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Monday, October 1, 2018

गूगल और दूसरे सर्च इंजन

बी.बी.सी. विशेष

गूगल ने ऐसे दूसरे सर्च इंजनों का खेल ख़त्म कर दिया

गूगलइमेज कॉपीरइटALEXANDER HASSENSTEIN / GET
आपको किसी सवाल का जवाब नहीं पता, या कोई कंफ्यूज़न है या किसी चीज़ के बारे मे ज़्यादा जानकारी चाहिए, तो आप क्या करते है? मुमकिन है कि आपका जवाब हो - गूगल.
गूगल अब हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का हिस्सा बन गया, इंटरनेट पर कुछ लोग इसे अपना दोस्त मानते हैं तो कुछ इसे अपना टीचर कहने से भी नहीं चूकते. इसी हफ्ते गूगल 20 साल का हो गया.
साल दर साल या यूं कहे कि क्लिक दर क्लिक, अपने 20 साल के इतिहास में गूगल इंटरनेट का राजा बनने में कामयाब हो गया. गूगल से पहले भी कई सर्च इंजन थे जिसको लोगों ने जमकर इस्तेमाल किया, लेकिन गूगल के आगे कोई नहीं टिक पाया.
4 सितंबर 1998 को इंजीनियर लैरी पेज और सर्गे ब्रिन ने जानकारियों को एक जगह समेटने के लिए एक प्रोजेक्ट शुरू किया. इसी प्रोजेक्ट की मदद से इन्होंने आगे जाकर बुलंदियों को छुआ. आज गूगल के पास हर दिन लाखों सवाल आते हैं. और इनके फ़ाउंडर अरबों के मालिक हैं.
गूगल का वर्चस्व ऐसा कि हम शायद कभी कल्पना भी नहीं कर पाते कि इससे पहले के सर्च इंजन कैसे होते होंगे. लेकिन गूगल के पहले भी कई सर्च इंजन रहे हैं जिन्होंने सफलता हासिल की थी.

वेब क्रॉलर

वेब क्रॉलर दुनिया का पहला सर्च इंजन था जिसमें आप सभी शब्दों को एक साथ लिखकर सर्च कर सकते थे. इसे गूगल से कई साल पहले डिज़ाइन किया गया था.
गूगलइमेज कॉपीरइटGETTY IMAGES
इसके नाम यानि कि वेब स्पाइडर या वेब क्रॉलर का मतलब एक कंप्यूटर प्रोग्राम से है जिसका अभी भी इस्तेमाल किया जाता है. गूगल ने भी अपनी वेबसाइट पर इसका ब्योरा देते हुए लिखा है, "हम वेब पेज पर जानकारियों के सही तरीके से पेश करने के दौरान सार्वजनिक रुप से मौजूद जानकारियों को जुटाने के लिए के लिए स्पाइडर्स का इस्तेमाल करते हैं."
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इसे अमरीका के वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के एक छात्र ब्रायन पिंकरटन ने बनाया था. साल 1995 में अमरीका ऑनलाइन ( जिसे अब एओएल कहते हैं ) ने ख़रीद लिया था. साल 2001 में ये इन्फ़ोस्पेस नाम की कंपनी के हाथ में चली गई.
काफ़ी कम समय में वेब क्रॉलर लोकप्रिय हो गया था लेकिन कुछ समय बाद ही लीकोस नाम के एक नए सर्च इंजन के आने से इसका इस्तेमाल कम होने लगा.

लीकोस

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साल 1995 में अमरीका के कार्नेगी मेलन विश्वविद्यालय लीकोस नाम का एक रिसर्च प्रोजेक्ट लेकर आई जिसे बाद में टेरा नाम की कंपनी ने इसे ख़रीद लिया. साल 1999 में ये सबसे ज़्यादा विज़िट किए जाने वाली वेबसाइट थी.
लेकिन टेरा के साथ मर्जर विफल रहा, कंपनी दक्षिण कोरियाई कंपनी के हाथों बिकी और फिर इसे एक भारतीय ऑनलाइन मार्केटिंग फ़र्म ने ख़रीदा.

हाई व्यू

साल 1995 में ही अल्टाविस्टा नाम के एक और सर्च इंजन का जन्म हुआ, गूगल के आने से सबसे ज़्यादा नुकसान इसी कंपनी को हुआ.
ये सर्च इंजन बाक़ियों से अलग और तेज़ था लेकिन गूगल इससे भी बेहतर प्रोडक्ट लेकर आया और मार्केट पर कब्ज़ा कर लिया.
गूगलइमेज कॉपीरइटAFP
याहू ने साल 2003 में इसे ख़रीदा था, लेकिन 10 साल बाद इसे बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा.

एक्साइट

एक्साइट साल 1995 में लॉन्च हुआ था और 90 के दशक में ये अमरीका का सबसे पसंदीदा ब्रांड में से एक था, लेकिन सदी के अंत के साथ ही इसका पतन शुरू हो गया.

याहू

याहू ने कामयाबी हासिल की लेकिन इसके संस्थापक अपनी जेबें भरने में लग गए औऱ क्वालिटी में सुधार नहीं हुआ, शायद यहीं याहू गूगल से मात खा गया.

कैसे सफ़ल हुआ गूगल

गूगल के पहले सर्च इंजन थे और कई अच्छा प्रदर्शन भी कर रहे थे, लेकिन आख़िर वो क्या कारण थे जिसकी मदद से गूगल सबको पछाड़ने में कामयाब रहा. इंटरनेट पर किए जाने वाले 90 प्रतिशत गूगल पर ही होते है, और क़रीब 60 प्रतिशत ऑनलाइन विज्ञापन भी यहीं से आता है.
हर किसी को एक पर्सनल फ़ीलींग देने की कोशिश और लगातार कुछ नया करने की कोशिश ने गूगल को इस मुकाम पर पहुंचाने में मदद की है.
गूगल के अलगॉरिदम ने भी इसमें बड़ी भूमिका निभाई है.
गूगलइमेज कॉपीरइटREUTERS
गूगल के फाउंडर पेज औऱ ब्रिन ने 1999 में पेज़रैंकवॉज़ अलगॉरिदम लेकर आए थे. ये किसी पेज को उपयोगिता के हिसाब से 1 से 10 के बीच रैंक करता है. एक ये बार में 5 करोड़ वैरिएबल अरबों टर्म सॉल्व कर सकता है.
गूगल की हेल्प साइट पर इसके क्रिएटर्स लिखते हैं, "आपको जवाब चाहिए, लाखों वेब पेज नहीं. हमारा सिस्टम ज़रूरत के मुताबिक रिज़ल्ट भेजता है."
लेकिन पेज औऱ ब्रिन ने कई फॉर्मूले सीक्रेट रखे हैं, जो गूगल को दूसरों से बेहतर बनाते हैं. इसलिए वो इन्हे लगातार बदलते रहते हैं.
शायद गूगल की सबसे बड़ी उपलब्धि ये है कि वो लोगों की ज़रूरतों को समझने में कामयाब रहा.
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