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Wednesday, July 31, 2019

प्रोग्रामिंग भाषा : परिचय एवं प्रकार (Programming language : Introduction and Types)


प्रोग्रामिंग भाषा : परिचय एवं प्रकार (Programming language : Introduction and Types)
प्रोग्रामिंग भाषा : परिचय
 प्रोग्रामिंग भाषा वह भाषा है जिसमें कंप्यूटर को तार्किक संरचनाओं में आदेश देकर प्रोग्राम बनाए जाते हैं। इसके लिए इन भाषाओं में नियमों और की-शब्दों (Rules and Key-Words) की व्यवस्था होती है। प्रोग्रामिंग भाषा में वाक्य लेखन के नियम पूर्वनिर्धारित होते हैं। ये वाक्य के स्वरूप के अनुसार अलग-अलग प्रकार के होते हैंजिन्हें सामान्य रूप से कथन’ (statement) कहा जाता है। प्रोग्रामिंग भाषा प्रोग्रामर के आदेशों को सीधे-सीधे मशीन तक पहुँचाती है। इस कारण हम संबंधित उद्देश्य की प्राप्ति के लिए मशीन की प्रक्रियाओं को निर्धारित कर लेते हैं। इसी प्रकार के निर्धारणों का समुच्चय प्रोग्रामटूल या एप्लीकेशन सॉफ्टवेयरहोता है।

2प्रोग्रामिंग भाषाओं के प्रकार (Types of Programming Languages)

भिन्न-भिन्न प्रकार की भाषाओं के अलग-अलग उद्देश्य होते हैं। उनके विविध रूपों या प्रकारों को इस प्रकार देखा जा सकता है-
  • मशीनी भाषाएँ : सीधे-सीधे हार्डवेयर में प्रयोग।
  • असेंबली भाषाएँ : मशीनी भाषा के साथ ही हल्के-फुल्के/ छोटे-छोटे कुछ कोडशब्दों से युक्त भाषा|
  • उच्च-स्तरीय भाषाएँ : कोई भी भाषा जो मशीन-विशेष से स्वतंत्र होती है।
  • सिस्टम भाषाएँ : निम्न-स्तरीय कार्यों (जैसे- स्मृति और संसाधन प्रबंधन) हेतु कोड लेखन के लिए प्रयुक्त भाषा|
  • लिपिपरक भाषाएँ : सामान्यत: अत्यंत उच्चस्तरीय और शक्तिशाली ।
  • प्रक्षेत्र-आधारित भाषाएँ : जो किसी क्षेत्र-विशेष के लिए ही प्रयोग में लाई जाती हैं।
  • विजुअल भाषाएँ : जो केवल पाठपरक नहीं होतीं।
  • गूढ़ भाषाएँ : जो सामन्यत: प्रयोग के दृष्टिकोण से नहीं बनाई जातीं। (Esoteric languages — not really intended to be used)
प्रोग्रामिंग भाषाओं को विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे-
1. स्तर की दृष्टि
(क) निम्न-स्तरीय भाषाएँ
मशीनी भाषा, असेंबली भाषा
(ख) उच्च-स्तरीय भाषाएँ : तीन वर्ग।
1.  प्रक्रियात्मक भाषा (Procedural Language)
2.  प्रकार्यात्मक भाषा (Functional Language)
3.  ऑब्जेक्ट ओरिएंटेड भाषा (Object Oriented Language)
2. विजुअल इंटरफेस की दृष्टि से-
(क) विजुअल भाषाएँ
(ख) नॉन विजुअल भाषाएँ
3. व्यापकता की दृष्टि से-
(क) सामान्य प्रोग्रामिंग भाषाएँ
(ख) प्रक्षेत्र-आधारित प्रोग्रामिंग भाषाएँ

Friday, July 26, 2019

फ्लोचार्ट प्रोग्रामों के उदाहरण


फ्लोचार्ट प्रोग्रामों के उदाहरण 
ऊपर जिन तीन प्रोग्रामों के एल्गोरिद्म बनाए गए हैं, यहाँ पर उन्हीं का फ्लोचार्ट बनाकर दिखाया जा रहा है –
1.  दो संख्याओं को जोड़ने के प्रोग्राम का फ्लोचार्ट



2.  तीन संख्याओं में बड़ी संख्या ज्ञात करने का फ्लोचार्ट
                   

फ्लोचार्ट (Flowchart)


फ्लोचार्ट (Flowchart)
फ्लोचार्ट किसी प्रोग्राम के निर्माण के लिए दिए जाने वाले आदेशों का चरणबद्ध रूप से चित्रात्मक निरूपण है। दूसरे शब्दों में यह एल्गोरिद्म की डायग्राम के रूप में प्रस्तुति है। इसमें आदेश, आदेशों का क्रम और उनकी दिशा सभी को साफ-साफ देखा जा सकता है।
आरंभिक और छोटे-छोटे प्रोग्रामों को व्यक्त करने के लिए तो अपनी भाषा में एल्गोरिद्म लेखन ठीक रहता है, लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े और जटिल प्रोग्राम की ओर बढ़ते हैं, वैसे-वैसे उनके एल्गोरिद्मों को समझना कठिन होने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए फ्लोचार्ट का विकास किया गया। चित्रात्मक प्रस्तुति होने के कारण फ्लोचार्ट में कंट्रोल के प्रवाह को समझना सरल होता है। मुख्यत: जब कई निर्णय लेने हों और लूप लगे हों तो फ्लोचार्ट उन्हें अत्यंत सरलता से प्रदर्शित कर देते हैं। इसलिए कुछ प्रोग्रामर एल्गोरिद्म लिखने बजाए फ्लोचार्ट को ज्यादा महत्व देते हैं। American Society of Mechanical Engineers (ASME) के Frank Gilbert द्वारा सर्वप्रथम 1921 में फ्लोचार्ट पद्धति का प्रयोग किया गया। बाद में 1949 में Douglas Hartree ने Herman Goldstine और John von Neumann द्वारा फ्लोचार्ट के विकास किए जाने की विस्तृत व्याख्या की।
फ्लोचार्ट निर्माण में अलग-अलग इकाइयों और प्रक्रियाओं को व्यक्त करने के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार की आकृतियों का प्रयोग किया जाता है। एक आकृति एक (या एक समान) कार्य को ही दर्शाती है। फ्लोचार्ट निर्माण के लिए इन आकृतियों का ज्ञान होना आवश्यक है। एक सामान्य प्रोग्राम के फ्लोचार्ट के निर्माण के लिए आवश्यक आधारभूत आकृतियाँ निम्नलिखित हैं -
संकेत (Symbols)
1.     आरंभ/समाप्त (टर्मिनल -Terminal / Terminator)


यह एक चौकोर आकृति है जो दोनों तरफ गोल होती है। इस कारण इसे अंडाकार भी कहा जाता है। यह आकृति आरंभ और समाप्त चरणों को प्रदर्शित करती है। किसी प्रोग्राम का फ्लोचार्ट बनाते समय ये दोनों शब्द इस आकृति में लिखे भी जाते हैं। इसे अंग्रेजी में टर्मिनल/टर्मिनेटर भी कहा गया है।
2.     इनपुट/आउटपुट (Data Input/Output))

यह एक चतुर्भुजाकार आकृति होती है। इसमें इनपुट और आउटपुट को प्रदर्शित करते हैं। इस कारण इसे डाटा ऑब्जेक्ट भी कहा गया है।
3.     प्रक्रिया (Process / Rectangle)


यह एक आयताकार आकृति होती है। प्रक्रिया, कार्य अथवा संक्रिया (process, action or an operation) को प्रदर्शित करने के लिए इस आकृति का प्रयोग किया जाता है। अत: जोड़ना, घटाना, गुणा करना, भाग देना आदि गणितीय क्रियाओं के लिए यह आकृति प्रयुक्त होगी। भाषिक संसाधन की दृष्टि से जहाँ भी कोई क्रियात्मक आदेश होगा, जैसे – शब्द में से उपसर्ग/प्रत्यय निकालना’, तो इस आकृति का प्रयोग किया जाएगा।
4.     निर्णय/कंडीशन (Decision / Condition)

यह हीरक आकार (Diamond shape) है जिसका प्रयोग निर्णय संबंधी कथनों के लिए किया जाता है। यदि (if) से जुड़े सभी कथनों को इस आकृति द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इस बॉक्स का जहाँ भी प्रयोग होता है, वहाँ से दो फ्लो निकलते हैं – एक हाँ (yes) के लिए, और दूसरा नहीं (no) के लिए। इन्हें अंग्रेजी में सत्य (true) और असत्य (false) द्वारा भी प्रदर्शित किया जाता है।
5.     प्रवाह रेखा (Flow Line -Arrow)

फ्लोचार्ट में कंट्रोल के प्रवाह को दिखाने के लिए तीर के निशान से युक्त रेखाओं का प्रयोग किया जाता है। ये रेखाएँ चारों दिशाओं में होती हैं और प्रवाह की दिशा को दर्शाती हैं।
6.     योजक (Connectors)-
जब फ्लोचार्ट अधिक लंबा हो जाता है तो उसे कई टुकड़ों में बनाना पड़ता है। इन टुकड़ों को जोड़ने के लिए योजकों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए यदि फ्लोचार्ट दो पृष्ठों का हो गया तो पहचा योजक पहले पृष्ठ पर और दूसरा योजक दूसरे पृष्ठ पर लगाया जाता है।



Wednesday, July 24, 2019

एल्गोरिद्म (Algorithm)


एल्गोरिद्म (Algorithm)
कंप्यूटर के माध्यम से किसी कार्य विशेष को संपन्न करने के लिए दिए जाने वाले आदेशों का अपनी भाषा में क्रमबद्ध लेखन एल्गोरिद्म है। दूसरे शब्दों में – किसी समस्या को हल करने के लिए दिए जाने वाले आदेशों का क्रमबद्ध एवं चरणबद्ध समुच्चय एल्गोरिद्म है। है। किसी भी एल्गोरिद्म में कोई प्रक्रिया (process) या तर्क(logic) अवश्य होता है। प्रक्रिया से तात्पर्य डाटा में किसी प्रकार के परिवर्तन से है, जैसे – उस पर कोई गणितीय क्रिया (जोड़, घटाना, गुणा या भाग) आदि हो। तर्क का संबंध परीक्षण से है। इसके लिए ‘if’ या ‘if … else’कथनों का प्रयोग किया जाता है, जैसे – किसी संख्या का दूसरी संख्या से बड़ी या छोटी होने का परीक्षण करना आदि।
चूँकि कंप्यूटर प्रोग्राम स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाली प्रणाली के निर्माण के लिए लिखे जाते हैं, इसलिए उस प्रणाली में आरंभ (start) औरसमाप्त (end) बिंदुओं का होना आवश्यक है। इस कारण एल्गोरिद्म में आरंभ (start) और समाप्त (end)बिंदु दिए जाते हैं। इसलिए एल्गोरिद्म में चरणों (steps) को लिखते समय यह ध्यान रखा जाता है कि वे संदिग्धार्थक न हों और किसी बिंदु पर पूर्ण होते हों। कोई भी एल्गोरिद्म ऐसे नियमों या चरणों का समुच्चय नहीं हो सकता जो किसी बिंदु पर जाकर पूर्ण न होते हों। कंप्यूटर में कोई भी कार्य अत्यंत तीव्र गति से कर लिया जाता है। इसलिए प्रोग्राम लेखन में प्रक्रिया और तर्क के अलावा लूपिंग कथनों की भी व्यवस्था दी गई है। लूपिंग कथनों के माध्यम से एक ही प्रक्रिया को तब तक बार-बार दुहराया जाता है जब तक कि वह दी हुई शर्त को पूर्ण करता हो। इन्हें आगे उदाहरण द्वारा अधिक अच्छी तरह से समझा जा सकता है -
1.      दो संख्याओं को जोड़ने के प्रोग्राम का एल्गोरिद्म
चरण-1 :  आरंभ
चरण-2 :  पहली और दूसरी संख्या तथा योग के लिए चर (variable)निर्धारित करे।
चरण-3 :  योग = पहली संख्या + दूसरी संख्या
चरण-4 :  योग को प्रदर्शित करे।
चरण-5 :  समाप्त
(नोट - यह एक ऐसा प्रोग्राम है जिसमें एक प्रक्रिया जोड़(addition) को संपन्न करना है।चर वे खाली स्थान हैं जिनमें संख्याओं को रखा जाएगा। इसलिएयोग के लिए भी एक चर लिया जाता है ताकि जोड़ने बाद प्राप्त योगफल को उसमें रखा जा सके।)
इस एल्गोरिद्म को संक्षेप में इस प्रकार लिख सकते हैं –
चरण-1 :  आरंभ                         (start)
चरण-2 :  चर a, b, c                   (var a,b, c)
चरण-3 :  c = a + b
चरण-4 :  cदिखाएँ                         (show c)
चरण-5 :  समाप्त                               (end)
(नोट - इनमें ‘a’ में पहली संख्या का इनपुट दिया जाएगा, ‘b’ में दूसरी संख्या का और ‘c’ में दोनों जोड़कर रखा जाएगा।)
2.      तीन संख्याओं में बड़ी संख्या ज्ञात करने का एल्गोरिद्म
चरण-1 :  आरंभ
चरण-2 :  पहली और दूसरी और तीसरी संख्या ले।
चरण-3 :  यदि पहली संख्या, दूसरी संख्या से बड़ी है, तो चरण–4 पर जाएँ, नहीं तो चरण–5 पर जाएँ।
चरण-4 :  यदि पहली संख्या तीसरी संख्या से बड़ी है, तो पहली संख्या को प्रदर्शित करें, अन्यथा तीसरी संख्या को प्रदर्शित करे।
चरण-5 :  यदि दूसरी संख्या तीसरी संख्या से बड़ी है, तो दूसरी संख्या को प्रदर्शित करे, अन्यथा तीसरी संख्या को प्रदर्शित करे।
चरण-6 :  समाप्त
(नोट - यह एक ऐसा प्रोग्राम है जिसमें एक प्रक्रिया तर्क (logic)को संपन्न करना है। इसमें तर्क के माध्यम से बड़ी संख्या को ज्ञात करना है।)
इस एल्गोरिद्म को संक्षेप में इस प्रकार लिख सकते हैं –
चरण-1 :  आरंभ                          
चरण-2 :  चर a, b, c                   
चरण-3 :  यदि a > b तो चरण-4,नहीं तो चरण 5.
चरण-4 : यदि a > c तो दिखाए,नहीं तो c दिखाए।
चरण-5 :  यदि b > c तो दिखाए,नहीं तो c दिखाए।
चरण-5 :  समाप्त 

1.      एक से 100 तक की संख्याओं को प्रिंट करने का एल्गोरिद्म
चरण-1 :  आरंभ
चरण-2 :  चर = x
चरण-3 :  ‘x’ का आरंभिक मूल्य ‘1’.
चरण-4 :  ‘x’ का मूल्य प्रदर्शित करे।
चरण-5 :  परीक्षण करे कि क्या ‘x’ का मूल्य 100 हो गया है, यदि हाँ तो चरण ‘7’ पर जाए,नहीं तो चरण ‘6’ पर जाए।
चरण-6 :  ‘x’ के मूल्य में‘1’ जोड़े रहे, चरण ‘4’ पर जाए।
चरण-7 :  समाप्त
(नोट - यह एक ऐसा प्रोग्राम है जिसमें एक प्रक्रिया लूप (loop)का प्रयोग किया गया है। एक से लेकर यह लूप तब तक चलता है जब तक ‘x’ का मूल्य ‘100’ न हो जाए।)
इस एल्गोरिद्म को संक्षेप में इस प्रकार लिख सकते हैं –
चरण-1 :  आरंभ                          
चरण-2 :  चर x                   
चरण-3 :  x=1
चरण-4 : x दिखाए (show ‘x’)
चरण-5 : यदि x == 100 तो चरण-7, नहीं तो चरण 6
चरण-6 :  x = x+1
चरण-7 :  समाप्त 

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Tuesday, July 23, 2019

Monday, July 22, 2019

अवधी कोश











Friday, July 19, 2019

प्रमुख कार्पस


प्रमुख कार्पस
1. अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य-
1.1 अंग्रेजी
(क) Brown University Standard Corpus of Present-Day American English
(ख) Lancaster-Oslo-Bergen Corpus
लेबल
पाठ क्षेत्र
ब्राउन कार्पस
LOB कार्पस
A
Press: reportage
44
44
B
Press: editorial
27
27
C
Press: reviews
17
17
D
Religion
17
17
E
Skills, trades and hobbies
36
38
F
Popular lore
48
44
G
Belles lettres, biography, essays
75
77
H
Miscellaneous (documents, reports, etc.)
30
30
J
Learned and scientific writings
80
80
K
General fiction
29
29
L
Mystery and detective fiction
24
24
M
Science fiction
6
6
N
Adventure and western fiction
29
29
P
Romance and love story
29
29
R
Humour
9
9
Total
500
500
(ग) Colhapur Corpus of Indian English
एक मिलियन शब्द, इसे लैनकेस्टर ओस्लो बर्गेन कॉर्पस और ब्राउन कार्पस के समानांतर ही तैयार किया गया है।
Text Categories
No. of texts in each category

American
Corpus
British
Corpus
Indian
Corpus
A
44
44
44
B
27
27
27
C
17
17
17
D
17
17
17
E
36
38
38
F
48
44
44
G
75
77
70
H
Miscellaneons (Govt. Documents,
foundation reports, industry reports,
College catalogue, industry house organ).
30
30
37
J
80
80
80
K
29
29
58
L
24
24
24
M
6
6
2
N
29
29
15
P
29
29
18
R
9
9
9
Total
500
500
500

(घ) कोलिंस कोब्यूल्ड कार्पस या बैंक ऑफ इंग्लिश
(ङ) British National Corpus : 100 मिलियन शब्द
1.2 फ्रांसीसी
French text corpora
Free Corpora of Spoken French
1.3 अरबी/फ़ारसी/उर्दू-
Arabic text corpora
International Corpus of Arabic
1.4 चीनी
Chinese Simplified text corpora
The UCLA Written Chinese Corpus
1.5 जापानी
Japanese text corpora
Corpus of Japanese
2. भारतीय परिदृश्य-
निलाद्री शेखर दास (Niladri Sekhar Dash, Indian Statistical Institute, Kolkata) के शोधपत्र ‘Language Corpora: Present Indian Need’ के आधार पर यहाँ पर दिया जा रहा है:
भाग
भाषा
संस्थान
आरंभ वर्ष
समापन वर्ष
शब्द संख्या
I
अँग्रेज़ी , हिंदी, पंजाबी
IIT,नई दिल्ली
1991
1994
3 मिलियन
II
तेलगू, कन्नड़,
तमिल, मलयालम
CIIL, मैसूर
1991
1994
Do
III
मराठी, गुजराती
DC, पुने
1991
1994
Do
IV
उड़िया, बँगला, आसामी
IIALS, भुवनेश्वर
1991
1994
Do
V
संस्कृत
SSU, वाराणसी
1991
1994
Do
VI
उर्दू, सिंधी, काश्मीरी
AMU, अलीगढ़
1992
1994
Do
1994 में अभी कई परियोजनाएँ पूरी नहीं हुई थीं तभी DOE ने आगे फंडिंग करने से इनकार कर दिया क्योंकि इसमें बहुत अधिक समय और पैसे की आवश्यकता थी। इसके अलावा विभिन्न विद्वानों द्वारा भी कार्पस की उपयोगिता पर प्रश्नचिह्न लगाया जा रहा था। इसके पश्चात् सूचना प्रसारण मंत्रालय (Ministry of Information Technology: MIT) द्वारा इस पर ध्यान दिया गया है। बाद में कार्पस निर्माण के क्षेत्र में कार्य करने वाली कुछ प्रमुख संस्थाओं की सूची निलाद्री शेखर दास के आधार पर इस प्रकार है:
संस्थाएँ
भाषाएँ
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर
हिंदी, नेपाली
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मुंबई
मराठी, कोंकणी
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, गुवाहाटी
आसामी, मणिपुरी
भारतीय विज्ञान संस्थान, बंगलौर
कन्न्ड़, संस्कृत
भारतीय सांख्यिकीय संस्थान, कलकत्ता
बँगला
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली
संस्कृत
हैदराबाद विश्वविद्यालय, हैदराबाद
तेलगू
अन्ना विश्वविद्यालय, चेन्नई
तमिल
MS विश्वविद्यालय, बड़ौदा
गुजराती
उत्कल विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर
उड़िया
थापर अभियांत्रिकी एवं तकनीकी संस्थान, पटियाला
पंजाबी
ER&DCI, त्रिवेंद्रम
मलयालम
C-DAC, पुने
उर्दू, संस्कृत,काश्मीरी