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Friday, April 25, 2025

UG course credit structure 2023


 

Monday, April 21, 2025

कपिल कपूर


 


Wednesday, April 2, 2025

Morphology: E.A. Nida




 

203 भाषा की संरचना और प्रयोग

 

अध्ययन सामग्री (study material) 

·       परसर्गीय शब्दावली (Postpositional Words/Phrases)

·       निपात (Particle)

·       नकारात्मक निपात (Negative Particles)


Wednesday, March 19, 2025

लिखित अभिव्यक्ति (302)

अध्ययन सामग्री (Study Material) 

§  अनुच्छेद लेखन (Paragraph Writing)

§  अनुच्छेद और निबंध लेखन (Paragraph and Essay Writing)

§  विदेशी भाषा में निबंध लिखने पर ध्यान रखने योग्य बातें

§  औपचारिक पत्र लेखन (Formal Letter Writing)

§  अनौपचारिक पत्र लेखन (Informal Letter Writing)

§  अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न उत्तर

§  कहानी

§  कहानी क्या है?

§  एक नई कहानी कैसे लिखें?

§  संक्षेपण (Summarization)

§  पल्लवन या विस्तारण (Expansion or Elaboration)

§  मुहावरे-1

§  मुहावरे-2

§  मुहावरे-3

§  कहावतें/लोकोक्तियाँ 300

§  मुहावरे और लोकोक्तियों में अंतर

§  संवाद लेखन (Dialogue Writing)

§  वर्णन से संवाद परिवर्तन (Description to Dialogue C...

§  संवाद से वर्णन में परिवर्तन (Dialogue to Description Conversion)

§  भाषण (Speech) से समाचार रिपोर्ट (News Report) परिवर्तन

§  समाचार रिपोर्ट लेखन (News Report Writing)

§  टीवी रिपोर्ट लेखन

§  घटना रिपोर्ट लेखन

§  रचना में भाषा प्रौद्योगिकी का योगदान

§  फिल्म के संवाद लिखना (Dialogue Writing for Movie)

§  फिल्मों के कुछ विशेष दृश्यों के संवाद के उदाहरण

§  गीतों के सबटाइटल लिखना

v  हिंदी शिक्षण पाठ्यक्रम विवरण एवं प्रश्न पत्र सैंपल...


अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न उत्तर

 अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न उत्तर

अपठित गद्यांश के आधार पर प्रश्न उत्तर का उद्देश्य विद्यार्थियों में पाठ के स्तर पर समझ विकसित करना होता है। इससे शिक्षक और विद्यार्थी जान पाते हैं कि किसी पाठ को अर्थ की दृष्टि से वे कितना समझ पा रहे हैं। इसके लिए विद्यार्थी को गद्यांश को पहले एक-दो बार ध्यान से पढ़ना चाहिए, फिर प्रश्नों के उत्तर देने चाहिए। गद्यांश के नीचे दिए जाने वाले प्रश्नों के उत्तर पाठ में ही छुपे रहते हैं।

उदाहरण 01 : (उत्तर सहित)

शिक्षा मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण भी करती है। शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति सही और गलत में अंतर करना सीखता है और समाज में एक जागरूक नागरिक की भूमिका निभाता है। प्राचीन काल से ही शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान रहा है, लेकिन आज के समय में यह और भी आवश्यक हो गई है। अच्छी शिक्षा से व्यक्ति आत्मनिर्भर बनता है और अपने परिवार, समाज और देश की प्रगति में योगदान देता है। इसलिए, हर व्यक्ति को शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिलना चाहिए ताकि वह अपने जीवन को सफल बना सके और समाज को आगे बढ़ाने में सहायक हो सके।

प्रश्न-उत्तर:

प्रश्न 1: शिक्षा का महत्व क्या है?

उत्तर: शिक्षा व्यक्ति को ज्ञान प्रदान करती है, उसके चरित्र और व्यक्तित्व का निर्माण करती है, और उसे समाज में एक जागरूक नागरिक बनने में मदद करती है।

प्रश्न 2: शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति क्या सीखता है?

उत्तर: शिक्षा के माध्यम से व्यक्ति सही और गलत में अंतर करना, आत्मनिर्भर बनना और समाज की प्रगति में योगदान देना सीखता है।

प्रश्न 3: प्राचीन काल से शिक्षा को क्यों महत्वपूर्ण माना गया है?

उत्तर: प्राचीन काल से शिक्षा को इसलिए महत्वपूर्ण माना गया है क्योंकि यह व्यक्ति के बौद्धिक और नैतिक विकास में सहायता करती है और समाज को उन्नत बनाती है।

प्रश्न 4: शिक्षा का व्यक्ति और समाज पर क्या प्रभाव पड़ता है?

उत्तर: शिक्षा व्यक्ति को आत्मनिर्भर बनाती है और समाज की उन्नति में सहायक होती है। इससे देश की प्रगति भी संभव होती है।

प्रश्न 5: हर व्यक्ति के लिए शिक्षा क्यों आवश्यक है?

उत्तर: हर व्यक्ति के लिए शिक्षा आवश्यक है ताकि वह अपने जीवन को सफल बना सके और समाज तथा देश की प्रगति में योगदान दे सके।

 

उदाहरण 02 (केवल प्रश्न सहित) :

एक गाँव में एक ईमानदार लकड़हारा रहता था। वह जंगल से लकड़ियाँ काटकर उन्हें बेचकर अपना जीवन यापन करता था। एक दिन वह नदी किनारे एक पेड़ पर लकड़ी काट रहा था कि अचानक उसकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गई। वह बहुत दुखी हुआ और भगवान से प्रार्थना करने लगा।

उसकी सच्ची प्रार्थना सुनकर नदी से एक जलदेवी प्रकट हुईं। उन्होंने लकड़हारे से पूछा, "क्या यह तुम्हारी कुल्हाड़ी है?" और उसे सोने की कुल्हाड़ी दिखाई। लकड़हारे ने ईमानदारी से उत्तर दिया, "नहीं, यह मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।" फिर देवी ने चाँदी की कुल्हाड़ी दिखाई, लेकिन लकड़हारे ने फिर मना कर दिया। अंत में, देवी ने लोहे की कुल्हाड़ी दिखाई, तो लकड़हारे ने खुशी-खुशी कहा, "हाँ, यही मेरी कुल्हाड़ी है!"

लकड़हारे की ईमानदारी से प्रसन्न होकर देवी ने उसे तीनों कुल्हाड़ियाँ उपहार में दे दीं। लकड़हारा बहुत खुश हुआ और अपने घर लौट आया। इस तरह, उसकी ईमानदारी ने उसे सम्मान और समृद्धि दिलाई।

प्रश्न-उत्तर:

प्रश्न 1: लकड़हारा अपना जीवनयापन कैसे करता था?

प्रश्न 2: लकड़हारे की कुल्हाड़ी कहाँ गिर गई थी?

प्रश्न 3: जलदेवी ने लकड़हारे को कौन-कौन सी कुल्हाड़ियाँ दिखाईं?

प्रश्न 4: लकड़हारे ने कौन-सी कुल्हाड़ी अपनी बताई?

प्रश्न 5: जलदेवी ने लकड़हारे को क्या इनाम दिया?

प्रश्न 6: इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

औपचारिक पत्र लेखन (Formal Letter Writing)


औपचारिक पत्र एक ऐसा पत्र होता है जिसे किसी आधिकारिक या व्यावसायिक उद्देश्य के लिए लिखा जाता है। यह पत्र शिष्टाचार, औपचारिक भाषा और स्पष्टता पर आधारित होता है।

औपचारिक पत्र का प्रारूप:

  1. प्राप्तकर्ता का नाम और पद
  2. प्राप्तकर्ता का पता
  3. विषय (संक्षिप्त और स्पष्ट)
  4. संबोधन (मान्यवर/आदरणीय महोदय/श्रीमान जी)
  5. पत्र का मुख्य भाग:
    • परिचय: पत्र लिखने का उद्देश्य
    • मुख्य विषय: विस्तार से समस्या या अनुरोध
    • निष्कर्ष: समाधान या अपेक्षित उत्तर का उल्लेख
  6. समापन
  7. प्रेषक का नाम और हस्ताक्षर

*********************

उदाहरण: 01

अवकाश के लिए प्रार्थना पत्र  (प्रारूप)

सेवा में, 

क्षेत्रीय निदेशक, दिल्ली केंद्र

केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा

विषय: अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र 

महोदय/महोदया,  [किसी एक का प्रयोग करें]

सविनय निवेदन है कि मैं [आपका नाम], कक्षा [कक्षा] का छात्र/छात्रा हूँ। मुझे [बीमारी/पारिवारिक कारण/अन्य कारण] के कारण [दिनांक] से [दिनांक] तक अवकाश की आवश्यकता है। मेरी तबीयत ठीक नहीं है, और डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी है। (या कोई अन्य कारण संक्षेप में लिखें)। 

अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि कृपया मुझे [कितने दिन] का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें। मैं शीघ्र ही विद्यालय आकर अपनी पढ़ाई जारी रखूँगा/रखूँगी। आपकी कृपा के लिए मैं सदा आभारी रहूँगा/रहूँगी। 

सादर, 

[आपका नाम] 

[कक्षा] 

[अनुक्रमांक] 

 

नाम के साथ काल्पनिक उदाहरण :

सेवा में,                                                                 दिनांक : 19-01-2025

क्षेत्रीय निदेशक, दिल्ली केंद्र

केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा

विषय: अवकाश हेतु प्रार्थना पत्र 

महोदया, 

सविनय निवेदन है कि मैं यूकि सोएदा, कक्षा 300 की छात्रा हूँ। मुझे आवश्यक कार्य के कारण 20-01-2025 से 22-01-2025 तक अवकाश की आवश्यकता है। मेरी तबीयत ठीक नहीं है, और डॉक्टर ने मुझे आराम करने की सलाह दी है।

अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि कृपया मुझे 03 दिन का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें। आपकी कृपा के लिए मैं सदा आभारी रहूँगी। 

सादर, 

यूकि सोएदा

[आपका नाम] 

[कक्षा 300] 

 

 

 

उदाहरण: 02

विषय: विद्यालय में पुस्तकालय हेतु पुस्तकें उपलब्ध कराने हेतु अनुरोध

सेवा में,                                               दिनांक: 20 मार्च 2025

क्षेत्रीय निदेशक, दिल्ली केंद्र

केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा

विषय: पुस्तकालय हेतु पुस्तकों की माँग के संबंध में।

महोदया,

सविनय निवेदन है कि हमारे केंद्र के पुस्तकालय में अध्ययन-सामग्री की कमी है। कई महत्वपूर्ण पुस्तकें उपलब्ध नहीं हैं, जिससे हमें कठिनाई हो रही है। कृपया आवश्यक नवीनतम पुस्तकें उपलब्ध कराने की कृपा करें ताकि हमारी पढ़ाई ठीक से हो सके।

अतः आपसे विनम्र अनुरोध है कि इस विषय में शीघ्र उचित कदम उठाने की कृपा करें। इसके लिए हम सभी छात्र आपके आभारी रहेंगे।

सादर,


तोशिको उत्सुका
(
कक्षा 300 की छात्रा)