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Wednesday, July 28, 2021

परीक्षण संबंधी सिद्धांत और अच्छे परीक्षण की विशेषताएँ

 भाषा शिक्षण में परीक्षण और मूल्यांकन संबंधी सिद्धांत

 भाषा शिक्षण में परीक्षण और मूल्यांकन के संबंध में निम्नलिखित सिद्धांतों की बात की गई है-

1.     परीक्षण पाठ्यक्रम तथा शिक्षार्थी के उद्देश्य के अनुरूप होना चाहिए ।

2.     परीक्षण विद्यार्थी की योग्यता की जांच तथा उसमें वृद्धि को केंद्र में रखकर किया जाना चाहिए इसका संबंध उत्तीर्ण या अनुत्तीर्ण से नहीं होना चाहिए ।

3.     परीक्षण यथासंभव लक्ष्यभाषा में किया जाना चाहिए, अर्थात परीक्षण उसी भाषा में होना चाहिए जिसे शिक्षार्थी सीख रहा होता है ।

4.     परीक्षण में एक बार में किसी एक कौशल के एक ही शिक्षण बिंदु पर फोकस किया जाना चाहिए। इससे विद्यार्थी को दुविधा नहीं होती और हम उस शिक्षण बिंदु विशेष की दृष्टि से विद्यार्थी की योग्यता का पता लगा पाते हैं ।

5.     परीक्षण के लिए विद्यार्थी को दिए जाने वाले निर्देश संक्षिप्त, स्पष्ट और तर्कपूर्ण होने चाहिए जिससे विद्यार्थी को परीक्षा के संबंध में किसी भी प्रकार की उलझन ना हो।

6.     परीक्षण की समयावधि विद्यार्थी के स्तर के अनुरूप होना चाहिए। समय इतना कम ना हो कि विद्यार्थी पूरी तरह से हल न कर पाए और इतना अधिक भी ना हो कि विद्यार्थी के लिए उबाऊ हो जाए ।

7.     परीक्षण में परिचित संदर्भ एवं तथ्यों का ही परीक्षण करना चाहिए। अर्थात ऐसा ना हो कि विद्यार्थी को ऐसे प्रश्न या ऐसे तथ्यों संबंधी प्रश्न दे दिए जाएं जिनका अध्यापन में प्रयोग नहीं किया गया था या जिनसे विद्यार्थी का परिचय नहीं है, क्योंकि इससे विद्यार्थी में परीक्षण के प्रति अरुचि पैदा होने का खतरा रहता है ।

8.     परीक्षण में विद्यार्थी की मनोवैज्ञानिक स्थिति का भी ध्यान रखना चाहिए। शिक्षक को समय-समय पर विद्यार्थी का संबल बढ़ाते रहना चाहिए और उसकी कठिनाइयों का निराकरण करते रहना चाहिए। परीक्षा से पूर्व हमें यह देख लेना चाहिए कि विद्यार्थी परीक्षण के लिए मानसिक रूप से कितना तैयार है ।

अच्छे परीक्षण की विशेषताएँ

 अच्छे परीक्षण के संबंध में 6 प्रकार की विशेषताओं की बात की जाती है-

·       वैधता

·       विश्वसनीयता

·       वस्तुनिष्ठता

·       समग्रता

·       विभेदकता

·       सरलता एवं स्पष्टता

 

 

Wednesday, July 21, 2021

स्वरूप के आधार पर परीक्षण के भेद


 

संदर्भ-

मूल्यांकन किस प्रकार की गतिविधि है ?

 मूल्यांकन किस प्रकार की गतिविधि है ?

मूल्यांकन और शोध 

इसे कुछ विद्वानों ने शोध की श्रेणी में रखा है तो कुछ विद्वानों ने उससे बाहर रखा है अतः हमें कुछ विद्वानों का मत देख लेना चाहिए मैके (Mackay, 1991) ने मूल्यांकन और शोध को अलग-अलग बताया है | 

Nunan (1992) ने मूल्यांकन को शोध का ही एक प्रकार माना है | उन्होंने शोध में विश्वसनीयता और वैधता पर बल दिया है इसे उन्हीं के शब्दों में देख सकते हैं -

विभिन्न विद्वानों द्वारा मूल्यांकन के संदर्भ में वैधता के भी कई प्रकार किए गए हैं, जैसे- 

Construct validity-

Face validity-                आदि |

भाषा परीक्षण के संबंध में मूल रूप से तीन तत्वों की बात की जाती है - कथ्य (Content), concurrent and Predictive.

इनमें से ‘कथ्य’ का संबंध इस बात से है कि हमारा परीक्षण ज्ञान या क्षमता के कितने भाग को अपने अंदर समाहित कर पा रहा है | इसके अलावा शेष दोनों Criterion-relatedness से संबंधित हैं। 

व्यवहारिक दृष्टि से मूल्यांकन दो प्रकार से किया जा सकता है- औपचारिक और अनौपचारिक ।


भाषा शिक्षण और मूल्यांकन का संबंध

भाषा शिक्षण और मूल्यांकन का संबंध

 वर्तमान में भाषा शिक्षण और मूल्यांकन के संबंधों को अभिव्यक्त करने के लिए निम्नलिखित तीन मुहावरेदार उक्तियों का प्रयोग किया जाता है -

Keep it out 

Bring it in

Hand it over

इन्हें संक्षेप में इस प्रकार से समझ सकते हैं -

Keep it out 

भाषा शिक्षण के संदर्भ में मूल्यांकन के बारे में इस उक्ति के विद्वानों का मानना है कि भाषा शिक्षक को शिक्षण संबंधी कार्यों पर ही फोकस करना चाहिए और अधिगम संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देना चाहिए उन्हें परीक्षण संबंधी नीतियां बनाने में समय बर्बाद नहीं करना चाहिए |

Bring it in

यह भाषा शिक्षण में मूल्यांकन संबंधी दूसरी धारणा है इसके अनुसार भाषा शिक्षकों को मूल्यांकन में सहभागी होना चाहिए , किंतु वह सहभागिता अंतरक्रिया आदि के रूप में होनी चाहिए न कि उसके लिए कोई विशेष कड़े नियम बनाए जाएं । इसमें परीक्षण और त्रुटि विश्लेषण के संबंध में सुधारात्मक प्रतिपुष्टि (corrective feedback), शैली मूल्यांकन और प्रतिक्रिया आदि पर बल दिया गया है ।

Hand it over

Fonfs pedagogy के अनुसार मूल्यांकन में शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है इससे अधिगम प्रक्रिया सुचारू रूप से चलाई जा सकती है विद्यार्थियों का समय समय पर किया जाने वाला मूल्यांकन उनके अधिगम प्रक्रिया में संवर्धन करता है |

Focus on forms (FonFs)

FonFs corresponds to traditional grammar instruction where attention to form takes precedence over meaning:

“In focus on forms (FonFs; Long, 1991, 1996) language is broken down into discrete elements (e.g., words, grammar rules, notions, functions), which are then taught item by item in a linear, additive fashion. FonFs, therefore, constitutes a traditional approach to language teaching involving a linear syllabus, instructional materials, and corresponding procedures designed to present and practice a series of linguistic items. In this type of instruction, the learners’ primary attention is directed at linguistic form, but meaning is not excluded.”

Shintani 2013

 


Language Testing and Evaluation : Desmond Allison

 


Useful Assessment and Evaluation in Language Education : Ed. Davis et. al

 


Tuesday, July 20, 2021

परीक्षण प्रक्रिया

 परीक्षण प्रक्रिया

(1) भाषा कौशल के अनुरूप परीक्षण प्रक्रिया – कौशल विशेष को ध्यान में रखते हुए।

वाचन कौशन – किसी विषय पर बोलना, जैसे- अपना परिचय देना, चर्चा करना (समूह चर्चा)

पठन कौशल – कोई पाठ देकर उसको पढ़ने के लिए कहना।

                     पाठ प्रकार- सरल/ कठिन शब्दावली युक्त, गद्य/पद्य (छंदबद्ध पद्य, छंदमुक्त पद्य)

लेखन कौशल – कोई पाठ या विषय देकर लिखवाना।

श्रवण कौशल – बोला हुआ सुनकर लिखने को कहना।  

उदाहरण-

वह ठाट से बैठा है।

वह टाट से बैठा है।

निष्कर्ष- वह और ध्वनियों को सुनकर अंतर नहीं कर पा रहा है।

मुझे रस्सी चाहिए।

मुझे लस्सी चाहिए।

 

(2) समग्रता में परीक्षण

एक संपूर्ण प्रश्नपत्र का निर्माण और उसमें ध्वनि से लेकर वाक्य तक की समझ को परख सकने लायक विविध प्रकार के प्रश्नों का समावेश।

2.1 बहुविकल्पीय प्रश्न उदाहरण –

शब्द स्तर-

इनमें से किस शब्द की वर्तनी सही है?

(क) कपड़ा               (ख) कपडा     (ग) कापड़ा

वाक्य स्तर

इनमें से कौन-सा वाक्य शुद्ध है?

(क) गाय दूध देता है।

(ख) गाय दूध देती है।

(ग) गाय दूध देते हैं।

2.2 रिक्त स्थान भरने वाले प्रश्न

लड़के बाजार ....... हैं।

(क) जाता                 (ख) जाती      (ग) जाते

2.3 मिलान करें

(क) अच्छा                          लड़की          

(ख) अच्छे                           लड़का          

(ग) अच्छी                           लड़के

2.4 लघु उत्तरीय /बोध प्रश्न/ दीर्घ उत्तरीय

शिक्षण बिंदु, विद्यार्थी के उद्देश्य आदि के अनुरूप। 

मूल्यांकन या परीक्षण हेतु प्रश्न पत्र निर्माण प्रक्रिया

 मूल्यांकन या परीक्षण हेतु प्रश्न पत्र निर्माण प्रक्रिया

योजना निर्माण : मूल्यांकन या परीक्षण की योजना बनाना।

कब करना है?

किस तरह के प्रश्नों का समावेश करना है?

कितना समय दिया जाएगा?

कौन-कौन से कौशलों का परीक्षण करेंगे?

किस कौशल का कितना हिस्सा होगा?

पाठबिंदु चयन : मूल्यांकन या परीक्षण में सम्मिलित किए जाने वाले पाठ बिंदु।

          कितना शिक्षण हुआ है?

          किस पाठ बिंदु का किस स्तर शिक्षण तक शिक्षण हुआ है?

          उसी स्तर के अनुरूप प्रत्येक पाठबिंदु का समावेश।

          विद्यार्थी के उद्देश्य का भी ध्यान रखते हैं? (क्या/क्यों सीखने आया था?)

प्रश्नपत्र लेखन/तैयार करना

          परीक्षा निर्देश

          आवश्यक क्रम में प्रश्नों को रखना

Sunday, July 18, 2021

डे:हिंदी न अंग्रेजी-सबसे तेज भाषा है इमोजी


दैनिक भास्कर विशेष-


वर्ल्ड इमोजी डे:हिंदी न अंग्रेजी-सबसे तेज भाषा है इमोजी, रोज 1000 करोड़ बार इन्हें भेजते हैं हम; जानिए कैसे गोरे-काले की जंग भी लड़ रहे इमोजी

https://www.bhaskar.com/national/news/the-fastest-growing-language-is-emoji-which-not-only-makes-it-easier-for-people-to-express-their-heart-but-is-also-a-way-of-fighting-against-racial-and-political-inequality-128710269.html 

 कोई अगर पूछे कि नए दौर की ग्लोबल भाषा क्या है? अंग्रेजी बोलने वालों की सबसे बड़ी आबादी वाले देश भारत में ज्यादातर लोग शायद अंग्रेजी को यह तमगा दे दें। लेकिन यह सच नहीं है। दरअसल, न्यू मिलेनियल्स की ग्लोबल लैंग्वेज तो इमोजी है। इसमें अक्षर तो नहीं, लेकिन पिक्चर है। भाव है। भावना है। गैर बराबरी के खिलाफ आवाज है। इंटरनेट पर सवार इस भाषा की कोई सरहद और नस्ल भी नहीं। ब्रिटेन के बांगोर विश्वविद्यालय में भाषा विज्ञान के प्रोफेसर व्यव इवांस का दावा है कि इमोजी इंसानी इतिहास में दुनिया की सबसे तेजी से फैलने वाली भाषा है। कुल 176 आइकॉन से शुरू हुई यह भाषा आज 3,353 इमोजी तक पहुंच चुकी है। उनका कहना है कि दृष्य भाषा यानी विजुअल लैंग्वेज के रूप में इमोजी पहले ही प्राचीन मिस्र की चित्रलिपि (Egyptian hieroglyphics) को काफी पीछे छोड़ चुकी है, जिसे विकसित होने में पांच सदी से ज्यादा का समय लगा था। आज इमोजी न केवल दुनिया में रिश्तों को मजबूत कर रही है, बल्कि नस्लीय और सियासी गैर बराबरी के खिलाफ लड़ाई का जरिया भी बनी चुकी है। ये बिना किसी आवाज के हम पर इतना गहरा असर डाल रही है कि मनोविज्ञानिकों को उसके निशान हमारे मस्तिष्क में मिल रहे हैं।

तो आइए आज वर्ल्ड इमोजी डे पर जानते हैं इमोजी की दुनिया से जुड़ी बेहद दिलचस्प बातें....

Modern Linguistics : S.K. verma, N. Krishnaswamy







 

Friday, July 16, 2021

The Minimalist Program








 

Aspects of the Theory of Syntax





 

Thursday, July 15, 2021

संस्कृत में समास का उदाहरण


स्रोत-ह्वाट्सएप 

 अहिः = सर्पः

अहिरिपुः = गरुडः

अहिरिपुपतिः = विष्णुः

अहिरिपुपतिकान्ता = लक्ष्मीः

अहिरिपुपतिकान्तातातः = सागरः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धः = रामः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ता = सीता

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरः = रावणः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयः = मेघनादः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्ता = लक्ष्मणः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदाता = हनुमान्

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजः = अर्जुनः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखा = श्रीकृष्णः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतः = प्रद्युम्नः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतः = अनिरुद्धः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्ता = उषा

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातः = बाणासुरः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यः = शिवः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्ता = पार्वती

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्तापिता = हिमालयः

अहिरिपुपतिकान्तातातसम्बद्धकान्ताहरतनयनिहन्तृप्राणदातृध्वजसखिसुतसुतकान्तातातसम्पूज्यकान्तापितृशिरोवहा = गङ्गा, सा मां पुनातु इत्यन्वयः |

Wednesday, July 14, 2021

भाषा शिक्षण में परीक्षण के प्रकार

भाषा शिक्षण में परीक्षण  के प्रकार

प्रवेश परीक्षण (Entrance test)

अभिक्षमता परीक्षण   (Aptitude test)

वर्ग निर्धारण परीक्षण   (Placement test)

निदानात्मक परीक्षण   (Diagnostic test)

उपलब्धि परीक्षण   (Achievement test)

दक्षता परीक्षण   (Proficiency test)


इन्हें संक्षेप में इस प्रकार के देख सकते हैं -

प्रवेश परीक्षण (Entrance test)

जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है यह परीक्षण विद्यार्थी को पाठ्यक्रम में प्रवेश देने से पहले किया जाता है और इसका उद्देश्य विद्यार्थी के वर्तमान स्तर को समझना होता है ताकि उसी के अनुरूप शिक्षण प्रशिक्षण किया जा सके, अथवा यह भी जा ना जा सके कि विद्यार्थी प्रवेश देने के योग्य है या नहीं है ।

अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude test)

यह परीक्षण विद्यार्थी के भाषा सीख सकने की क्षमता के सांख्यिकीय विश्लेषण से संबंधित है ।

वर्ग निर्धारण परीक्षण  (Placement test)

इस परीक्षण के माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया में विद्यार्थी के स्तर और वर्ग का निर्धारण किया जाता है ताकि उसी के अनुरूप उसे शिक्षण दिया जा सके ।

निदानात्मक परीक्षण  (Diagnostic test)

इस परीक्षण का उद्देश्य यह जानना होता है कि विद्यार्थी को भाषा का कौन सा पक्ष सीखने में कठिनाई आ रही है इसके पश्चात उस कठिनाई के निदान संबंधी कदम उठाए जाते हैं ताकि विद्यार्थी सफलतापूर्वक भाषा सीखने की ओर अग्रसर हो सके ।

उपलब्धि परीक्षण  (Achievement test)

इस परीक्षण में हम यह देखते हैं कि विद्यार्थी भाषा को किस स्तर तक और किस रूप में सीख सका है। यह मूल्यांकन मूलतः इस बात पर आधारित है कि शिक्षण प्रक्रिया या पाठ्यचर्या में जो बातें सम्मिलित की गई हैं, उनमें से किन-किन पक्षों को विद्यार्थी ठीक से सीख पाया है और कौन-सी रह गई हैं।

दक्षता परीक्षण (Proficiency test)

दक्षता परीक्षण का संबंध इस बात से है कि जिस भाषा को विद्यार्थी सीख रहा है उसके कौन-कौन से कौशलों में विद्यार्थी कितनी दक्षता प्राप्त कर चुका है।


मूल्यांकन की पद्धति के आधार पर उसके प्रकार 

पद्धति के आधार पर मूल्यांकन के मूलतः दो प्रकार के जाते हैं -

एकलबद्ध मूल्यांकन (Discrete Point Evaluation)

समग्रताबद्ध मूल्यांकन (Integrative Evaluation)


एकलबद्ध मूल्यांकन (Discrete Point Evaluation)

भाषा की संरचना की दृष्टि से विभिन्न कौशलों का एक रूप में किया जाने वाला मूल्यांकन एकलबद्ध मूल्यांकन कहलाता है। इसके तीन प्रकार किए जा सकते हैं -

अभिव्यक्ति के स्तर पर- इस स्तर पर हम यह देखते हैं कि विद्यार्थी उच्चारण और लेखन में कितनी क्षमता प्राप्त कर चुका है। इसमें दो बातें आती हैं -

उच्चारण और लेखन 

व्याकरण के स्तर पर- इस स्तर पर हम यह देखते हैं कि विद्यार्थी लक्ष्य भाषा के शब्दों के स्वरूप और उनकी रूपरचना तथा वाक्य रचना के संबंध में कितनी क्षमता अर्जित कर चुका है। अतः इसमें दो बातें आती हैं -

रूप रचना और वाक्य विन्यास 

कथ्य के स्तर पर- इस स्तर पर विद्यार्थी के शाब्दिक और वाक्यात्मक अर्थ के बोधन की क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है । अतः इसमें भी दो बातें आती हैं -

शब्दार्थ बोधन और वाक्यार्थ बोधन

एकलबद्ध मूल्यांकन भाषा के विभिन्न स्तरों के संदर्भ में छात्रों के कौशलों का परीक्षण करता है। इसमें केवल एक निश्चित पक्ष पर ही फोकस किया जाता है।


एकलबद्ध मूल्यांकन में प्रश्नों का स्वरूप 

एकलबद्ध मूल्यांकन में दो प्रकार से परीक्षण किया जा सकता है- मौखिक और लिखित। इन दोनों ही प्रकार के परीक्षणों में विविध प्रकार के प्रश्नों का समावेश किया जा सकता है, जिन्हें रवींद्रनाथ श्रीवास्तव ने भाषा शिक्षण (2005) पुस्तक में इस प्रकार से दर्शाया है - 

समग्रताबद्ध मूल्यांकन (Integrative Evaluation)

समग्रताबद्ध मूल्यांकन मूलतः भाषा को संप्रेषण की दृष्टि से देखता है और संप्रेषण के उपकरण के रूप में ही भाषा को एक इकाई मानता है। ऐसी स्थिति में उसका लक्ष्य भाषा के संप्रेषणात्मक प्रकार्य की क्षमता विद्यार्थी में उत्पन्न करना होता है न की भाषा के संरचनात्मक पक्षों का ज्ञान कराना । 

समग्रताबद्ध मूल्यांकन में प्रश्नों का स्वरूप

समग्रताबद्ध मूल्यांकन भिन्न प्रकार के प्रश्नों की आवश्यकता पड़ती है यह परीक्षण मुख्यतः दो रूपों में किया जाता है श्रुतलेख और क्लोज परीक्षण 

श्रुतलेख से हम परिचित हैं कि इसमें विद्यार्थी को सुनकर लिखने के कौशल का परीक्षण करते हैं। 

क्लोज परीक्षण में हम विद्यार्थी के भाषा सीखने की क्षमता का मूल्यांकन करते हैं। इसमें कई विधियाँ होती हैं, जैसे- खाली स्थान भरने की विधि जिसमें 'वाक्य में किसी विशेष स्थान पर किसी शब्द का लोप  कर दिया जाता है और विद्यार्थी को उसे भरना होता है'।




Tuesday, July 13, 2021

पाइथन में पाइथन में looping कथन

 पाइथन में पाइथन में looping कथन  

for loop का प्रयोग 

for loop का प्रयोग करते हुए हम एक निश्चित संख्या तक बार-बार कोड के एक निश्चित हिस्से (या पूरे कोड) को रन करा सकते हैं। पाइथन में मूलतः इसका प्रयोग list, tuple, या dictionary जैसे data structures में से items को बारी-बारी से प्राप्त करने के लिए किया जाता है। वैसे हम किसी भी प्रकार की संगणना के लिए इस लूप का प्रयोग कर सकते हैं। for loop का syntax निम्नलिखित है-

for iterating_var in sequence: 

    statement(s) 

उदाहरण के लिए हम एक से दस तक की संख्याएँ लिखने के लिए for loop का प्रयोग करते हुए निम्नलिखित प्रकार से प्रोग्राम विकसित कर सकते हैं-

(नोट- end = ‘ ’ का प्रयोग एक लाइन में पूरा आउटपुट प्रिंट करने के लिए किया गया है।)

आप चाहें तो संख्याओं को क्रमिक रूप से प्रिंट करने के लिए start number और end number इनपुट के रूप में दे सकते हैं, जैसे-


while loop का प्रयोग 

पाइथन में for loop की तरह ही while loop का भी प्रयोग किया जाता है। इसमें पहले condition दे दी जाती है और जब तक वह condition ‘true’ रहती है, तब तक लूप चलता रहता है। अतः इसका प्रयोग तब किया जाता है, जब हमें यह पता न हो कि लूप में कितने iterations होंगे। while loop लिखने का syntax इस प्रकार है-

while expression: 

statements 

increment

इसे एक उदाहरण द्वारा इस प्रकार से देख सकते हैं- 


इस प्रकार से विभिन्न लूपों का प्रयोग करते हुए प्रोग्राम निर्माण करके आप स्वयं देख और सीख सकते हैं ।