द्विभाषिकता और बहुभाषिकता (Bilingualism and Multilingualism)
किसी
समाज में दो भाषाओं के व्यवहार की स्थिति को द्विभाषिकता (Bilingualism) और दो से अधिक भाषाओं के व्यवहार
की स्थिति को बहुभाषिकता (Multilingualism) कहते हैं। इन्हें
सूत्र रूप में इस प्रकार से दिखा सकते हैं-
द्विभाषिकता
= दो भाषाओं के व्यवहार की स्थिति
बहुभाषिकता
= दो से अधिक भाषाओं के व्यवहार की स्थिति
द्विभाषिकता और बहुभाषिकता (Bilingualism and Multilingualism) दोनों को
ही दो स्तरों पर देख सकते हैं-
§ व्यक्तिगत स्तर
§ सामाजिक स्तर
(क)
व्यक्तिगत स्तर
कोई
व्यक्ति द्विभाषी (Bilingual) या बहुभाषी
(Polyglot) हो सकता है। यह व्यक्ति की विशेषता है। उसका अध्ययन
अनुवाद, भाषा शिक्षण आदि में अनुप्रयोग की दृष्टि से किया जा
सकता है, किंतु व्यक्ति विशेष की द्विभाषिकता या बहुभाषिकता
का अध्ययन समाजभाषाविज्ञान का विषय नहीं है।
(ख)
सामाजिक स्तर
यह
द्विभाषिकता या बहुभाषिकता की वह स्थिति है, जो किसी भाषा के पूरे समाज में पाई जाती है। कोई भाषा मूलतः जिस समाज में
बोली जाती है या जहाँ की मातृभाषा होती है, उसे उस भाषा का
भाषी समाज कहते हैं, जैसे-
§ हिंदी भाषी समाज
§ अंग्रेजी भाषी समाज
§ मराठी भाषी समाज आदि।
सामाजिक
द्विभाषिकता या बहुभाषिकता ही समाजभाषाविज्ञान के अध्ययन की विषयवस्तु है।
प्रत्येक
भाषा का एक निश्चित भौगोलिक क्षेत्र भी होता है। उस भाषा के समाज में द्विभाषिकता या
बहुभाषिकता की स्थिति का परीक्षण करने के लिए हमें उसी क्षेत्र में जाकर देखना
होगा। उदाहरण के लिए ‘भोजपुरी भाषी समाज’ की द्विभाषिकता और बहुभाषिकता की स्थिति का परीक्षण मुंबई या कलकत्ता में
रहने वाले भोजपुरी भाषियों के अध्ययन से नहीं किया जा सकता,
उसके लिए मूल भोजपुरी क्षेत्र में जाकर देखना होगा।
इसी
प्रकार द्विभाषिकता या बहुभाषिकता के संदर्भ में स्थानीयता (Locality) का संदर्भ भी महत्व रखता है। हम किसी
भाषा के मूल समाज में जाकर तो अध्ययन कर ही सकते हैं, किसी
शहर या स्थान विशेष में प्रयुक्त होने वाली भाषाओं तथा उनकी स्थिति का भी अध्ययन
कर सकते हैं। अतः इस दृष्टि से स्थानीय संदर्भ महत्व का होगा, जैसे-
मुंबई
में प्रयुक्त भाषाओं की भाषायी स्थिति का अध्ययन या कोलकाता में प्रयुक्त भाषाओं
की भाषायी स्थिति का अध्ययन आदि।
§ मुंबई की मराठी पर अन्य भाषाओं का प्रभाव और इस कारण हो रहे
विभेद या परिवर्तन।
§ मुंबई की हिंदी पर अन्य भाषाओं का प्रभाव और इस कारण हो रहे
विभेद या परिवर्तन।
§ कोलकाता की बंगाली पर अन्य भाषाओं का प्रभाव और इस कारण हो रहे
विभेद या परिवर्तन।
§ कोलकाता की हिंदी पर अन्य भाषाओं का प्रभाव और इस कारण हो रहे
विभेद या परिवर्तन।
सुप्रसिद्ध
समाजभाषावैज्ञानिक विलियम लेबाव (W.
Labov) ने मारथा विनेयार्ड और न्यूयॉर्क शहरों का अध्ययन किया था। इसे
http://www.maria-juchem.de/Labov.PDF पर ‘Case Study Martha’s Vineyard and
New York’ में संक्षेप में देखा जा सकता है। हिंदी में इसे https://lgandlt.blogspot.com/2021/10/blog-post_19.html पर संक्षेप में पढ़ सकते हैं।
द्विभाषिकता
और बहुभाषिकता का वर्तमान परिप्रेक्ष्य
मानव
सभ्यता के विकास के साथ ही यातायात के साधनों में निरंतर वृद्धि हुई है और इस कारण
भिन्न-भिन्न भाषा समुदाय के लोगों का अत्यंत तीव्रता के साथ सम्मिलन हुआ है। कुछ
आदिवासी समाजों को अपवादस्वरूप छोड़ दिया जाए तो आज कोई भी ऐसा समाज मिलना कठिन
जिसमें द्विभाषिकता और बहुभाषिकता न पाई जाती हो। अतः द्विभाषिकता और बहुभाषिकता
की दृष्टि से वर्तमान परिप्रेक्ष्य अत्यंत समृद्ध है।
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