स्तरपरक व्याकरण
(Stratificational Grammar)
भाषा को एक बहुस्तरीय संरचना मानते हुए सिडनी लैंब (Sydney M. Lamb : 1924-….) द्वारा भाषा के व्यवस्थित विश्लेषण
हेतु ‘स्तरपरक व्याकरण’ (Stratificational Grammar) का प्रतिपादन किया गया है।
इसे उनकी कृति ‘Outline of Stratificational Grammar’ (1966) में देखा जा सकता
है। बाद में उन्होंने संशोधन परिवर्धन भी किया है।
लैंब के अनुसार विश्व की सभी भाषाएँ एक-स्तरीय न होकर
बहुस्तरीय होती हैं। अतः इनका अध्ययन भी बहुस्तरीय संरचना के रूप में किया जाना
चाहिए। लैंब ने कहा कि भाषा की संरचना में कई स्तर होते हैं,जिन्हें उन्होंने ‘strata’ (एकवचन-stratum) नाम
दिया है। साथ ही प्रत्येक स्तर का अपना एक विन्यास होता है, जिसे उन्होंने ‘tactic’ नाम
दिया है।
स्तरपरक व्याकरण में ‘व्याकरण’ शब्द से तात्पर्य भाषा की आर्थी व्यवस्था, व्याकरण
व्यवस्था तथा ध्वनि व्यवस्था तीनों की विश्लेषण पद्धति से है।
स्तरपरक व्याकरण और भाषा विश्लेषण
लैंब ने भाषा विश्लेषण के संबंध में विचार करते हुए
कहा कि भाषा विश्लेषण का वही सिद्धांत सर्वोत्तम है जिसमें बिना बाहरी तत्वों के
संयोग के भाषा व्यवस्था संबंधी प्रतिमान (pattern) अपने-आप उभरकर सामने आएँ।
भाषा विश्लेषण के माध्यम से भाषा के विविध स्तरों पर
प्राप्त इकाइयों और उनके परस्पर संबंधों, अन्य इकाइयों से संबंधों की खोज ही
भाषा विश्लेषक का उद्देश्य है।
स्तरपरक व्याकरण में भाषा के स्तर
स्तरपरक व्याकरण में भाषा के 06 स्तर माने गए हैं।
इन्हें एक टेबल के रूप में इस प्रकार से देख सकते हैं–
क्र.सं. |
स्तर |
मूल इकाई |
अगले उच्च स्तर से संबद्ध इकाई |
1.
|
अतिअर्थिमिक (hypersememic) |
अतिअर्थीन (hypersemon) |
अतिअर्थिम (hypersememe) |
2.
|
अर्थिमिक (sememic) |
अर्थोन (semon) |
अर्थिम (sememe) |
3.
|
कोशिमिक (lexemic) |
कोशोन (laxon) |
कोशिम (lexeme) |
4.
|
रूपिमिक (morphological) |
रूपोन (morphon) |
रूपिम (morpheme) |
5.
|
स्वनिमिक (phonemic) |
स्वनोन (phonon) |
स्वनिम (phoneme) |
6.
|
अधःस्वनिमिक (hypophonemic) |
---- |
अधःस्वनिम (hypophoneme) |
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