Total Pageviews

Tuesday, October 12, 2021

संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान की विषयवस्तु

 संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान की विषयवस्तु

वह भाषाविज्ञान जो मानव संज्ञान के सापेक्ष भाषा की स्थिति का अध्ययन करता है, संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान है। साधारण शब्दों में कहा जा सकता है कि word और world के बीच संबंध की खोज करने का प्रयास संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान करता है। चॉम्स्की का सिद्धांत भाषा को स्वतंत्र संरचना के रूप में देखता है। उसमें भाषा का विश्लेषण सिद्धांत के अंदर ही करने का प्रयास किया जाता है। संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान इससे आगे बढ़ते हुए भाषा को संसार और मानव संज्ञान की दृष्टि से भी देखने का प्रयास करता है।

संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान की विषयवस्तु के अंतर्गत मुख्यतः निम्नलिखित बिंदुओं को सम्मिलित किया जा सकता है-

(क) संज्ञान और भाषा संबंधी

§  संज्ञान का स्वरूप और संज्ञानात्मक युक्तियाँ

§  संज्ञान और संज्ञानात्मक युक्तियों के संदर्भ में भाषा (भाषा स्वयं एक संज्ञानात्मक युक्ति भी है)

§  भाषा अर्जन, उत्पादन और बोधन (भाषा व्यवहार) में संज्ञान की भूमिका

§  संज्ञान संबंधी युक्तियों के विकास और क्रियान्वयन में भाषा की भूमिका

§  बाह्य संसार के इंद्रियजन्य अनुभव और संकल्पना निर्माण (जैसे- गाय देखकर गाय की संकल्पना का निर्माण, गर्म वस्तु से हाथ जल जाने पर उसकी अनुभूति संबंधी संकल्पना का निर्माण, अनुमान से या दूसरों को देखकर भी संकल्पना बना लेते हैं आदि)

§  संकल्पना और संकल्पनात्मक संरचना (Concept and conceptual structure)

§  वास्तविक संसार बनाम संज्ञानात्मक संसार

§  भाषा और ज्ञान

§  भाषा व्यवहार और संदर्भ (context)

(ख) व्याकरण और अर्थ संबंधी

§  व्याकरण का संज्ञानात्मक पक्ष तथा उसके विश्लेषण हेतु संज्ञानात्मक अभिगम/उपागम (approach) : व्याकरण कैसे मन या संज्ञान में स्थित है? इस संदर्भ में देखा जाए तो पिछले कुछ दशकों में अनेक संज्ञानात्मक व्याकरण विकसित हुए हैं।

§  अर्थ का संज्ञानात्मक पक्ष तथा उसके विश्लेषण हेतु संज्ञानात्मक अभिगम/उपागम (approach) : आर्थी इकाइयाँ और उनकी व्यवस्था कैसे मन या संज्ञान में स्थित है? इस संदर्भ में देखा जाए तो पिछले कुछ दशकों में संज्ञानात्मक दृष्टि से आर्थी विश्लेषण की अनेक प्रणालियाँ विकसित हुई हैं।

§  संज्ञान और भाषा सार्वभौम (Cognition and Language Universals)

§  संज्ञान का प्रतिभाषिक (Cross-linguistic) पक्ष

(ग)  संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान की प्रविधियाँ (Methods)

§  अनुभवमूलक विधि (Empirical method)

§  कार्पस और प्रोक्ति आधारित विश्लेषण

§  व्यवहारवादी पद्धति (Behavioral method)

§  न्यूरोवैज्ञानिक (Neurological) विश्लेषण विधि- MRI आदि द्वारा।

अतः संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान एक विशाल क्षेत्र है। यहाँ केवल उसके मुख्य विषयों का उल्लेख किया गया।

No comments:

Post a Comment