भाषा को प्रभावित करने वाले सामाजिक तत्व (Social Factors)
मानव समाज की संरचना जटिल है। इसमें अनेक तत्वों के आधार पर
भेद किया जा सकता है। मानव समाज का वर्गीकरण निम्नलिखित आधारों पर किया जा सकता
है-
· आयु के आधार पर :- शिशु, बालक, युवा, प्रौढ़,वृद्ध
· लिंग के आधार पर :- पुरुषx-
x1,x2,x3… - महिला y- y1,y2,y3…
· क्षेत्र के आधार पर :- ग्रामीण, शहरी
· शिक्षा के आधार पर :- अशिक्षित, शिक्षित, उच्च शिक्षा प्राप्त
· आय/वर्ग के आधार पर :-
उच्च, मध्य और निम्न
·
धर्म
के आधार पर :- हिंदू, मुसलमान, सिक्ख, इसाई
·
व्यवसाय
के आधार पर :- डॉक्टर, वकील, शिक्षक, दुकानदार
आदि।
उपर्युक्त
में से किसी भी आधार व्यक्ति के आचरण एवं व्यवहार में अंतर किया जा सकता है। अतः
आचरण, जीवन शैली और भाषा
व्यवहार आदि की दृष्टि से ये आधार ही सामाजिक तत्व कहलाते हैं। इनके आधार
व्यक्तियों के भाषा व्यवहार में भेद देखा जा सकता है। अतः उपर्युक्त आधारों को ही भाषा
को प्रभावित करने वाले सामाजिक तत्वों (Social Factors) के
रूप में इस प्रकार से बता सकते हैं-
·
आयु
इस आधार पर बनने वाले भिन्न-भिन्न
वर्गों की भाषा के स्वरूप और उनमें भेद का अध्ययन समाजभाषाविज्ञान में इस प्रकार
से किया जा सकता है-
§ बालकों/बच्चों की भाषा
§ युवाओं की भाषा
§ प्रौढों की भाषा
§ वृद्धों की भाषा
इसी प्रकार इनके भाषा व्यवहार में
प्राप्त भेदों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए उनमें समानताओं और असमानताओं को भी
प्राप्त किया जा सकता है, जैसे- ‘वर्तमान हिंदीभाषी समाज के युवाओं और प्रौढ़ों के भाषा व्यवहार का
तुलनात्मक अध्ययन’।
·
लिंग
लिंग के आधार पर अध्ययन के पारंपरिक
रूप से मूलतः दो वर्ग किए जाते रहे हैं- पुरुष और महिला, किंतु समाज में तीन लिंग होते हैं। आधुनिक काल
में मानवतावाद और सर्वसमता के प्रति बढ़ती जागरूकता से ‘तृतीय
लिंग’ (Third Gender) को भी समाज में
सम्मानपूर्ण स्वीकृति मिल चुकी है। अतः इस आधार पर बनने वाले भिन्न-भिन्न वर्गों को
आयु के सापेक्ष इस प्रकार से देखा जा सकता है-
§ बालकों/बच्चों की भाषा :- पुरुष, स्त्री, तृतीय लिंग
§ युवाओं की भाषा :- पुरुष, स्त्री, तृतीय लिंग
§ प्रौढों की भाषा :- पुरुष, स्त्री, तृतीय लिंग
§ वृद्धों की भाषा :- पुरुष, स्त्री, तृतीय लिंग
उपर्युक्त वर्गों की दृष्टि से यह
देखा जाता है कि ‘लिंग’ में परिवर्तन होने पर भाषा व्यवहार किस प्रकार से बदलता है। इसी प्रकार
इनके भाषा व्यवहार में प्राप्त भेदों का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए उनमें समानताओं
और असमानताओं को भी प्राप्त किया जा सकता है, जैसे- ‘वर्तमान हिंदीभाषी समाज के युवा और प्रौढ़ पुरुषों/महिलाओं के भाषा व्यवहार
का तुलनात्मक अध्ययन’।
·
क्षेत्र
क्षेत्र के आधार पर मूलतः दो वर्ग किए
जा सकते हैं- ग्रामीण और शहरी। इनके भाषा व्यवहार के स्वरूप तथा इनमें अंतर देखा
जा सकता है।
· शिक्षा
शिक्षा के आधार पर मूलतः तीन वर्ग किए
जा सकते हैं- अशिक्षित, शिक्षित, उच्च शिक्षा प्राप्त। इनके भाषा व्यवहार के स्वरूप तथा इनमें अंतर देखा
जा सकता है।
·
आय/वर्ग
आय के आधार पर मूलतः तीन वर्ग किए जा
सकते हैं- उच्च, मध्य और निम्न।
इनके भाषा व्यवहार के स्वरूप तथा इनमें अंतर देखा जा सकता है।
·
धर्म
धर्म
के आधार पर मूलतः चार वर्ग किए जा सकते हैं- हिंदू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई। इनके
भाषा व्यवहार के स्वरूप तथा इनमें अंतर देखा जा सकता है।
· व्यवसाय
व्यवसाय
के आधार पर अनेक वर्ग किए जा सकते हैं, जैसे- डॉक्टर, वकील, शिक्षक, दुकानदार आदि। इनके भाषा व्यवहार के स्वरूप तथा इनमें अंतर देखा जा सकता
है।
इसी
प्रकार अन्य सामाजिक तत्वों के सापेक्ष भाषा की स्थिति भी देखी जा सकती है।
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