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Monday, October 1, 2018

क्या घर के हर काम से छुटकारा दिला पाएगा रोबोट?

  • बी.बी.सी. विशेष

  • क्या घर के हर काम से छुटकारा दिला पाएगा रोबोट?

  • 8 अगस्त 2018

कपड़े धोने की समस्या से छुटकाराइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

घरेलू काम-काज भला कौन करना चाहता है? अगर कोई ये कहे कि वो आपके कपड़े धोने-रखने में मदद करेगा, तो भला कौन मना करेगा?
ऐसे में अगर हम आप को बताएं कि कपड़े रखने वाले रोबोट बाज़ार में मौजूद हैं, तो आपको ख़ुशी ही होगी. कपड़े तह कर के रखने वाला सबसे पुराना रोबोट है जापान का लॉन्ड्रॉयड. हाल ही में कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में भी ऐसा ही रोबोट तैयार किया गया है.
मगर, आप को हम पहले ही आगाह कर दें, कि इस ख़बर पर इतना उत्साहित होने की ज़रूरत नहीं. यूं तो रोबोट काम को अच्छे से करने के लिए जाने जाते हैं, लेकिन घर के छोटे-मोटे कामों को करने में उन्हें बहुत टाइम लगता है.
जैसे कि लॉन्ड्रॉयड को एक कपड़ा तह कर के रखने में 4 मिनट लगते हैं. वहीं अमरीका में बना रीथिंक ये काम 15 मिनट में कर पाता है.

रोबोटइमेज कॉपीरइटBERKELEY AI RESEARCH LAB
Image captionअमरीका में बना रीथिंक कपड़े को तह करने में 15 मिनट लेता है

साफ़ है, कि घर के काम करने वाले रोबोट आ तो रहे हैं, मगर अभी उन्हें लंबा सफ़र तय करना है. वैसे घर का काम-काज इतने धीमे करने वाले रोबोट तैयार करना भी आसान नहीं था. तकनीक ने इसके लिए भी लंबा सफ़र तय किया है.
वैज्ञानिकों ने दिखा दिया है कि वो कपड़े सहेज कर रखने वाले रोबोट तैयार कर सकते हैं. तो, हो सकता है कि वो जल्द ही घर के दूसरे काम निपटाने वाले रोबोट भी बना लें.
दिक्कत ये है कि घर में काम कर सकने वाला रोबोट तैयार करना बहुत बड़ी चुनौती है. घर में सिर्फ़ कपड़े तह कर के रखने का काम तो होता नहीं. बहुत से और भी काम होते हैं. इंसान के लिए जो काम बेहद मामूली होते हैं, रोबोट से वही काम कराने के लिए लंबी-चौड़ी प्रोग्रामिंग करनी पड़ती है.
हम घर में किसी की मदद करने को मामूली सा काम समझते हैं. मगर किसी रोबोट से वही काम कराना काफ़ी बड़ी चुनौती है.

रोबोटइमेज कॉपीरइटREUTERS

रोबोट का इस्तेमाल और चुनौतियां

लंदन के विक्टोरिया एंड अल्बर्ट म्यूज़ियम में इन दिनों रोबोट की प्रदर्शनी लगी है. इसका नाम है- द फ्यूचर स्टार्ट्स हेयर (The Future Starts Here). इसकी देख-भाल करने वाली मारियाना पेस्ताना कहती हैं कि रोबोट से घरेलू काम कराने के लिए इंसान को पहले ख़ुद को अच्छे से तकनीकी रूप से मज़बूत बनाना होगा.
तब भी अभी हम ऐसा ही रोबोट बना सके हैं, जो चुटकियों के काम को 15 मिनट में कर पाता है.
किसी भी आम घर में हालात अक्सर बदलते रहते हैं. घर में अगर बच्चे हैं, तो उन्हें रोबोट के काम करने का तरीक़ा तो पता नहीं होगा. ऐसे में वो रोबोट को ऐसे कमांड दे देंगे, जो वो समझ ही नहीं सकेगा.



बीबीसी आर्काइव : पचास साल पहले का रोबोट

आख़िर रफ़्तार धीमी क्यों?

एप्पल के सिरी या अमेज़न के इको के साथ ऐसा ही तो हो रहा है. कैलिफ़ोर्निया यूनिवर्सिटी में रोबोट बनाने में शामिल रहे सिद्धार्थ श्रीवास्तव कहते हैं कि घर में काम करने वाले रोबोट को फुर्तीला, आसानी से अपने अंदर बदलाव लाने वाला होना होगा, ताकि उससे आसानी से काम लिया जा सके.
सिद्धार्थ और उनकी टीम जब ये कपड़े रखने वाला रोबोट बना रहे थे, तो उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती इस बात की थी कि रोबोट आसानी से ये समझ जाए कि उसके मालिक इंसान क्या चाहते हैं. अब अगर वो किसी भी काम को करने के लिए बार-बार सवाल पूछेगा, तो आप तो झुंझला जाएंगे.
रोबोट कोई जन्मजात अक़्लमंद तो होते नहीं. उन्हें कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के ज़रिए तमाम हालात से निपटने के लिए तैयार किया जाता है. हमें तो रोबोट को सिर्फ़ ये कहना है कि कपड़े धोकर रख दो. उसे इस काम को पूरा करने के लिए कपड़े को जगह से उठाने की जानकारी, फिर उसे धोने के लिए डालने की जानकारी, सुखाने की जानकारी और फिर तह कर के सही जगह रखने की जानकारी होनी चाहिए.
इतनी प्रोग्रामिंग काफ़ी वक़्त लेती है. रोबोट ये सारे काम कैमरे और सेंसर की मदद से करेगा. ज़ाहिर है उसकी रफ़्तार फिलहाल तो बहुत धीमी है.

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रोबोटइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES

अमेज़न की एलेक्सा

और फिर घर में सिर्फ़ कपड़े धोने का काम तो होता नहीं. छोटे-मोटे बहुत से काम होते हैं. मसलन साफ़-सफ़ाई करना, सामान को ठीक जगह उठाकर रखना, सजावट करना, बच्चों की ज़िद पूरी करना. हर काम के लिए अलग प्रोग्रामिंग की ज़रूरत होगी.
सिद्धार्थ श्रीवास्तव कहते हैं कि किसी एक रोबोट को फिलहाल इतने सारे काम की प्रोग्रामिंग के साथ तैयार करना संभव नहीं. तो, आप सिर्फ़ कपड़े धोने के लिए तो रोबोट रखेंगे नहीं.
सिद्धार्थ श्रीवास्तव कहते हैं कि अभी इस काम के लिए बहुत सारे रिसर्च और गणित की ज़रूरत है. वो मानते हैं कि भविष्य में ऐसे रोबोट बन सकते हैं, जो घरेलू काम कर सकें. पर फिलहाल तो ये दूर की कौड़ी है.
अभी तो सारा ज़ोर ऐसे रोबोट तैयार करने पर है, जो एक काम को अच्छे से कर ले. जैसे ख़ुद से चलने वाली कार, रोबोटिक वैक्यूम क्लीनर और एलेक्सा जैसे डिजिटल असिस्टेंट, जो आप के बुनियादी सवालों के जवाब दे सकें.

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घर के काम में मददगार रोबोट के लिए पहली शर्त ये होगी कि उनसे आसानी से काम लिया जा सके. उन्हें इंसानों के बराबर अक़्लमंद होना होगा. आम इंसान के पास आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स की समझ नहीं होती. वो बस आसानी से काम कराना चाहेगा. सिस्टम के इंजीनियरों को ये बात ध्यान में रखनी होगी.
सिद्धार्थ श्रीवास्तव कहते हैं कि कारखानों से लेकर कार इंडस्ट्री तक, तमाम उद्योगों में रोबोट का इस्तेमाल हो रहा है. मगर वो सभी एक तयशुदा रोल निभाते हैं. घर के छोटे-मोटे काम समझकर तेज़ी से निपटाने के लिए हमें रोबोट की नए सिरे से प्रोग्रामिंग करनी होगी. ताकि वो आसानी से हमारी ज़रूरतें समझकर उन्हें पूरा कर सकें.
हालांकि एक बार अगर ये रोबोट विकसित कर लिए गए, तो हमारे बड़े मददगार हो सकते हैं. ये घायल लोगों की मदद कर सकेंगे. बीमार की तीमारदारी कर सकेंगे. ख़ास तरह का खाना बना सकेंगे.
पर, यहां तक पहुंचने के लिए रोबोट के इंजीनियरों को लंबा सफ़र तय करना होगा. मगर, भविष्य में ऐसा हो सकता है कि आप सोफ़े पर बैठकर बस फ़रमान जारी करें. सारा काम रोबोट करेगा.

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