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Wednesday, February 15, 2023

जनकृति : भाषा प्रौद्योगिकी विशेषांक सूचना-2

 जनकृति के भाषा प्रौद्योगिकी विशेषांक के लिए इस विषय से जुड़े विद्वानों के आलेख आमंत्रित हैं। अपने लेखन के माध्यम से इस क्षेत्र में हिंदी में सामग्री संवर्धन करने में योगदान करने का अनुरोध है...

10 मार्च तक निम्नलिखित ईमेल आईडी पर आलेख भेजें अथवा डॉ. कुमार गौरव मिश्र को सीधे भी भेजे जा सकते हैं-

jankritipatrika@gmail.com (या/और) ltstudymat@gmail.com

नोट- दूसरी ई-मेल में पहला कैरेक्टर स्माल एल है।




वैश्विक परिप्रेक्ष्य में हिंदी कहाँ है? - प्रो. गिरीश्वर मिश्र

लिंक-

वाग्दोष चिकित्सा (Speech Therapy)

 वाग्दोष चिकित्सा (Speech Therapy)

इसे कुछ विद्वानों द्वारा वाक् चिकित्सा भी कहा गया है। भाषा व्यवहार में वाक् संबंधी विकारों (Speech Disorders) की चिकित्सा वाग्दोष चिकित्सा कहलाती है। इसकी अंग्रेजी में परिभाषा प्रकार से देख सकते हैं-

therapeutic treatment of impairments and disorders of speech, voice, language, communication, and swallowing

(स्रोत- https://www.merriam-webster.com/dictionary/speech%20therapy)

भाषा सीखना मानव मन तथा मस्तिष्क के लिए एक जटिल प्रक्रिया है। आज भी यह शोध का विषय है कि इतनी कम आयु में मानव शिशु इतनी सहजता से अपने परिवेश से भाषा को कैसे सीख लेता हैएक मानव शिशु के भाषा  व्यवहार करने योग्य अर्जन के संबंध में 3 पक्ष महत्वपूर्ण हैं- 

(क) भाषायी ध्वनियों का सही-सही उच्चारण सीखना

इसका संबंध ध्वनि के उच्चारण अर्थात वाक् अंगों (Speech organs) के ठीक से प्रयोग करने से है। भाषा की प्रत्येक ध्वनि सांस लेने के पश्चात अंदर से बाहर आती हुई हवा को एक निश्चित उच्चारण स्थान पर एक निश्चित प्रकार के परिवर्तन द्वारा निर्मित होती है। मानव शिशु बाह्य संसार में लोगों को केवल बोलते हुए सुनता है, किंतु अनुमान से उन स्थानों पर हवा को परिवर्तित करते हुए ध्वनियों का उच्चारण सीखता है। यदि सीखने में कोई कमी रह जाए तो किसी ध्वनि विशेष के उच्चारण में उसे समस्या हो सकती है।

(ख) मन में विचार उत्पन्न होने पर उसे व्यक्त करने के लिए ठीक वाक्य का निर्माण करना

हमारे मन में अमूर्त रूप से केवल विचार उत्पन्न होते हैं। हम उन विचारों के आधार पर वाक्य का निर्माण करते हैं। उदाहरण- जैसे प्यास लगने पर पानी मांगना, किंतु पानी मांगने के लिए किन शब्दों का और किस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करते हुए वाक्य का निर्माण किया जाएगा? इसके लिए एक मस्तिष्क की प्रक्रिया काम करती है, जो ठीक से काम करें तभी सटीक वाक्य का निर्माण होता है। इसमें किसी भी प्रकार की त्रुटि होने की स्थिति में त्रुटिपूर्ण बात के निर्मित होने की संभावना बनी रहती है।

(ग) किसी और द्वारा कोई बात कहे जाने पर उसे ठीक-ठीक सुनकर समझना

इसका संबंध हमारे श्रवण अंगों (Auditory organs) तथा उनसे संबंधित मस्तिष्क प्रक्रिया से है। यदि श्रवण अंग ठीक से काम न करते हों, तो हम ठीक से ध्वनियों को नहीं सुन सकते और किसी ध्वनि विशेष की जगह हमें दूसरी ध्वनि सुनाई पड़ सकती है। ऐसी स्थिति में भाषा व्यवहार प्रभावित होता है, किंतु मानव शिशु अपने परिवेश से यह भी अत्यंत सरलतापूर्वक सीख लेता है।

एक निश्चित उम्र तक यदि मानव शिशु में भाषा व्यवहार संबंधी इन क्षमताओं का विकास नहीं हो पाता, तो उसके भाषा व्यवहार में आने वाली समस्या को वाग्दोष की समस्या कहते हैं। इसके मुख्यतः 03 प्रकार के संभावित कारण हो सकते हैं-

§  वाक अंगों या श्रवण अंगूर में कोई कमी होना

§  मस्तिष्क में कोई न्यूरोलॉजिकल विकार होना

§  शिशु के भाषा अर्जन में कोई समस्या होने के कारण उच्चारण अथवा श्रवण में कोई कमी रह जाना

इनमें से तीसरे प्रकार की समस्या होने पर सजग भाषा शिक्षण, अभ्यास या चिकित्सा के माध्यम से उसे दूर किया जा सकता है, जिसे वाग्दोष चिकित्सा कहते हैं। यह भाषाविज्ञान के व्यावहारिक अनुप्रयोग का क्षेत्र है। 

भाषा व्यवहार के समय उत्पन्न होने वाली कुछ विशेष प्रकार की स्थितियों, जैसे- हकलाना या एक ध्वनि के स्थान पर दूसरी ध्वनि का उच्चारण करना आदि की चिकित्सा इसके माध्यम से की जा सकती है। एक ध्वनि के स्थान पर दूसरी ध्वनि का उच्चारण करना भाषा में पाई जाने वाली ध्वनियों की समानता और विषमता पर निर्भर करता है। उदाहरण के लिए हिंदी में कुछ ध्वनियों के संदर्भ में उच्चारण संबंधी समस्या कुछ विद्यार्थियों में देखी जा सकती है, जिसे बच्चों के संदर्भ में तुतलाना के नाम से भी जानते हैं-

§  '' की जगह '' या '' की जगह '' का उच्चारण करना

§  '' की जगह '' या '' की जगह '' का उच्चारण करना

§  '' की जगह '' या '' की जगह '' का उच्चारण करना

 आदि।

रचना की दृष्टि से शब्द के प्रकार

 रचना की दृष्टि से शब्द के प्रकार

रचना की दृष्टि से शब्द के मूलतः दो भेद किए जा सकते हैं-

§  मूल शब्द

§  निर्मित शब्द

(क) मूल शब्द (Root word)

वे शब्द जिनके और अधिक सार्थक खंड नहीं किए जा सकते, मूल शब्द कहलाते हैं अर्थात ऐसे शब्दों का विश्लेषण शब्द रचना की दृष्टि से नहीं किया जा सकता, उनमें आई हुई ध्वनियों के विश्लेषण की दृष्टि से किया जा सकता है। इस प्रकार के शब्द केवल ध्वनियों के संयोजन से बने होते हैं। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो ऐसे शब्दों में उपसर्ग, प्रत्यय आदि किसी भी प्रकार के सार्थक खंड का योग नहीं होता, जैसे- घर, राष्ट्र, देश, लड़का, आम, अच्छा, खेल, जा, बैठ, दूर, पास आदि।

() निर्मित शब्द (Derived/Generated Word)

वे शब्द जो मूल शब्दों में उपसर्ग, प्रत्यय आदि जोड़कर, एक से अधिक मूल शब्दों के योग से अथवा किसी भी शब्द निर्माण विधि से बने होते हैं, निर्मित शब्द कहलाते हैं, जैसे-

घर से घरेलू

राष्ट्र से राष्ट्रीय

लड़का से लड़कपन

अच्छा से अच्छाई

दूर से दूरी                              आदि

इन शब्दों का रचना की दृष्टि से विश्लेषण किया जा सकता है तथा इनमें आए हुए मूल शब्द और उपसर्ग/ प्रत्यय अथवा एक से अधिक मूल शब्दों को अलग-अलग किया जा सकता है

अतः शब्द संरचना या विश्लेषण की दृष्टि से देखा जाए तो मूल शब्दों का विश्लेषण नहीं किया जाता, बल्कि किसी भाषा को सीखने की दृष्टि से केवल उन्हें याद किया जाता है। शब्द संरचना विश्लेषण की दृष्टि से निर्मित शब्दों का विश्लेषण किया जा सकता है, जिसके लिए हमें शब्द निर्माण की विधियों का ज्ञान होना आवश्यक है।

शब्द निर्माण की विधियाँ

 किसी भी भाषा में शब्द निर्माण विविध प्रकार की विधियों से किया जाता है, जिन्हें मुख्य रूप से तीन वर्गों में वर्गीकृत करके देख सकते हैं-  शब्द और शब्दांश योगएकाधिक मूल शब्द योग तथा अन्य विधियाँ । हिंदी के संदर्भ में शब्द निर्माण की निम्नलिखित विधियाँ देखी जा सकती हैं –

§  उपसर्ग योग

§  प्रत्यय योग

§  उपसर्ग और प्रत्यय योग

§  समाज

§  संधि

§  पुनरुक्ति

§  प्रति ध्वन्यात्मक शब्द निर्माण

§  अन्य 

(संक्षिप्त रूप (Abbreviation), संकुचित शब्द (Contraction), परिवर्णी शब्द (Acronym), कतित रूप (Clipped form))

इन्हें निम्नलिखित लिंक पर विस्तार से पढ़ सकते हैं-

 शब्द निर्माण की विधियाँ


शब्द निर्माण की विधियाँ

 शब्द निर्माण की विधियाँ

रचना की दृष्टि से शब्द के मूलतः दो भेद किए जा सकते हैं-

§  मूल शब्द

§  निर्मित शब्द

इनमें से निर्मित शब्दों की रचना होती है, जिसके बारे में विवरण निम्नानुसार है- 

किसी भी भाषा में शब्द निर्माण विविध प्रकार की विधियों से किया जाता है, जिन्हें मुख्य रूप से तीन वर्गों में वर्गीकृत करके देख सकते हैं-  शब्द और शब्दांश योगएकाधिक मूल शब्द योग तथा अन्य विधियाँ । हिंदी के संदर्भ में शब्द निर्माण की निम्नलिखित विधियाँ देखी जा सकती हैं –

§  उपसर्ग योग

§  प्रत्यय योग

§  उपसर्ग और प्रत्यय योग

§  समाज

§  संधि

§  पुनरुक्ति

§  प्रति ध्वन्यात्मक शब्द निर्माण

§  अन्य 

(संक्षिप्त रूप (Abbreviation), संकुचित शब्द (Contraction), परिवर्णी शब्द (Acronym), कतित रूप (Clipped form))

इन्हें निम्नलिखित लिंक पर विस्तार से पढ़ सकते हैं-

 

(1) उपसर्ग योग : मूल शब्द अथवा निर्मित शब्दों में उपसर्ग जोड़कर नए शब्द बनाने की विधि उपसर्ग योग कहलाती है, जैसे-

अ + ज्ञान  = अज्ञान

अ + ज्ञात = अज्ञात

प्र + विशेषण = प्रविशेषण 

 यहां ध्यान रखने वाली बात है कि उपसर्ग मूल शब्द और निर्मित शब्द दोनों में जोड़े जा सकते हैंजैसे-

(अ) मूल शब्द के साथ उपसर्ग योग

§  देश => विदेश, प्रदेश

§  वाद  => विवाद, प्रतिवाद, अनुवाद

(आ) निर्मित शब्द के साथ उपसर्ग योग

§  उपसर्ग वाले शब्द के साथ उपसर्ग योग

सं + विधान = संविधान

§  प्रत्यय वाले शब्द के साथ उपसर्ग योग

वि + देशी = विदेशी

§  उपसर्ग और प्रत्यय वाले शब्द के साथ उपसर्ग योग

अ + संवैधानिक = असंवैधानिक

§  सामासिक शब्द के साथ उपसर्ग अयोग

उप + प्रधानमंत्री = उपप्रधानमंत्री

(2) प्रत्यय योग : मूल शब्द अथवा निर्मित शब्दों में प्रत्यय जोड़कर नए शब्द बनाने की विधि उपसर्ग योग कहलाती है, जैसे-

ज्ञान + ई = ज्ञानी

ज्ञात + आ = ज्ञाता

प्र्त्यय भी मूल शब्द और निर्मित शब्द दोनों में जोड़े जा सकते हैं, जैसे-

(अ) मूल शब्द के साथ प्रत्यय योग

§  देश => विदेश, प्रदेश

§  वाद  => विवाद, प्रतिवाद, अनुवाद

(आ) निर्मित शब्द के साथ प्रत्यय योग

§  उपसर्ग वाले शब्द के साथ प्रत्यय योग

संविधान + इक = संवैधानिक

§  प्रत्यय वाले शब्द के साथ प्रत्यय योग

राष्ट्रीय + ता = राष्ट्रीयता 

§  उपसर्ग और प्रत्यय वाले शब्द के साथ प्रत्यय योग

संवैधानिक + ता = संवैधानिकता

§  सामासिक शब्द के साथ प्रत्यय योग

भाषाविज्ञान + इक =  भाषावैज्ञानिक

(3) उपसर्ग एवं प्रत्यय योग

यह किसी मूल शब्द अथवा निर्मित शब्द में उपसर्ग और प्रत्यय दोनों जोड़ने की विधि है। हिंदी में उपसर्ग वाले शब्द में भी प्रत्यय जोड़कर नया शब्द बनाया जा सकता है, अथवा प्रत्यय वाले शब्द में भी उपसर्ग जोड़कर नया शब्द बनाया जा सकता है, जैसे- मानवता, विदेशी, विशेषता आदि।

 यहाँ ध्यान रखने वाली बात है कि कई बार शब्दों में उपसर्ग तभी जुड़ते हैं, जब उनके साथ पहले प्रत्यय आया हो। 

इसी प्रकार कई बार प्रत्यय तब जुड़ते हैं, जब शब्द के साथ पहले से उपसर्ग आया हो।

अतः यह दोनों उपसर्ग एवं प्रत्यय योग से शब्द निर्माण के दो अलग-अलग विधियां हैं। इन्हें निम्नलिखित प्रकार से समझ सकते हैं-

 उपसर्ग युक्त शब्द के साथ प्रत्यय जोड़ना

 विशेष + ता = विशेषता

 इसमें बिना उपसर्ग के मूल शब्द के साथ प्रत्यय नहीं जोड़ा जा सकता, क्योंकि 'शेषता' जैसा कोई शब्द नहीं होता।

प्रत्यय युक्त शब्द के साथ उपसर्ग जोड़ना

अ + मानवता = अमानवता

इसमें बिना 'ता' प्रत्यय के '' उपसर्ग का प्रयोग नहीं किया जा सकता, क्योंकि 'अमानव' जैसा कोई शब्द नहीं होता। 

 कुछ शब्दों के संदर्भ में एक ही शब्द की दोनों प्रकार से व्याख्या की जा सकती है-

 विदेशी = वि + देशी

विदेशी = विदेश + ई

(4) समास

इसके बारे में निम्नलिखित लिंक पर विस्तार से पढ़ सकते हैं-

हिंदी में समास (compounding in Hindi)

(5) संधि

इसके बारे में निम्नलिखित लिंक पर विस्तार से पढ़ सकते हैं-

संधि

(नोट- संधि और समास के बारे में इंटरनेट पर ऑनलाइन कई वेबसाइटों पर सामग्री उपलब्ध है। उसका स्वयं से अध्ययन करें।)

(6) पुनरुक्ति

एक ही शब्द का एक से अधिक बार (सामान्यतः दो बार) प्रयोग करके उससे दूसरे प्रकार का शब्द बनाना पुनरुक्ति कहलाता है, जैसे -

 वह घर-घर गया। (घर-घर)

 जो भी अच्छा-बुरा होगा, देखा जाएगा। (अच्छा-बुरा)

  पुनरुक्ति के दो प्रकार किए जाते हैं-

(क) पूर्ण पुनरुक्ति :  

जब पूरा शब्द दो बार प्रयुक्त होता है तो उसे पूर्ण पुनरुक्ति कहते हैं, जैसे- घर-घर, बार-बार, थोड़ा-थोड़ा, देखते-देखते आदि।

पूर्ण पुनरुक्ति का एक प्रकार समान अर्थ रखने वाले सार्थक शब्दों का प्रयोग करके पुनरुक्त शब्द बनाना भी है, जैसे- घर-बार, साथ-संगत, बाग-बगीचा आदि।

इसका दूसरा प्रकार विलोम शब्दों का प्रयोग करके पुनरुक्त शब्द बनाना है, जैसे- दिन-रात, इधर-उधर, ऊपर-नीचे आदि।

(नोट- जब किसी शब्द की पूर्ण पुनरुक्ति होती है तो दोनों के बीच में डैश का प्रयोग किया जाता है।)

(ख) आंशिक पुनरुक्ति :  

जब पहला शब्द सार्थक होता है और दूसरा शब्द उसी शब्द की पहली ध्वनि के स्थान पर '' या '' आदि का प्रयोग करते हुए निर्मित निरर्थक शब्द होता है, तो ऐसी पुनरुक्ति को आंशिक पुनरुक्ति कहते हैं, जैसे- चाय-वाय, घर-वर, कमरा-समरा, चाय-साय आदि।

(7) प्रति धवन्यात्मक शब्द निर्माण

बाह्य संसार में होने वाली ध्वनियों का अनुकरण करते हुए निर्मित किए जाने वाले शब्द इसके अंतर्गत आते हैं। इस प्रक्रिया से बनने वाले शब्द भी सामान्यतः पुनरुक्त शब्दों की तरह ही होते हैं, जैसे- धाँय, भौं-भौं, ठक-ठक आदि। 

(8) अन्य

इसके अंतर्गत अंग्रेजी के प्रभाव से हिंदी में आई हुई शब्द निर्माण की कुछ पद्धतियां रखी जा सकती हैं जिनमें से तीन महत्वपूर्ण हैं जिन्हें 'हिंदी की रूप संरचना' शीर्षक के अंतर्गत m.a. हिंदी में दूर शिक्षा निदेशालय, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा  की सामग्री में इस प्रकार से दिया गया है-

ज)    संक्षिप्त रूप (Abbreviation)शब्दों के आरंभ स्थान से कुछ वर्णों को लेकर भी बनाए गए शब्द इस श्रेणी में आते हैं। यह प्रक्रिया मूलतः अंग्रेजी जैसी भाषाओं में अपनाई जाती है, जैसे- professor के लिए prof., doctor के लिए dr. आदि। इन शब्दों का हिंदी में भी प्रो., डॉ. आदि के रूप में प्रचलन देखा जा सकता है।

(झ)    संकुचित शब्द (Contraction)यह भी अंग्रेजी (या इस प्रकार की) भाषाओं में शब्द-निर्माण की विशेषता है, जैसे- I am के लिए I’m, it is या it has के लिए it’s, she will के लिए she’ll आदि।

(ञ)    परिवर्णी शब्द (Acronym)कई शब्दों वाले किसी नाम के शब्दों के प्रथम वर्णों या अक्षरों को मिलाने से बनने वाले शब्दपरिवर्णी शब्दकहलाते हैं। यह भी हिंदी में अंग्रेजी के प्रभाव से आया है, जैसे- भाजपा, BBC आदि।

(ट)      कतित रूप (Clipped form)यह भी मुख्यतः अंग्रेजी (या इस प्रकार की) भाषाओं में शब्द-निर्माण की विशेषता है। प्रायः ऐसे शब्दों का हिंदी में देवनागरीकरण कर लिया जाता है, जैसे- telephone के लिए ‘phone’ को हिंदी मेंफोन’, gymnasium के लिए ‘gym’ को हिंदी मेंजिमआदि।