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Thursday, September 6, 2018

भाषा द्वारा व्यक्तित्व पहचान


प्रकाशन संबंधी सूचना-


पूर्ण आलेख-
भाषा द्वारा व्यक्तित्व पहचान
धनजी प्रसाद
सहायक प्रोफेसर, भाषा प्रौद्योगिकी
.गा.अं.हिं.वि., वर्धा
-मेल : dhpr.langtech@gmail.com

भाषा ध्वनि को अर्थ से जोड़ने वाली एक अमूर्त व्यवस्था है जो मनुष्य के सोचने और परस्पर विचार विनिमय का साधन है। इसके द्वारा हम ज्ञान का संचय करते हैं और उसे एक-दूसरे से साझा (share) करते हैं। व्यापक स्तर पर भाषा के संबंध में विचार करने पर प्राप्त होता है कि यह केवल हमारे विचार विनिमय का ही साधन नहीं है बल्कि भाषा मनुष्य को और प्राणियों से अलग करते हुए मनुष्य बनाने का भी साधन है। भाषा के कारण ही मानव सभ्यता का इतना अधिक विकास हो पाया है। इस दृष्टि से भाषा मनुष्य की सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक पहचान भी है। व्यक्ति द्वारा वार्तालाप प्रयुक्त की जा रही भाषा से हम उसके बारे में अनेक बातें जान लेते हैं। भाषा प्रयोग द्वारा किसी व्यक्ति के बारे में निम्नलिखित प्रकार बातें जानी जा सकती हैं
1.      भौगोलिक पृष्ठभूमि
किसी द्वारा किए जाने वाले भाषा व्यवहार में उसकी भौगोलिक पृष्ठभूमि परिलक्षित होती है। उदाहरण के लिए ठंडे प्रदेश के लोग सामान्यत: ध्वनि उच्चारण के लिए पूरा मुँह नहीं खोलते हैं। इस कारण ठंडे प्रदेश की भाषाओं में मूर्धन्य ध्वनियाँ नहीं पाई जातीं। यदि कोई व्यक्ति मूर्धन्य ध्वनियों का तालव्य उच्चारण करता है, या उच्चारण में उसका पूरा मुँह नहीं खुलता तो वह ठंडे प्रदेश का होगा। इसकी विपरीत स्थिति गर्म प्रदेश के लोगों में पाई जाती है।
2.      सामाजिक पृष्ठभूमि
भाषा को व्यक्ति की सामाजिक पहचान कहा गया है। व्यक्ति जिस सामाजिक पृष्ठभूमि से होता है उस प्रकार की भाषा का प्रयोग उसके द्वारा किया जाता है। सामाजिक पृष्ठभूमि का संबंध व्यक्ति की आर्थिक स्थिति, वर्गीय स्थिति आदि से है। इस संबंध में सुप्रसिद्ध समाजभाषावैज्ञानिक बर्नस्टीन (Bernstein- Class, Codes and Control -1971) द्वारा उच्च-कोड और निम्न-कोड (Elaborate code and Restricted code) की अवधारणा दी गई है। व्यक्ति जिस वर्ग से आता है उसकी बातचीत में उसी से जुड़ी शब्दावली का प्रयोग अधिक होता है।
भारत के संदर्भ में इसकी व्यापकता अधिक है। यहाँ एक तरफ उच्च, मध्य और निम्न वर्ग हैं, वहीं दूसरी तरफ विविध जातियाँ भी हैं जो पारंपरिक रूप से उच्च और निम्न में विभाजित हैं। इसी प्रकार यहाँ विविध धर्मों के लोग रहते हैं। व्यक्ति की बातचीत में उसकी धार्मिक पृष्ठभूमि भी झलकती है, जैसे- सामान्यत: मुस्लिमों द्वारा बोली जाने वाली हिंदी में अरबी/फारसी के शब्द अधिक होते हैं और हिंदुओं द्वारा बोली जाने वाली हिंदी में संस्कृत के या देशी। इसी प्रकार यहाँ उच्च वर्ग के लोगों में अंग्रेजी का प्रतिनिधित्व है। इस कारण शिक्षित लोग हिंदी बोलते समय अधिक से अधिक अंग्रेजी शब्दों का प्रयोग करते हैं।
3.       लेखन द्वारा स्वभाव की पहचान
भाषा प्रयोग द्वारा व्यक्ति के स्वभाव के बारे में भी कई बातें बताई जा सकती हैं। उदाहरण के लिए किसी व्यक्ति से एक पृष्ठ की सामग्री लिखवाकर उसे देखकर उसके बारे में निम्नलिखित बातें बताई जा सकती हैं

उपर्युक्त तीनों पाठों में हाशिया छोड़ने में तीन तरह की स्थितियाँ प्राप्त हो रही हैं। पहले वाले में हाशिए की चौड़ाई धीरे-धीरे बढ़ती गई है, इस प्रकार लिखने वाला व्यक्ति अपने बजट से अधिक खर्च करने वाला होता है। यदि वह 100 रुपए में बाजार करने जाएगा तो 120 रुपए खर्च करके आएगा। ऐसे लोग भविष्य के लिए बचाकर रखने में विश्वास नहीं करते। दूसरे वाले में कोई स्पष्ट स्थिति नहीं है, ऐसा लिखने वाले व्यक्ति का कोई ठिकाना नहीं रहता। ऐसे व्यक्ति किसी काम के बारे में पहले से बहुत अधिक निश्चय नहीं कर पाते, यदि उसने निश्चय कर भी लिया हो तो यह नहीं कहा जा सकता कि वही काम करेगा ही। समय के साथ व्यक्ति का मन बदल सकता है। तीसरे में हाशिए की चौड़ाई क्रमश: घटती गई है, ऐसा लिखने वाला व्यक्ति बचत में चलने वाला व्यक्ति होता है। वह सदैव अपनी सीमाओं का ध्यान रखता है और कम से कम संसाधनों का प्रयोग करता है। यदि ऐसा व्यक्ति 100 रुपए में बाजार करने जाएगा तो 80 रुपए ही खर्च करके आएगा। एक स्थिति बिल्कुल बराबर रखने की भी है, ऐसा करने वाले लोग बहुत सजग होते हैं। इसी प्रकार अक्षरों को बाईं तरफ झुकाकर लिखने वाले लोग दिल से ज्यादा काम लेते हैं। सीधा-सीधा लिखने वाले लोग सजग और सरल होते हैं। दाईं तरफ झुकाकर लिखने वाले लोग दिमाग से ज्यादा काम लेते हैं। कुछ लोगों के लिखने में अक्षरों की कोई एक दिशा होकर खिचड़ी होती है, ऐसे लोग चंचल या बेफिक्र तरह के होते हैं।
इस संदर्भ में महत्वपूर्ण बात है कि ये लक्षण तभी लागू होते हैं जब व्यक्ति बचपन से स्वाभाविक रूप से वैसे ही लिखता हो। विद्यालय में अभ्यास कराकर यदि कोई विधि विकसित कर दी गई है तो ये बातें लागू नहीं होंगी।
इसके अलावा विश्व में कुछ विशेष प्रकार के शोध भी हुए हैं जिनमें अलग-अलग विधियों से व्यक्तित्व पहचान की बात की गई है, http://www.dailymail.co.uk/sciencetech/article-2380858/What-does-handwriting-say-Study-finds-5-000-personality-traits-linked-write.html में बताया गया है कि किसी व्यक्ति के लेखन द्वारा हम उसके व्यक्तित्व के बारे में 5000 तरह की बातें बता सकते हैं। इतना ही नहीं उसके स्वास्थ्य से संबंधित कुछ बातें, जैसे - chizophrenia, high blood pressure के बारे में भी बताया जा सकता है। Keirsey Temperament Test में लेखन और व्यक्तित्व संबंध को निर्धारित करते हुए निम्नलिखित वर्ग निर्मित किए गए हैं –


http://www19.homepage.villanova.edu/karyn.hollis/prof_academic/Courses/common_files/personality_types/Sixteen%20Types.htm लिंक पर क्लिक करके इस पेज को खोला जा सकता है। इसके बाद इनमें से किसी पर क्लिक करके उसके लेखन और स्वभाव संबंधी बातों को देखा जा सकता है।
4.       अभिव्यक्ति द्वारा स्वभाव की पहचान
लोगों के सोचने की एक मानसिक दिशा होती है। यह भिन्न-भिन्न प्रकार के लोगों में अलग-अलग होती है। यह दिशा उसकी संवेदनात्मक अनुभूति और उसी के अनुरूप अभिव्यक्ति को नियंत्रित करती है। इसे किसी विशेष घटना के घटित होने पर उसकी प्रतिक्रिया द्वारा पहचाना जा सकता है। उदाहरण के लिए यदि किसी के घर में आग लग जाए और सामान आदि जल जाए तो बाद में होने वाली चर्चा में इस पर भिन्न-भिन्न प्रकार की प्रतिक्रियाएँ होती हैं, जिनके आधार पर प्रतिक्रिया देने वाले व्यक्ति के मानसिक दृष्टिकोण के बारे में बताया जा सकता है, जैसे
एक व्यक्तिअरे, आग लग गई, बेचारे का बहुत नुकसान हुआ।
(ऐसा व्यक्ति दयालु और शुभेच्छा रखने वाला व्यक्ति होता है।)
दूसरा व्यक्तिये कभी सजग नहीं रहते थे। बिजली के तार भी ठीक से नहीं रखते थे। चूल्हे से सामान हटाकर रखना चाहिए। यदि चूल्हे में आग हो तो बुझाकर ही वहाँ से हटना चाहिए, लेकिन कौन समझाए! देखिए आग लग गई।
(ऐसा व्यक्ति तार्किक और सजग प्रकार का होता है। वह चाहता है कि चीजें व्यवस्था में रहा करें।)
तीसरा व्यक्तिमुझे लगता है कि यह आग अपने से नहीं लगी, जरूर किसी ने लगाई होगी।
(ऐसे लोग शक्की (संशयवादी) प्रकार के होते हैं। किसी भी घटना में उन्हें शक करने की आदत होती है।)
चौथा व्यक्तिजो होना है होकर रहता है, बेचारे का यही लिखा था। कल ही कितना सामान खरीदकर लाया था।
(ऐसे लोग भाग्यवादी होते हैं।)
5.       व्यावसायिक पृष्ठभूमि
किसी व्यक्ति से बातचीत करते हुए हम उसकी व्यावसायिक पृष्ठभूमि के बारे में भी जान सकते हैं और दूसरों को बता सकते हैं। यदि आपको की व्यक्ति बिल्कुल पहली बार मिला है और आप उसके साथ बातचीत करना आरंभ करें। इस दौरान बात करते हुए गौर करें कि व्यक्ति किस प्रकार के उदाहरणों से अपनी बात समझा रहा है। कोई भी व्यक्ति बात करते हुए अपनी व्यावसाय से जुड़े उदाहरण ही देता है, जैसे - यदि व्यक्ति वकील है तो वह मुकदमें, व्यक्तियों के बीच झगड़े, नियम और कानून संबंधी उदाहरण देगा। इसी प्रकार बैंक से जुड़ा व्यक्ति वित्तीय आदान-प्रदान के उदाहरणों से अपनी बात समझाना चाहेगा, कोई घर बनाने वाला मिस्त्री (कारीगर) घर बनाने के नक्शों और सामग्री प्रयोग संबंधी उदाहरण देता है, रसोईघर में ज्यादातर काम करने वाली महिलाओं के उदाहरण भोजन और सब्जियों से जुड़े होते हैं, किसानों के उदाहरण मौसम, विभिन्न फसलों और उन्हें उपजाने में आने वाली कठिनाइयों से जुड़े होते हैं।
अत: व्यक्ति की व्यावसायिक पृष्ठभूमि उसके भाषा प्रयोग में झलकती है। उसका व्यवसाय उसके मन:मस्तिष्क में बैठा रहता है। दिन-रात उसी के संबंध में विचार करते रहने के कारण बिल्कुल नए विषय पर बात करते हुए भी वह अपने व्यवसाय या विषय के सादृश्य से उसे जोड़कर प्रस्तुत करना चाहता है। इसके अलावा अपने विषय या व्यवसाय से जोड़कर बताने में उसका आत्मविश्वास (confidence) भी बना रहता है।
संदर्भ :


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