दफ़्तरों में डिस्लेक्सिया के बारे में बात करना क्यों ज़रूरी है?
नेसा कॉर्करी को अपने डिस्लेक्सिया के बारे में हमेशा से मालूम था. उनके स्कूल जाने के कुछ ही साल के अंदर इसका पता चल गया था.
उन्होंने नर्सिंग की पढ़ाई की और वह अस्पताल के माहौल में काम करना चाहती थीं.
वह कहती है, "मैं हमेशा से ही आत्मविश्वास से भरी रही हूं. मुझे इस सोच से नफ़रत है कि चूंकि मेरा दिमाग अलग तरीके से काम करता है, इसलिए मैं वह काम नहीं कर सकती जो दूसरे लोग कर सकते हैं."
कॉलेज के दिनों में उनकी मदद की जाती थी. उनको लेक्चर के लिए रिकॉर्डिंग पेन और नोट्स लिखने के लिए लैपटॉप दिया गया. परीक्षा में उनको अतिरिक्त समय दिया गया.
लेकिन जब उन्होंने काम शुरू किया तब पहली बार उनको कुछ कमी महसूस हुई.
"मुझे पता था कि मैं अच्छा काम नहीं कर रही थी. मैं चाहे जितनी भी कोशिश करती, मैं दूसरे छात्रों की बराबरी नहीं कर पा रही थी."
"ऐसा लगता था कि मैं लापरवाही करती थी, लेकिन दूसरों की रफ़्तार पकड़ने में मुझे दिक्कत होती थी."
"नर्सिंग स्टाफ की कमी हमेशा रहती थी, इसलिए स्टाफ नर्सों को छात्रों को सिखाने का कम समय मिलता था."
"मुझे एक बाधा की तरह देखा जाता था, इसलिए अतिरिक्त मदद मांगना मेरे लिए मुश्किल था."
वैश्विक स्तर पर डिस्लेक्सिया
आयरलैंड में, जहां कॉर्करी रहती हैं, डिस्लेक्सिया को क़ानूनन विकलांगता माना गया है, इसलिए कर्मचारियों को उचित समायोजन का अधिकार है.
लेकिन आयरलैंड अपवाद है. गैरसरकारी संगठन "डिस्लेक्सिया एंड लिटरेसी इंटरनेशनल" की रिपोर्ट के मुताबिक ज़्यादातर देश डिस्लेक्सिया से पीड़ित कर्मचारियों की परवाह नहीं कर रहे.
हालांकि यह पता लगाना मुश्किल है कि दुनिया भर में कितने लोग इससे ग्रसित हैं, डिस्लेक्सिया एंड लिटरेसी इंटरनेशनल का मानना है कि कम से कम 10 फ़ीसदी आबादी यानी 70 करोड़ लोगों को डिस्लेक्सिया है.
इस एनजीओ के मुताबिक बुनियादी साक्षरता कौशल की कमी का मतलब है कि बहुत सारे युवाओं में उस कार्य कौशल का अभाव है जिससे वे आधुनिक दुनिया में अपने लिए रास्ता बना सकें.
यहां तक कि अमीर देशों में भी, जहां सभी पृष्ठभूमि के बच्चों के लिए सार्वजनिक शिक्षा उपलब्ध है, संसाधनों का असमान वितरण विशेष ज़रूरत वाले छात्रों के लिए उपलब्ध सेवाओं में बड़े अंतर ला सकते हैं.
पहचान और प्रभावी हस्तक्षेप के बिना डिस्लेक्सिया न केवल व्यक्ति, बल्कि समाज पर भी महत्वपूर्ण और दीर्घकालिक असर छोड़ता है.
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सीखने के वैकल्पिक तरीके
ब्रिटेन की एस्टन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जोएल बी. टैल्कॉट कहते हैं, "डिस्लेक्सिया से ग्रसित ज़्यादातर वयस्क लोगों के लिए पढ़ना जीवन भर का अनुभव होता है जिसमें वे वैकल्पिक तरीकों से काम करना सीखते हैं."
इन तरीकों में शब्दों को रटकर या कभी-कभी पाठ को बीच-बीच से पढ़ना भी शामिल होता है.
"कुछ परिस्थितियों में जहां उच्च कौशल के साथ पढ़ाई की ज़रूरत होती है, ये मांगें व्यक्ति की निजी क्षमता से बाहर हो जाती हैं तब मुश्किलें शुरू होती हैं."
टैल्कॉट का कहना है कि कुछ मामलों में यह ब्रेकिंग पॉइंट भी हो सकता है, जिसमें व्यक्ति को पहली बार पता चलता है कि उसे पढ़ने में कठिनाई हो रही है या वह अपने साथियों से अलग तरीके से पढ़ता है.
केपीएमजी फ़ाउंडेशन ने 2006 में एक रिसर्च प्रकाशित की थी जिसमें डिस्लेक्सिया को नज़रअंदाज़ करने की सामाजिक लागत का विश्लेषण किया गया था.
इसमें बेरोज़गारी, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, इलाज के ख़र्च, नशीली चीजों का सेवन, समय-पूर्व गर्भाधान और न्याय प्रणाली पर होने वाले ख़र्च को शामिल किया गया था.
केपीएमजी रिपोर्ट में पाया गया कि ब्रिटेन में किसी व्यक्ति के जीवनकाल में यह लागत 5,000 पाउंड से लेकर 64,000 पाउंड तक हो सकती है.
इस तरह (पूरे ब्रिटेन में) इसकी सालाना लागत 19.8 करोड़ पाउंड से लेकर 250 करोड़ पाउंड तक बैठती है. शुरुआत में ही इस पर ध्यान देने पर इतनी लागत नहीं आएगी.
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नौकरी की बाधाएं
2018 में वेस्टमिंस्टर अचीवेबिलिटी कमीशन (WAC) ने पाया कि कि लाखों न्यूरोडायवर्जेंट (जिनके मस्तिष्क अलग तरीके से काम करते हैं, सीखते हैं और सूचनाओं को संसाधित करते हैं) के लिए नौकरी पाने में कई रुकावटें हैं.
रिपोर्ट में जागरूकता की व्यापक कमी, सरकारी समर्थन की कमी और दफ़्तरों में भेदभाव का ज़िक्र किया गया.
अधिकतर न्यूरोडायवर्जेंट सक्षम और कुशल हैं, लेकिन भर्ती प्रक्रियाएं उनको अक्षम बनाती हैं.
नौकरी के लिए आवेदन प्रक्रियाओं में रुकावट के कारण 43 फ़ीसदी लोग आवेदन करने में हिचकिचाते हैं. 52 फ़ीसदी लोगों का कहना है कि इंटरव्यू के दौरान उनके साथ भेदभाव किया गया.
ब्रिटिश डिस्लेक्सिया एसोसिएशन की पूर्व अध्यक्ष मार्गरेट मैल्पस कहती हैं, "अगर पढ़ाई के दौरान डिस्लेक्सिया को लेकर आपको नकारात्मक टिप्पणियां सुनने को मिली हैं, जो कि बहुत आम बात है, तो ज़्यादातर वयस्क उसे छिपा लेना पसंद करेंगे."
"बहुत से मामलों में, हमारे दफ़्तरों में अब भी डिस्लेक्सिया को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया जाता."
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ऐतिहासिक मुक़दमा
2016 में ब्रिटेन में डिस्लेक्सिया से ग्रसित एक महिला ने स्टारबक्स के ख़िलाफ़ विकलांगता भेदभाव का मुक़दमा जीता था.
मेसरेट कुमलचेव पर दस्तावेजों में जालसाजी के आरोप लगाए गए थे. ट्रिब्यूनल ने पाया कि मेसरेट को समय पढ़ने, लिखने और बताने में दिक्कत होती थी, इसीलिए उनसे ग़लती हुई थी.
कुमलचेव की वकील जेना इडे कहती हैं, "उन दिनों स्टारबक्स का मुक़दमा बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि डिस्लेक्सिया से जुड़े हाई प्रोफाइल मामले ज़्यादा नहीं थे, ख़ासकर जिनमें किसी बड़ी कंपनी के ख़िलाफ़ कोई अदना कर्मचारी मुक़दमा लड़ रहा हो.
स्टारबक्स की प्रवक्ता जॉर्जिया मिसन का कहना है कि विशेष कर्मचारियों के अनुरूप सहायता प्रदान के लिए कंपनी ने कड़ी मेहनत की है.
"हमने विकलांगता जागरूकता प्रशिक्षण बढ़ाया है. कर्मचारियों को रोजाना के काम में मदद के लिए टैबलेट जैसे नये उपकरण दिए हैं. इसके अलावा कोच भी उपलब्ध रहते हैं."
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जागरूकता नहीं
यूरोप के ज़्यादातर देशों में आयरलैंड या ब्रिटेन की तरह कर्मचारियों के लिए इतनी जागरूकता या सुरक्षा नहीं है.
फ़्रांस की बेनेडिक्ट ब्यूजॉइस डिस्लेक्सिया से ग्रसित हैं और डिजिटल मार्केटिंग में काम करती हैं. उन्होंने डिस्लेक्सिया एंड लिटरेसी इंटरनेशनल के लिए भी काम किया है.
वह कहती हैं, "फ़्रांस में दफ़्तरों में डिस्लेक्सिया से ग्रसित होना अब भी बुरा समझा जाता है. दफ़्तर में मुझे कोई मदद नहीं मिली."
"मैं डिस्लेक्सिया होने के बारे में लंबे समय तक झूठ बोलती रही, जब तक कि मैं लंदन नहीं चली गई. अब मुझे इस पर गर्व है."
यूरोपीय डिस्लेक्सिया संघ के मुताबिक विकलांगों के अधिकार के बारे में संयुक्त राष्ट्र का घोषणापत्र और रोज़गार में समान व्यवहार के बारे में यूरोपीय संघ के निर्देश भेदभाव का निषेध करते हैं और ये क़ानूनन बाध्यकारी हैं.
फिर भी, यूरोप में दफ़्तरों के लिए फिलहाल डिस्लेक्सिया को लेकर कोई विशेष क़ानून नहीं है.
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समावेशी दफ़्तर
ब्रिटेन में समानता क़ानून 2010 के तहत डिस्लेक्सिया को विकलांगता माना गया है.
भेदभाव रोकने और क़ानून के अनुपालन के लिए नियोक्ताओं को दफ़्तर में ज़रूरी समायोजन करने पड़ते हैं.
हालांकि इस पर भ्रम है कि कर्मचारी को अपने डिस्लेक्सिया से ग्रसित होने की घोषणा करने का सही समय क्या है.
इडे कहती हैं, "वे इस बारे में नियोक्ता को कभी भी बता सकते हैं, नियुक्ति के समय भी. यदि नियोक्ता को कर्मचारी के डिस्लेक्सिया से ग्रसित होने के बारे में पता है तो नियमानुसार उसके लिए क़ानूनी संरक्षण होना चाहिए."
"इसलिए इसे जितनी जल्दी बता दें उतना अच्छा है- मतलब यह कि रोज़गार की शुरुआत से ही उचित समायोजन किया जा सकता है."
नसीर सियाबी डिस्लेक्सिया से ग्रसित कर्मचारियों के लिए मददगार तकनीक अपनाने के लिए कंपनियों को प्रोत्साहित करते हैं.
सियाबी और उनका परिवार 1977 में ईरान से ब्रिटेन आ गए थे. उनकी पृष्ठभूमि कंप्यूटर साइंस और टेक्नोलॉजी की थी, लेकिन उनकी आंखों की रोशनी कमज़ोर थी.
1992 में उन्होंने माइक्रोलिंक कंपनी बनाई. इस कंपनी के पास कई तरह की तकनीक और उपकरण हैं जिनसे सीखने की कठिनाई दूर की जाती है.
सियाबी का कहना है कि उनकी तकनीक का पहला मकसद प्रभावी तरीके से संचार की क्षमता को बहाल करना है.
"डिस्लेक्सिया से ग्रसित जो लोग पहले टाइप करके नहीं लिख पाते थे, वे अब कंप्यूटर पर अपनी आवाज़ के जरिये लिख सकते हैं."
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तकनीक की मदद
ब्रिटेन में बजट घटने के बावजूद कुछ सार्वजनिक सेवाएं इस तकनीक में निवेश कर रही हैं, जो कामयाब हो रही हैं.
हैंपशायर पुलिस ऐसी तकनीक और समायोजन को अपना रही है जो डिस्लेक्सिया से ग्रसित कर्मचारियों के लिए सहायक हैं.
इसमें कई चीजें शामिल हैं. जैसे- किसी एक शब्द को तलाशने का अभ्यास कराने वाली किताब, कंप्यूटर स्क्रीन का रंगीन कवर, मीटिंग के लिए स्मार्ट पेन जो ऑडियो रिकॉर्ड कर सके और नोट्स ले सके, पेपर वर्क और परीक्षा के लिए अतिरिक्त समय और ध्यान भटकने से बचने के लिए शांत कमरा.
हैंपशायर पुलिस नियुक्ति और प्रशिक्षण के दौरान स्क्रीनिंग भी करती है, जिससे डिस्लेक्सिया होने पर शुरुआत से ही मदद दी जा सके.
इस कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाले इंस्पेक्टर पीटर फिलिप्स का कहना है कि एक व्यक्ति की डिस्लेक्सिया दूसरे से बहुत अलग हो सकती है, इसलिए उनको दी जाने वाली सहायता व्यक्ति विशेष की विशिष्ट ज़रूरतों और उनकी भूमिका के अनुरूप होनी चाहिए.
इसके फायदे बेहतर उपस्थिति (तनाव और चिंता में कमी) और बेहतर प्रदर्शन (अपनी क्षमताओं के बारे में आत्मविश्वास में बढ़ोतरी) के रूप में दिखते हैं.
तीन साल पहले हैंपशायर पुलिस में काम शुरू करने वाले थॉमस स्मिथ को पता भी नहीं था कि वह डिस्लेक्सिया से ग्रसित हैं.
वह कहते हैं, "मैंने अपना पूरा जीवन यह सोचकर काट दिया कि मैं सुस्त या मूर्ख हूं."
"पुलिस की नौकरी में मुझे दिन भर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत होती है. मुझे संख्याएं, क्रम, कोड और संक्षिप्त शब्द याद रखने पड़ते हैं. कई बार इन सबका घालमेल हो जाता है."
"अब मुझे डिस्लेक्सिया का पता चला. इससे मुझे ख़ुद को समझने में मदद मिली है. मुझे अब भी डिस्लेक्सिया है, लेकिन अब मैं पहले जैसा नहीं हूं."
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रचनात्मक क्षमता
बीमा कंपनी डायरेक्ट लाइन ग्रुप में मार्केटिंग और डिजिटल के मैनेजिंग डायरेक्टर मार्क इवांस ने अपनी कंपनी में डिस्लेक्सिया पर बहुत ध्यान दिया है. उनकी बेटी को भी डिस्लेक्सिया है.
न्यूरोडायवर्सिटी पर चर्चा को प्रोत्साहित करने के लिए उनकी कंपनी ने बाहरी विशेषज्ञों और वक्ताओं को बुलाया.
कंपनी की नीतियों और प्रक्रियाओं को समायोजित किया गया और सहायता समूह बनाए गए.
इवांस कहते हैं, "न्यूरोडायवर्जेंट कर्मचारियों की क्षमता का पूरा इस्तेमाल नहीं होता. अगर उनकी मदद की जाए तो हम उनकी सुपरपावर को जगा सकते हैं."
उनको लगता है कि ऐसा करना अब ज़्यादा प्रासंगिक हो रहा है. जैसे-जैसे मशीन लर्निंग और कृत्रिम मेधा विकसित हो रही है, व्यवसायों को प्रतियोगी बने रहने के लिए रचनात्मकता पर जोर देना होगा.
ब्रिटिश डिस्लेक्सिया एसोसिएशन की मार्गरेट मैल्पस कहती हैं, "मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है कि सूचनाओं को अलग तरह से प्रॉसेस करने वाले डिस्लेक्सिक मस्तिष्क में अलग तरह की प्रतिभा होती है."
"ऐसी प्रतिभाओं को निखारने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि जितनी जल्दी हो सके उनको पहचाना जाए और उसके अनुरूप उनकी सहायता की जाए. उनके दिमाग में कमाल करने की काबिलियत होती है."
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