भाषा विस्थापन (Language Shift)
इसे
हिंदी में ‘भाषा अंतरण’ भी कहते हैं। जब किसी भाषायी समाज में एक से अधिक भाषाएँ प्रचलित होती
हैं, तो उनमें से कोई भाषा अधिक प्रभुत्वशाली (Dominant) होती है, तो कोई क्रम। इस कारण अधिक प्रभुत्वशाली
भाषा की ओर भाषाभाषियों का झुकाव होना स्वाभाविक होता है। इसलिए कालांतर में देखा
जाता है कि एक भाषा समाज के लोग अपनी भाषा को छोड़कर प्रभुत्वशाली भाषा का ही अधिक
व्यवहार कर रहे हैं। जब संपूर्ण समाज के लोग ऐसा करने लगते हैं, तो इस स्थिति को भाषा विस्थापन कहते हैं। हिंदी और भोजपुरी के संदर्भ में
इसे निम्नलिखित प्रकार से दर्शा सकते हैं-
भोजपुरी
भाषी समाज à
व्यवहृत भाषाएँ
भोजपुरी हिंदी
मूलभाषा प्रभुत्वशाली भाषा
पुरानी
पीढ़ी (भोजपुरी का अत्यधिक प्रयोग)
नई
पीढ़ी (हिंदी का अत्यधिक प्रयोग)
यदि
ऐसी स्थिति में धीरे-धीरे भोजपुरी समाज के लोग ‘भोजपुरी’ छोड़कर ‘हिंदी’ को अपनाने लगते हैं, तो इसे ‘भोजपुरी
से हिंदी भाषा विस्थापन’ कहते हैं।
इसी
बात को ‘हिंदी और अंग्रेजी’ के संदर्भ में इस प्रकार से देख सकते हैं-
हिंदी
भाषी समाज à
व्यवहृत भाषाएँ
हिंदी अंग्रेजी
मूलभाषा प्रभुत्वशाली भाषा
पुरानी
पीढ़ी (हिंदी का अत्यधिक प्रयोग)
नई
पीढ़ी (अंग्रेजी का अत्यधिक प्रयोग)
यदि
ऐसी स्थिति में धीरे-धीरे हिंदी समाज के लोग ‘हिंदी’ छोड़कर ‘अंग्रेजी’ को अपनाने लगते हैं, तो इसे ‘हिंदी
से अंग्रेजी भाषा विस्थापन’ कहते हैं।
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