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Sunday, July 4, 2021

भाषा शिक्षण में परीक्षण और मूल्यांकन (Testing and Evaluation in Language Teaching)

 भाषा शिक्षण में परीक्षण और मूल्यांकन 

(Testing and Evaluation in Language Teaching)


किसी अध्येता को एक भाषा सिखाने की प्रक्रिया भाषा शिक्षण है। सीखने और सिखाने के आधार पर भेद की दृष्टि से भाषाओं के निम्नलिखित प्रकार किए जाते हैं -

इनमें से किसी भी प्रकार की भाषा के लिए भाषा शिक्षक एक पूरी प्रक्रिया अपनाता है और शिक्षण कार्य करता है। अध्येता के नामांकन से लेकर शिक्षण तक की प्रक्रिया को भाषा शिक्षण प्रक्रिया कहते हैं। इसके कई चरण होते हैं, जिनकी चर्चा पहले ही की जा चुकी है।


इन चरणों में 'परीक्षण' भी एक महत्वपूर्ण चरण है जो भाषा शिक्षण के दौरान या भाषा शिक्षण के पश्चात नियमित अंतराल पर किया जाता रहता है।

परीक्षण (Testing)-

किसी भी प्रकार की औपचारिक शिक्षण प्रक्रिया में यह जानने का प्रयास करना कि शिक्षार्थी कितना सीख पाया है परीक्षण है। किसी भी विषय के, किसी भी स्तर पर किए जाने वाले शिक्षण में एक नियमित अंतराल के बाद हम परीक्षण अवश्य करते हैं, क्योंकि उससे ही हमें पता चल पाता है कि शिक्षार्थी कितना सीख पाया है ।

भाषा शिक्षण में भी शिक्षक एक नियमित अंतराल के बाद शिक्षार्थी का परीक्षण करते हैं और यह जानने का प्रयास करते हैं कि शिक्षण प्रक्रिया में वह कितना सीख पाया है ।

परीक्षण के लिए शिक्षक भिन्न भिन्न प्रकार की पद्धतियों का प्रयोग करता है और शिक्षार्थी उसमें सहभागी होता है। 

परीक्षण पर दो दृष्टि से विचार किया जा सकता है - परंपरावादी दृष्टि और आधुनिक दृष्टि|

परंपरावादी दृष्टि परीक्षण को क्रमशः उच्चतर शिक्षा में जाने का आधार बनाती है| इसमें क्रमशः परीक्षण किया जाता है तथा विद्यार्थियों को उत्तीर्ण और अनुत्तीर्ण में विभाजित करते हुए उत्तीर्ण हो चुके विद्यार्थियों को ऊपर की कक्षाओं में प्रवेश दिया  जाता है ।

आधुनिक दृष्टि परीक्षण को शिक्षण प्रक्रिया का ही एक अंग मानती है। वह यह मानती है कि पूरी तरह से शिक्षण करने के लिए यह आवश्यक है कि बीच-बीच में परीक्षण करते हुए हम यह भी जानने का प्रयास करते रहें कि विद्यार्थी किन पक्षों को अच्छी तरह से या ठीक से सीख चुका है और किनमें उसे सीखने में कमी रह गई है, ताकि बाद में सुधारात्मक शिक्षण द्वारा उन्हें दूर किया जा सके। अतः आधुनिक दृष्टि से परीक्षण के स्वरूप से संबंधित निम्नलिखित बातें कही जा सकती हैं-

परीक्षण शिक्षण प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण अंग है 

इसमें छात्र सहभागी होता है 

 शिक्षक इसमें निरीक्षक की भूमिका में रहता है और परीक्षण प्रक्रिया की उपयुक्तता तथा वस्तुनिष्ठता पर अपने आप को केंद्रित रखता है 

परीक्षण का उद्देश्य छात्रों की कमियों को दूर करते हुए उनकी क्षमता में संपूर्णता लाना है



मूल्यांकन (Evaluation)

 शिक्षक द्वारा शिक्षण के उपरांत परीक्षण प्रक्रिया में विभिन्न विधियों का प्रयोग करते हुए छात्रों से जो सामग्री प्राप्त होती है, उसका वह मूल्यांकन करता है, जिससे यह पता चल सके कि विद्यार्थी में कहां कमियां रह गई हैंं। अतः मूल्यांकन परीक्षण का ही अगला चरण है। शिक्षण और परीक्षण की संपूर्णता वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन में ही छुपी हुई रहती है। अतः शिक्षक को समुचित प्रकार से विद्यार्थी द्वारा परीक्षण में संपादित व्यवहार का मूल्यांकन करना चाहिए।

शिक्षक को मूल्यांकन के समय यह ध्यान रखना चाहिए कि मूल्यांकन का उद्देश्य उन सूचनाओं को प्राप्त करना है, जिनके आधार पर पाठ्यक्रम और शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाया जा सके तथा इसे छात्रों के लिए अधिक से अधिक उपयोगी और सरल, सहज किया जा सके । साथ ही शिक्षक यह भी देखता है कि विद्यार्थी में जो कमियाँ प्राप्त हो रही हैं, उनका पैटर्न क्या है? इससे उस विद्यार्थी की कमियों को दूर करने का अवसर तो मिलता ही है साथ ही साथ अन्य विद्यार्थियों का शिक्षण किस प्रकार से किया जाए कि वे कमियाँ न रह जाएँ। इनके लिए भी एक दृष्टि प्राप्त होती है ।


संपूर्ण शिक्षण प्रक्रिया में परीक्षण और मूल्यांकन की स्थिति इस प्रकार से प्राप्त होती है -


प्रवेश 

अध्यापन या शिक्षण 

परीक्षण 

मूल्यांकन 

सुधारात्मक शिक्षण 


परीक्षण और मूल्यांकन में संबंध

 परीक्षण और मूल्यांकन एक ही कार्य के दो चरण हैं। परीक्षण इसमें पहली गतिविधि है, जिसमें विद्यार्थी सहभागी होता है और मूल्यांकन दूसरी गतिविधि है जिसमें शिक्षक सहभागी होता है। परीक्षण के लिए शिक्षक विभिन्न प्रकार के प्रश्न-पत्र या गतिविधियों का निर्माण करता है, जिनमें विभिन्न भाषाई कौशलों के संदर्भ में विद्यार्थी अपना ज्ञान प्रस्तुत करता है और उस प्रस्तुति के आधार पर शिक्षक मूल्यांकन करता है। अतः दोनों ही एक ही प्रक्रिया के अंग हैं।


परीक्षण और मूल्यांकन के विविध रूप 

परीक्षण हेतु प्रयुक्त सामग्री, प्रश्न-पत्र या गतिविधि के अनुसार परीक्षण कई रूपों में किया जाता है इनमें से कुछ प्रमुख को इस प्रकार से देख सकते हैं -


मौखिक वाचन 

श्रुतलेखन

भाषा प्रयोगशाला में उच्चारण परीक्षण

पाठ लेखन/निबंध लेखन 

शब्द का शब्दार्थ लेखन 

आधारभूत शब्दावली लेखन 

सेमिनार 

टर्म पेपर 

वाद विवाद 

कक्षा में प्रस्तुति 

भाषाई गेम 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न पत्र 

मिश्रित प्रश्न पत्र (वस्तुनिष्ठ प्रश्न, लघु उत्तरीय प्रश्न, दीर्घ उत्तरीय प्रश्न )

व्याख्या (paraphrasing)



परीक्षण हेतु प्रश्नों के विविध रूप 

वस्तुनिष्ठ प्रश्न 

लघु उत्तरीय प्रश्न

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

खाली स्थान भरें (वाक्य में, शब्द मेंं)

वर्ग क और ख मिलान करें 

कुछ वर्णों के आधार पर शब्द बनाएं

 कुछ शब्दों के आधार पर वाक्य बनाएं

सही और गलत शब्दों की वर्तनी का परीक्षण करें 

गलत वर्तनी वाले शब्दों की वर्तनी सही करें 

गलत रचना वाले वाक्यों को सुधारें 

वाक्य रूपांतरण करें (सकारात्मक से नकारात्मक, प्रश्नवाचक, कर्मवाच्य आदि)


परीक्षण और भाषा कौशल

 श्रवण कौशल और परीक्षण

 वाचन कौशल और परीक्षा

 पठन कौशल और परीक्षण

 लेखन कौशल और परीक्षण


मूल्यांकन के प्रकार 

रविंद्र नाथ श्रीवास्तव ने अपनी पुस्तक भाषा शिक्षण में मूल्यांकन के प्रकारों को चित्र रूप में इस प्रकार के दर्शाया है -





1 comment:

  1. Sir 🙏 most knowledgeable contant. Sir pls share your contact no

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