भाषा प्रभुत्त्व (Language Dominance)
किसी
भाषायी समाज में एक से अधिक भाषाओं का व्यवहार होने की स्थिति में किसी एक भाषा का
व्यवहार अधिक प्रभुत्वशाली माना जाना भाषा प्रभुत्व कहलाता है, जैसे- ‘हिंदी’ भाषी समाज में ‘अंग्रेजी’ का
व्यवहार प्रभुत्वशाली माना जाता है। यद्यपि यह पूर्णतः एक काल्पनिक मानसिक वृत्ति
है। फिर भी चूँकि यह वृत्ति व्यापक स्तर पर पाई जाती है,
इसलिए इसके कुछ कारण इस प्रकार से देखे जा सकते हैं-
§ समाज में उच्च वर्ग (शिक्षा, प्रतिष्ठा, आर्थिक
स्थिति आदि की दृष्टि से) द्वारा व्यवहार - इस वर्ग के लोगों द्वारा जिस भाषा का प्रयोग किया जाता है, उसे ही प्रभुत्वशाली भाषा मान लिया जाता है।
यह सबसे महत्वपूर्ण कारण है।
§ अधिक भौगोलिक विस्तार – अधिक क्षेत्र या देशों में प्रचलन ।
§ ज्ञान-विज्ञान की उपलब्धता – जिस भाषा में ज्ञान-विज्ञान संबंधी सामग्री की अधिक उपलब्धता
होती है, वह भी अधिक प्रभुत्व
रखती है।
आदि।
इस प्रकार के कुछ कारणों से किसी भाषायी समाज
में कोई भाषा प्रभुत्वशाली होती है, तो कुछ को कम प्रभुत्वशाली मान लिया जाता है। भाषा प्रभुत्व कालांतर में भाषा
विस्थापन (Language Shift) का कारण बनता है।
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