भाषा निष्ठा (Language Loyalty)
भाषा
केवल लोगों के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान या विचारों एवं भावों के संप्रेषण का
माध्यम ही नहीं है, बल्कि यह एक सामाजिक और
सांस्कृतिक विरासत भी है। किसी व्यक्ति की सामाजिक एवं सांस्कृतिक पहचान उसकी भाषा
के साथ जुड़ी होती है। इसी कारण ‘भाषा’
को व्यक्ति की पहचान के रूप में भी माना जाता है। इसलिए यदि समाज-सांस्कृतिक
दृष्टि से किसी व्यक्ति या समुदाय को बने रहना है, तो उसकी
अपनी जबान होनी चाहिए। कोई भी व्यक्ति अपनी मातृभाषा के माध्यम से ही अपने मूलभूत
भावों को सर्वोत्तम रूप में अभिव्यक्त कर सकता है। अतः किसी व्यक्ति या समुदाय में
अपनी मातृभाषा के प्रति निष्ठा होनी चाहिए। भाषा निष्ठा को हम इस प्रकार से
परिभाषित कर सकते हैं-
“किसी
व्यक्ति या समुदाय में अपनी मातृभाषा का अधिकाधिक व्यवहार करने तथा उसके प्रति आदर
एवं प्रेम का भाव रखने की स्थिति भाषा निष्ठा कहलाता है।”
उच्च
शिक्षा, ज्ञान-विज्ञान तथा
दूसरे क्षेत्र में प्रवास जैसी स्थितियों के बावजूद अनेक कारणों से प्रत्येक
व्यक्ति की अपनी मातृभाषा के प्रति निष्ठा बनी रहती है। विशेष रूप से जब कोई व्यक्ति
अपनी मातृभूमि छोड़कर किसी अन्य स्थान पर चला जाता है, तो वहाँ
भी वह अपने समुदाय के लोगों के साथ अपनी मातृभाषा में ही बातचीत करता है। अपनी
मातृभाषा के प्रति सजगता और सहजता का यही भाव भाषा निष्ठा कहलाता है। इससे व्यक्ति
की सामाजिक सांस्कृतिक पहचान बनी रहती है और उसकी भाषा पर भी संकटापन्न होने का
खतरा नहीं होता है।
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