्ट है कि मानव भाषा एक
बहुस्तरीय व्यवस्था है, जिसमें ध्वनि-प्रतीक अलग-अलग स्तरों पर जुड़ते
हैं और अपने से बड़ी इकाइयों का गठन करते हैं। इनकी प्रक्रिया अत्यंत जटिल होती है।
उदाहरण के लिए शब्द और पदबंध की दृष्टि से देखा जाए तो कभी एक ही शब्द एक पदबंध का
कार्य करता है तो कभी एक से अधिक शब्द मिलकर एक पदबंध का कार्य करते हैं, जैसे-
लड़का आम खाएगा।
बड़ा लड़का मीठे आम खाता है।
बहुत बड़ा लड़का सबसे मीठे आम खा रहा है।
इन तीनों वाक्यों में 03-03 पदबंध ही
हैं, जबकि शब्द संख्या क्रमशः 03, 06, 09 है। इसी प्रकार की अनेक जटिलताएँ मानव भाषाओं
में प्राप्त होती हैं। उनमें से कुछ जटिलताओं को भाषा प्रौद्योगिकी विदों द्वारा निम्नलिखित
वर्गों में रखा गया है-
संदिग्धार्थकता
बहुअर्थकता
नामपद अभिज्ञान
प्रोक्ति संदर्भ
संवेदना विश्लेषण आदि।
मशीनी भाषा (Machine Language)
कंप्यूटर या मशीन विद्युत के ‘ऑन और ऑफ’ द्वारा संचालित होती है, जिसे हम अपनी सुविधा के लिए ‘1’ और ‘0’ से प्रदर्शित करते हैं और इनके संयोजनों (combinations) से निर्मित भाषा को ‘द्विआधारी भाषा’ (बाइनरी भाषा) कहते हैं। मशीन केवल इसी भाषा में दिए गए निर्देशों को
समझने और संसाधित करने में सक्षम होती है। इस भाषा में आदेश देने के लिए संयोजित
कोड इस प्रकार दिखाई देते हैं- 00100101, 10101110 आदि। शून्य और एक के ये दो संयोजन हैं, जिनके
माध्यम से मशीन को दो बातें बताई जा सकती हैं। एक पूरे कंप्यूटर को संचालित करने
के लिए ऐसे हजारों-लाखों कोड दिए जाते हैं। इन कोडों के माध्यम से निर्मित होने वाली
भाषा ही मशीनी भाषा है। एक मशीनी भाषा में लिखा हुआ पाठ इस प्रकार दिखाई देगा-
मानव भाषाओं के सापेक्ष मशीनी भाषा को
देखा जाए तो इनमें एक स्तरीय व्यवस्था होती है। अर्थात मशीन में दिए जाने वाले कोड
‘शून्य’ और ‘एक’ के संयोजन से एक प्रतीक का निर्माण करते हैं। उन
कोडों को ही विभिन्न लाजिकल गेटों से गुजारा जाता है और निर्देश दिए जाते हैं।
मशीनी भाषा में मानव भाषाओं की तरह जटिलताएँ नहीं पाई जातींं।
मानव भाषा को प्राकृतिक भाषा (Natural Language- NL) और मशीनी भाषा को कृत्रिम भाषा (Artificila Language- AL) कहते
हैं।