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क्या गर्भ में ही बच्चा संस्कार सीख सकता है?
लेकिन क्या वाक़ई गर्भ में पल रहा बच्चा शब्दों या किसी भाषा को समझ सकता है.
विज्ञान की दुनिया इस मामले में बटी हुई हैं.
मुंबई स्थित महिला एक्टिविस्ट और स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सुचित्रा देलवी कहती हैं कि गर्भ में पल रहा बच्चा आवाज़ तो सुन पाता है लेकिन वो कोई भाषा नहीं समझ सकता है.
वे कहती हैं, ''गर्भ में बच्चा विकसित हो रहा होता है. इस दौरान अगर मां सकारात्मक चीज़ें करती हैं तो उसका असर बच्चे पर भी पड़ता है."
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हार्मोन और बच्चे पर असर
डॉ सुचित्रा देलवी कहती हैं, ''अगर गर्भवती महिला स्ट्रेस या तनाव में रहती हैं और उन्हें रामायण, गीता के श्लोक पढ़कर शांति मिलती है, कोई गाना सुनकर ख़ुशी मिलती है तो इस समय शरीर में बनने वाले हार्मोन का असर भ्रूण पर भी पड़ता है.''
डॉ सुचित्रा देलवी बताती हैं, ''उस समय होने वाले हार्मोन या केमिकल बैलेंस का असर मां के ज़रिए बच्चे तक पहुंचता है. यानि स्ट्रेस हार्मोन या हैप्पी हार्मोन का असर बच्चे पर भी पड़ता है और इसका वैज्ञानिक आधार है.''
अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति में एक्टिविस्ट मुक्ता दाभोलकर, एक गर्भवती महिला के लिए पोषक आहार, अच्छे विचार, मन शांत रखने की बातों को गर्भ संस्कार में जोड़ने पर सहमती दिखाती हैं.
वे कहती हैं, ''जब गर्भ में पल रहा बच्चा भाषा ही नहीं समझ सकता वो क्या जानेगा कि मां मंत्र का उच्चारण कर रही है.''
उनके मानना है कि इस तरह के गर्भ संस्कार की बात कहना छद्म विज्ञान है.
उनके अनुसार, ''एक मां का ख़ुश रहना अहम होता है और परिवार का दायित्व होना चाहिए वो उसे खुश रखे और उसके आहार पर ध्यान दिया जाना चाहिए.''
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