Total Pageviews

Tuesday, October 12, 2021

संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान का इतिहास

 संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान का इतिहास

भाषाविज्ञान और मनोविज्ञान में भाषा अर्जन, उत्पादन और बोधन (भाषा व्यवहार) के संबंध में प्रारंभ से दो धाराएँ प्रचलित रही हैं- व्यवहारवादी और मनोवादी। मनोविज्ञान में B. F. Skinner को सबसे बड़ा व्यवहारवादी माना जाता है। इस संबंध में उनकी ‘Verbal Behavior’ (1957) उल्लेखनीय कृति है। स्कीनर ने भाषा को एक वाचिक व्यवहार मात्र माना है। इसके विपरीत मनोवादी धारा रही है, जो बाद में (1950 के दशक के बाद से ही) संज्ञानवादी धारा के रूप में विकसित हुई है। सुप्रसिद्ध भाषावैज्ञानिक नोएम चॉम्स्की मनोवादी दृष्टि के हैं। उन्होंने न केवल मन की अवधारणा को स्वीकार किया है बल्कि भाषा क्षमता और भाषा व्यवहार’ (Language Competence and Language Performance) तथा भाषा अर्जन युक्ति (Language Acquisition Device-LAD) जैसी अवधारणाएँ भी दी हैं।

संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान का विकास मुख्यतः 1970 तथा 1980 के दशक हुआ है। इस क्षेत्र में काम करने वाले विद्वानों में लेकॉफ, लैंगाकर और टॉल्मी (George Lakoff, Ron Langacker, and Len Talmy) का नाम अग्रणी है। लैंगाकर ने तो संज्ञानात्मक व्याकरण (Cognitive Grammar) नाम से एक व्याकरण फ्रेमवर्क का ही विकास किया है, जिसे उनकी ‘Foundations of Cognitive Grammar’ (Vol. 1-1987; Vol. 1-1991) में देखा जा सकता है। Lakoff ने मुख्यतः रूपक और रूपकता (metaphor and metonymy (1981, 1987) के क्षेत्र में काम किया है।

इनके अलावा चेफ और फिल्मोर (Wallace Chafe, Charles Fillmore) का भी नाम इस धारा के साथ रखा जाता है। स्वयं चॉम्स्की ने भी बाद में भाषा को संज्ञान के अंग के रूप में माना था।

संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान में भाषा को सूचनाओं को गठित, संग्रहीत एवं संसाधित करने वाले ऐसे उपकरण के रूप में देखा जाता है, जो मानव मन या संज्ञान को बाह्य संसार से जोड़ता है तथा सूचनाओं का आदान-प्रदान भी संभव बनाता है। इसलिए अपने ऐतिहासिक विकास-क्रम में यह प्रकार्यात्मक भाषाविज्ञान के साथ भी जुड़ता है। 1970 के दशक में प्रकार्यात्मक भाषाविज्ञान के क्षेत्र में Joan Bybee, Bernard Comrie, John Haiman, Paul Hopper, Sandra Thompson, and Tom Givon आदि विद्वानों ने अत्यधिक काम किया है। इसकी दो धाराएँ- discourse-functional linguistics तथा functional-typological linguistics भी देखी जा सकती हैं। ये दोनों ही संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान में सहायक सिद्ध हुई हैं।

लैंब (Sydney Lamb) ने भी अपने स्तरपरक व्याकरण (Stratificational Linguistics) का विकास बाद में ‘Neurocognitive Linguistics’ के रूप में किया है। इसे विस्तार से http://www.ruf.rice.edu/~lngbrain/main.htm पर देखा जा सकता है।

इस क्रम में हडसन (Dick Hudson) का शब्द व्याकरण (Word Grammar) भी देखा जा सकता है।

संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान के इतिहास के बारे में अंग्रेजी में और विस्तार से https://cognitivelinguistics.org/historical-background पर देखा जा सकता है।

No comments:

Post a Comment