मात्र 63 वर्ष की आयु में प्रो. पुष्पक भट्टाचार्य का हम सबके बीच से चले जाना बेहद दुखद है। वे भारत में नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के अग्रणी वैज्ञानिकों में से एक थे। मशीन ट्रांसलेशन, वर्ड सेंस डिसैम्बिगुएशन, सेंटिमेंट एनालिसिस और बहुभाषी NLP में उनका योगदान अद्वितीय था।
लगभग एक दशक पहले तत्कालीन विदेश मंत्री स्व. सुषमा स्वराज जी द्वारा बुलाई गई एक बैठक में पहली बार आईआईटी बॉम्बे के प्रो. पुष्पक भट्टाचार्य से संपर्क हुआ था। बेहद प्रतिभाशाली, तीन आईआईटी में शिक्षित, बेहद विनम्र एवं सहज व्यक्तित्व के स्वामी प्रो. भट्टाचार्य से बरसों संपर्क बना रहा। फिलहाल भी वे भारतीय भाषाओं की तकनीकी समस्याओं से संबंधित सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की समिति के अध्यक्ष थे, जिसका, संयोगवश, मैं सदस्य रहा। उन्होंने 'इंडोवर्डनेट' जैसी परियोजनाओं के माध्यम से भारत की भाषाई विविधता को तकनीक से जोड़ने का अद्भुत कार्य किया। उनकी गहन विद्वता, सरलता और प्रेरणादायक व्यक्तित्व हमेशा याद रहेंगे। ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
डॉ. विजय कुमार मल्होत्रा
