भाषा संरक्षण (Language Maintenance)
आधुनिकीकरण
या वैश्वीकरण ने वर्तमान दौर में समाज को बहुत अधिक प्रभावित किया है। इसके कारण जहाँ
एक ओर द्विभाषिकता या बहुभाषिकता की स्थितियाँ उत्पन्न हुई हैं, वहीं दूसरी ओर अनेक मातृभाषाओं के विलुप्त होने
की स्थिति भी उत्पन्न हुई है। भाषा प्रभुत्व के कारण भाषा विस्थापन की स्थिति
विश्व के अनेक देशों में आम हो गई है और इस कारण अनेक मातृभाषाओं की मृत्यु तेजी
से होती जा रही है। इन सब स्थितियों को देखते हुए यूनेस्को और अनेक वैश्विक
संस्थाओं द्वारा मातृभाषाओं के संरक्षण संबंधी अनेक उपाय किए जा रहे हैं।
विलुप्तप्राय
या संकटापन्न भाषाओं को भाषा मृत्यु से बचाने के लिए किए जाने वाले उपाय भाषा
संरक्षण के अंतर्गत आते हैं। इस दृष्टि से लोगों को अपनी मातृभाषा के महत्व के
प्रति सचेत करना तथा सामान्य जीवन में अपनी मातृभाषा का अधिक से अधिक व्यवहार करने
के लिए प्रेरित करना और इस दृष्टि से विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम आयोजित करना आदि
प्रयास किए गए हैं। प्रत्येक वर्ष ‘20 फरवरी’ को ‘अंतरराष्ट्रीय
मातृभाषा दिवस' की घोषणा तथा संपूर्ण विश्व में विभिन्न
संस्थानों में उक्त दिवस को अनेक प्रकार के कार्यक्रमों का आयोजन इसका एक
सर्वोत्तम उदाहरण है। इस प्रकार के प्रयासों से धीरे-धीरे अब शिक्षित लोगों में भी
अपनी मातृभाषा के प्रति जागरूकता विकसित हुई है और वे यह मानने लगे हैं कि किसी
प्रभुत्वशाली भाषा का प्रयोग उच्च शिक्षा, शोध आदि की दृष्टि
से सुविधाजनक हो सकता है किंतु मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं है और उन्हें अपना
अधिकारिक व्यवहार या कम से कम दैनिक व्यवहार मातृभाषा में ही करना चाहिए।
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