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- 20. अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (A.L.)
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- 31. भाषाविज्ञान : शोध (Linguistics : Research)
- 32. EPG भाषाविज्ञान
- 33. विमर्श (Discussion)
- 34. लिंक सूची (Link List)
- 35. अन्य (Others)
Wednesday, November 25, 2020
समय-सारिणि 2020-21 (01)
Tuesday, November 24, 2020
सूरजभान सिंह : प्रमुख कृतियाँ
सूरजभान
सिंह
सूरजभान
सिंह एक आधुनिक भारतीय भाषाविद और वैयाकरण हैं। इन्होंने हिंदी की वाक्य व्यवस्था
पर गहन कार्य किया है। इनके द्वारा किए गए कार्य सैद्धांतिक विवेचन के अलावा
प्राकृतिक भाषा संसाधन की दृष्टि से भी उपयुक्त हैं। सूरजभान सिंह की दो प्रमुख
कृतियाँ इस प्रकार हैं-
(1)
हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण (Hindi ka vaakyaatmak
vyaakaran)
यह
पुस्तक साहित्य सहकार, नई
दिल्ली प्रकाशन से सन् 2000 ई. में प्रकाशित हुई थी। इसमें दो खंड हैं- (1)
सिद्धांत और (2) प्रयोग। सिद्धांत के अंतर्गत पहले अध्याय में वाक्य के स्वरूप,
प्रकार और अन्य पक्षों की चर्चा की गई है। इसके पश्चात दूसरे अध्याय में पदबंध के
स्वरूप और प्रकारों की चर्चा करते हुए क्रिया पदबंध को विस्तार से समझाया गया है।
तीसरे अध्याय में ‘वाक्य’साँचा’
की सैद्धांतिक चर्चा की गई है।
पुस्तक
के दूसरे खंड में विविध प्रकार के वाक्य-साँचों को उदाहरण और प्रयोग के साथ
विस्तार से समझाया गया है।
पुस्तक का लिंक-
(2)
अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद व्याकरण (2015) प्रभात प्रकाशन,
नई दिल्ली
अंग्रेजी-हिंदी
अनुवाद व्याकरण प्रो. सूरजभान सिंह की एक
महत्वपूर्ण कृति है। इसमें उन्होंने अंग्रेजी और हिंदी भाषाओं का व्यतिरेकी
विश्लेषण किया है, जो
अंतरण व्याकरण (Transfer Grammar) पर
आधारित है। इस पुस्तक के पहले अध्याय में उन्होंने अनुवाद व्याकरण का परिचय
दिया है। इसके पश्चात व्यतिरेकी विश्लेषण
के स्वरूप की चर्चा की है। तीसरे और चौथे अध्यायों में क्रमशः ‘अंग्रेजी
भाषा संरचना’ और ‘हिंदी
भाषा संरचना’ के बारे में उनके
ऐतिहासिक विकास को बताते हुए विवेचन किया गया है। पाँचवें अध्याय में ‘अंग्रेजी
और हिंदी ध्वनि और लिपि व्यवस्था’ में
संबंध और अंतर बताया गया है।
इसके
पश्चात छठवें अध्याय से लेकर तेरहवें अध्याय तक अंग्रेजी और हिंदी के संज्ञा,
सर्वनाम,
क्रिया,
विशेषण
आदि प्रकार के पदबंधों और ‘लिंग,
वचन,
पुरुष
तथा काल, पक्ष,
वृत्ति’
आदि
व्याकरणिक कोटियों में प्राप्त व्यतिरेक को विस्तार से समझाया गया है। चौदहवें
अध्याय में अंग्रेजी-हिंदी वाक्य रचना और 15वें अध्याय में अंग्रेजी-हिंदी वाक्य
साँचे दिए गए हैं। पुस्तक के अंतिम (16वें) अध्याय में सूरजभान सिंह ने मशीनी
अनुवाद का भी परिचय दिया है।
अंत
में 02 परिशिष्ट हैं।
पुस्तक
का लिंक-
अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद व्याकरण : सूरजभान सिंह
भाषाविज्ञान की भूमिका : देवेंद्रनाथ शर्मा
भाषाविज्ञान की भूमिका : देवेंद्रनाथ शर्मा
देवेंद्रनाथ शर्मा एक सुप्रसिद्ध आधुनिक भारतीय भाषाविद
हैं। इन्होंने ‘भाषाविज्ञान की
भूमिका’ नामक पुस्तक का लेखन किया है,
जो राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से
प्रकाशित है। इसका प्रथम संस्करण 1966 में प्रकाशित हुआ था। इस पुस्तक में सहलेखक
के रूप में दीप्ति शर्मा हैं।
भाषाविज्ञान की भूमिका पुस्तक में आचार्य देवेंद्रनाथ
शर्मा द्वारा भाषा और भाषाविज्ञान से संबंधित लगभग सभी पक्षों का परिचय दिया गया
है। इसके अंतर्गत भाषा, भाषा
का विकास और प्रयोग, भाषा की विशेषताएँ, भाषा के रूप, उत्पत्ति, भाषा
परिवर्तन की चर्चा करते हुए भाषाओं के वर्गीकरण और भाषा-परिवारों को विस्तार से
समझाया गया है।
इसके पश्चात भाषाविज्ञान के अंतर्गत भाषाविज्ञान के
स्वरूप, प्रकार अन्य ज्ञानशास्त्रों से संबंध की
चर्चा करते भाषाविज्ञान के अंगों- ध्वनिविज्ञान, पदविज्ञान, वाक्यविज्ञान और अर्थविज्ञान का परिचय दिया गया है। आगे आचार्य शर्मा ने
भाषाविज्ञान के इतिहास का संक्षिप्त विवरण देते हुए लिपि और भाषाविज्ञान के विविध
आयामों की बात की है। अंत में परिशिष्ट है।
पुस्तक का लिंक-
भाषाविज्ञान की भूमिका (Bhashavigyan ki Bhumika) : देवेंद्रनाथ शर्मा
भोजपुरी भाषा और साहित्य : डॉ. उदयनारायण तिवारी
भोजपुरी भाषा और साहित्य : डॉ. उदयनारायण तिवारी
भोजपुरी भाषा और साहित्य डॉ. उदयनारायण तिवारी एक
महत्वपूर्ण कृति है, जो
बिहार राष्ट्रभाषा परिषद से प्रकाशित है। यह पुस्तक लगभग 700 पृष्ठों में लिखी गई
है। इसमें सर्वप्रथम उपोद्धात नाम से विषय-प्रवेश दिया गया है, जिसमें ‘संसार की भाषाओं का वर्गीकरण’ से चर्चा आरंभ करते हुए ‘भारोपीय परिवार’ और इस क्रम में भारतीय आर्यभाषाओं का परिचय देते हुए ‘हिंदी’ की बात की गई है। इसके पश्चात हिंदी के विविध
रूपों और बोलियों की चर्चा करते हुए डॉ. तिवारी ‘भोजपुरी’ तक अपनी बात पहुँचाते हैं।
पुस्तक के प्रथम खंड में भोजपुरी संबंधी विविध पक्षों और
भोजपुरी साहित्य की बात की गई है। इसी प्रकार द्वितीय खंड में भोजपुरी व्याकरण के
प्रमुख पक्षों की बात की गई है। भोजपुरी भाषा, साहित्य और व्याकरण संबंधी चर्चा के बाद डॉ. तिवारी ने भोजपुरी भाषा
संरचना के प्रमुख तत्वों को- ध्वनि-तत्व और रूप-तत्व के अंतर्गत विस्तार से समझाया
है। पुस्तक के अंत में परिशिष्ट दिया गया है।
पुस्तक का लिंक-
भोजपुरी भाषा और साहित्य : उदय नारायण तिवारी
Monday, November 23, 2020
रविंद्रनाथ श्रीवास्तव : ‘अनुप्रयुक्त भाषविज्ञान : सिद्धांत एवं प्रयोग’
रविंद्रनाथ
श्रीवास्तव के ‘अनुप्रयुक्त
भाषविज्ञान : सिद्धांत एवं प्रयोग’
(2000) पुस्तक में पाँच खंड हैं-
1.
भाषा संदर्भ
2.
अनुवाद
3.
भाषा-शिक्षण
4.
शैलीविज्ञान
5.
कंप्यूटेशनल भाषाविज्ञान
इनमें
से पहला खंड सैद्धांतिक चर्चा का है और शेष चार भाषाविज्ञान के अनुप्रयोग क्षेत्र
हैं।
पुस्तक विवरण का लिंक-
अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान : सिद्धांत एवं प्रयोग : रवींद्रनाथ श्रीवस्तव
कामताप्रसाद गुरु और किशोरीदास वाजपेयी के लेखन में अंतर
कामता
प्रसाद गुरु का व्याकरण पश्चिमी व्याकरण परंपरा से प्रभावित है। उदाहरण के लिए
उन्होंने शब्दभेद (Parts of Speech) के
वर्णन में पश्चिमी व्याकरण या अंग्रेजी व्याकरण में प्रचलित शब्दभेदों- संज्ञा,
सर्वनाम, विशेषण,
क्रिया, क्रियाविशेषण,
संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और
विस्मयादिबोधक (Noun, Pronoun, Adjective, Verb, Adverb,
Preposition, Conjunction and Interjection) को
लिया है।
किशोरीदास
वाजपेयी का लेखन संस्कृत व्याकरण परंपरा पर आधारित है। उन्होंने संस्कृत व्याकरण
आधारित शब्द/पद, उसके रूपों आदि की चर्चा की
है। उन्होंने परसर्गों- ने, को,
से, के लिए,
का/की/के, में,
पर आदि को ‘विभक्ति’
ही कहा है। वर्तमान भाषावैज्ञानिक और व्याकरणिक चिंतन से स्पष्ट है कि इन्हें ‘विभक्ति’
के बजाए ‘परसर्ग’
(postposition) कहना ही अधिक उचित होगा।
Thursday, November 19, 2020
भास्कर डेटा स्टोरी:भारत में 75 करोड़ हुए इंटरनेट यूजर; 12 GB के साथ मंथली डेटा यूज में दुनिया में सबसे आगे
भास्कर डेटा स्टोरी:भारत में 75 करोड़ हुए इंटरनेट यूजर; 12 GB के साथ मंथली डेटा यूज में दुनिया में सबसे आगे
भारत में इंटरनेट ने 15 अगस्त 2020 को 25 साल पूरे किए। इसी महीने देश में 75 करोड़ यूजर का आंकड़ा भी पार हो चुका है। खास बात यह है कि पिछले चार साल में इंटरनेट यूजर दोगुने हुए हैं। यानी शुरुआती 21 साल में जितने यूजर जुड़े, उतने ही 2017 से अब तक जुड़ चुके हैं। यह बढ़ोतरी अकेले नहीं हुई, डेटा की खपत भी बढ़ी है। अब हर व्यक्ति हर महीने एवरेज 12 GB डेटा का इस्तेमाल कर रहा है, जो दुनिया में सबसे ज्यादा है। 5 इंडिकेटर्स से समझते हैं देश में इंटरनेट के इस्तेमाल का स्टेटस...
1. पांच राज्यों में देश का 35% इंटरनेट यूजर बेस, बचे 23 राज्यों और 9 UTs में 65%
भारत में इंटरनेट यूजर बेस को रफ्तार मिली पिछले चार साल में। आंकड़ों में देखें तो 2016 में जहां 34 करोड़ लोग इंटरनेट से जुड़ गए थे, वहीं 2020 में अब 76 करोड़ लोग इंटरनेट यूज कर रहे हैं। खास बात यह है कि पिछले साल जून से अगस्त 2020 तक ही 10 करोड़ यूजर बढ़े हैं। यानी हर महीने करीब 71 लाख यूजर जुड़े हैं।
जब हम इन आंकड़ों का ब्रेकअप देखते हैं तो पता चलता है कि उन्हीं राज्यों में यूजर बढ़े हैं, जहां डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर था। टॉप 5 राज्यों में महाराष्ट्र (6.4 करोड़), आंध्रप्रदेश (5.9 करोड़), तमिलनाडु (5.1 करोड़), गुजरात (4.5 करोड़) और कर्नाटक (4.6 करोड़) शामिल हैं, जहां देश का 35% यूजर बेस रहता है। अब आप ही सोचिए कि बाकी 23 राज्यों और 9 केंद्रशासित प्रदेशों (UTs) में 65% इंटरनेट यूजर हैं और इनमें उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे बड़ी आबादी वाले राज्य शामिल हैं।
2. अभी दुनिया में सबसे आगे; अगले 5 साल में दोगुना हो जाएगा डेटा का इस्तेमाल
जियो के 2016 में लॉन्च और फ्री डेटा की पेशकश ने इंटरनेट यूजर भी बढ़ाए और डेटा का इस्तेमाल भी। असर यह हुआ कि अन्य कंपनियों को भी डेटा सस्ता करना पड़ा। डेटा इस्तेमाल की बात करें तो 2017 में हर महीने प्रतिव्यक्ति डेटा खपत 1.2 GB थी, जो जून-2020 में 10 गुना बढ़कर 12 GB तक पहुंच चुकी है। खास बात यह है कि यह रफ्तार और बढ़ने वाली है। एरिक्सन मोबिलिटी रिपोर्ट की जून में आई रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2025 तक हर यूजर की डेटा खपत बढ़कर 25 GB तक पहुंच जाएगी।
3. मोबाइल इंटरनेट के यूजर सबसे ज्यादा और जरूरी नेटवर्क न होने से पिछड़ गए गांव
पूरा पढ़ें-https://www.bhaskar.com/db-original/explainer/news/url-internet-users-2020-india-china-us-japan-update-gujarat-maharashtra-tamil-nadu-127929875.html
Tuesday, November 17, 2020
भाषाविज्ञान की भूमिका : देवेंद्रनाथ शर्मा
भाषाविज्ञान की भूमिका : देवेंद्रनाथ शर्मा
देवेंद्रनाथ शर्मा एक सुप्रसिद्ध आधुनिक भारतीय भाषाविद हैं।
इन्होंने ‘भाषाविज्ञान की भूमिका’ नामक पुस्तक का लेखन किया है, जो राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली से प्रकाशित है। इसका प्रथम संस्करण 1966 में प्रकाशित
हुआ था। इस पुस्तक में सहलेखक के रूप में दीप्ति शर्मा हैं।
भाषाविज्ञान की भूमिका पुस्तक में आचार्य देवेंद्रनाथ शर्मा
द्वारा भाषा और भाषाविज्ञान से संबंधित लगभग सभी पक्षों का परिचय दिया गया है। इसके
अंतर्गत भाषा, भाषा का विकास और प्रयोग, भाषा की विशेषताएँ, भाषा के रूप, उत्पत्ति, भाषा परिवर्तन की चर्चा करते हुए भाषाओं के
वर्गीकरण और भाषा-परिवारों को विस्तार से समझाया गया है।
इसके पश्चात भाषाविज्ञान के अंतर्गत भाषाविज्ञान के स्वरूप, प्रकार अन्य ज्ञानशास्त्रों से संबंध की चर्चा
करते भाषाविज्ञान के अंगों- ध्वनिविज्ञान, पदविज्ञान, वाक्यविज्ञान और अर्थविज्ञान का परिचय दिया गया है। आगे आचार्य शर्मा ने भाषाविज्ञान
के इतिहास का संक्षिप्त विवरण देते हुए लिपि और भाषाविज्ञान के विविध आयामों की बात
की है। अंत में परिशिष्ट है।
Monday, November 9, 2020
आधुनिक भारतीय भाषा चिंतक
Saturday, November 7, 2020
समाजभाषाविज्ञान (Sociolinguistics)
(1) समाजभाषाविज्ञान (Sociolinguistics) का स्वरूप
(2) समाजभाषाविज्ञान (Sociolinguistics) : एक परिचय
(3) समाजभाषाविज्ञान (भोलानाथ तिवारी- 1993)
(4) भाषाविज्ञान की एक शाखा के रूप में समाजभाषाविज्ञान
(5) सामाजिक वस्तु (Social Object) के रूप में भाषा
(6) भाषा को प्रभावित करने वाले सामाजिक तत्व (Social Fa...
(7) भाषा और बोली (Language and Dialect)
(8) द्विभाषिकता और बहुभाषिकता (Bilingualism and Multil...
(10) भाषा प्रभुत्त्व (Language Dominance)
(11) भाषा विस्थापन (Language Shift)
(12) संकटापन्न भाषाएँ (Endangered Languages)
(13) भाषा मृत्यु (Language Death)
(14) भाषा विलुप्तता (Language Extinction)
(15) भाषा निष्ठा (Language Loyalty)
(16) भाषा संरक्षण (Language Maintenance)
(17) भाषा और कोड (Language and code)
(18) कोड मिश्रण और कोड परिवर्तन (Code mixing & Code swi...
(19) पिजिन और क्रियोल (Pidgin and Creole)
(21) भाषा नियोजन (Language Planning)
(22)
भाषा नियोजन के समस्या क्षेत्र
(24) हिंदी और मानकीकरण के विविध संदर्भ
(25) वैश्वीकरण के दौर में हिंदी
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(26) लेबॉव द्वारा किया गया समाजभाषावैज्ञानिक अध्ययन (Sociolinguistic study by Lebov)
(27) मारथाविनयार्ड और न्यूयार्क शहरों का अध्ययन : लेबॉव
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(28) कोडमिश्रण और कोड परिवर्तन (Code mixing and Code switching) old
(29) भाषा और कोड (Language and code) old
(30) भाषा द्वारा व्यक्तित्व पहचान
भारतीय भाषाओं से
संबंधित डाटा
Data on Language
and Mother Tongue (जनगणना 2011)
संदर्भ (References):
(1) हिंदी भाषा का समाजशास्त्र, रवीन्द्रनाथ श्रीवास्तव
(3) Sociolinguistics : R.A. Hudson
(4) Socio-Linguistics (A Study of Code Switching) : Lalita
Malik
मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics)
(1) मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics)
(2) मनोभाषाविज्ञान (भोलानाथ तिवारी- 1993)
(3) मन क्या है? (What is Mind)
(4) मन और मस्तिष्क (Mind and Brain)
(5) मन और संज्ञान (Mind and Cognition)
(6) भाषा और मन का संबंध (Relation of Language and Mind)
(7) वाक् उत्पादन (Speech Production) & वाक् बोधन (Spee...
(8) भाषा अर्जन (Language Acquisition)
(9) बालभाषा का विकास और बालभाषा के अंग
(10) भाषा अर्जन के प्रमुख सिद्धांत (Major Theories of L...
(12) संवेदना, स्मृति
और कल्पना तथा इनकी भाषा अर्जन में ...
(13) संप्रत्यय निर्माण और संप्रत्यय अधिगम की
प्रक्रियाएँ
(14) भाषा और विचार (Language and Idea/Thinking)
(15) संज्ञानात्माक कोटियाँ (संख्या, वचन, नकारत्व इ.)
(16) व्यक्तित्व और भाषा (Personality and Language)
(18) सामाजिक कोटियाँ (संबंध, लिंग)
(19) डिस्लेक्सिया
(21) मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics) : परिचय (बी.ए.-...
(22) लड़के और लड़की में अंतर का मानसिक/ संज्ञानात्मक पक्ष
(23) भाषा का मनोविज्ञान (Psychology of language)
(24) गुस्सा और रिएक्शन
(25) एस्पर्जर्स सिंड्रोम?
(26) अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर
(27) डिस्लेक्सिया: समय रहते संभाल लें बचपन : हिंदुस्तान
(28) बच्चों के भाषाई विकास पर स्टडी: दैनिक भास्कर
(29) अच्छी नींद से भाषा समृद्ध होती है : दैनिक भास्कर
(30) क्या गर्भ में ही बच्चा संस्कार सीख सकता है?
(31) वाग्दोष चिकित्सा (Speech Therapy)
(32) ChatGPT and Mind : Chomsky
(33) Theories of language learning
(34) नई भाषा सीखने में लगने वाला समय
संदर्भ (References):