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Friday, June 26, 2020
शिक्षा में तकनीकी (Technology in Education)
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
अन्य भारतीय भाषाएँ
संस्कृत
बंगाली
Origin and Development of Bengali Language
भोजपुरी
https://lgandlt.blogspot.com/2018/12/blog-post_3.html
·
संस्कृत
की पुस्तकों को डाउनलोड करने हेतु लिंक
व्याकरण महाभाष्य : पतंजलि
लघुसिद्धांतकौमुदी – वरदराज
लघु-सिद्धांत-कौमुदी
(आचार्य भीमसेन शास्त्री)
संस्कृत शिक्षण सरणी
: आचार्य राम शास्त्री
मराठी
बंगाली
Origin and Development of Bengali Language
भोजपुरी
https://lgandlt.blogspot.com/2018/12/blog-post_3.html
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Hindi : An Essential Grammar (R.K. Agnihotri)
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Hindi : Yamuna Kachru
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Outline of Hindi Grammar (with Examples)
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
संस्कृत व्याकरण प्रवेशिका
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Origin and Development of Bengali Language
Suniti Kumar Chatterji
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Thursday, June 18, 2020
A Guide to Hindi - 10 facts about the Hindi language
A Guide to Hindi - 10 facts about the Hindi language
A Guide to Hindi - 10 facts about the Hindi language
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Springer Text books डाउनलोड करने के लिंक
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
पाण्डुलिपि : भोजपुरी
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Thursday, June 11, 2020
Edmodo का शिक्षण में प्रयोग
Edmodo का शिक्षण में प्रयोग
(1) Edmodo:
एक परिचय
एडमोडो (Edmodo) एक
global education network है। इसके माध्यम से अध्येता (learners) अपने विषय से संबंधित लोगों के साथ पूरी तरह से जुड़ सकते हैं। इसके
द्वारा हम online मोड में एक-दूसरे से जुड़ सकते हैं और शैक्षिक
क्रिया संपन्न कर सकते हैं। यह चार प्रकार के लोगों के लिए प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता
है-
· teachers
· students
· parents
· school
इनके लिए उपलब्ध सुविधाओं का विवरण इस प्रकार है-
teachers के लिए-
अध्यापकों के लिए यहाँ सभी प्रकार classroom tools उपलब्ध होते हैं, जिनके द्वारा
विभिन्न प्रकार के कार्य किए जा सकते हैं, जैसे-
1. Send messages
2. share class materials
3. make learning accessible anywhere
आदि।
·
students के लिए-
इस प्लेटफॉर्म पर विद्यार्थियों के लिए vibrant classroom community प्राप्त होती है, जिसका प्रयोग कर वे अपने ज्ञान और अध्ययन-कौशल में गुणात्मक रूप से परिवर्तन
ला सकते हैं। इसके द्वारा विद्यार्थी-
1. Raise your confidence
2. find your voice
3. experience what it means to be a digital citizen
आदि प्रकार के कार्य कर सकते हैं।
·
parents के लिए-
इसके द्वारा अभिभावकों (parents) के लिए अनेक प्रकार के Updates उपलब्ध होते हैं, जैसे-
1. Get class updates
2. stay in sync with teachers
3. support learning at home
4. See classroom activity
5. grades at a glance to help students stay on track
·
school के लिए-
यह विद्यालय (school) या
जिले (district) के लिए निःशुल्क है। इसका प्रयोग करते हुए वे
विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकते हैं, जैसे-
Roll out Edmodo to every user effortlessly
advantage of special PD features
streamline communication school-wide
जब पूरे school को
Edmodo को जोड़ा जाता है तो और भी बहुत प्रकार की सुविधाएँ मिल जाती हैं।
अतः हमें अपने अध्ययन-अध्यापन में एडमोडो का प्रयोग करके देखना
चाहिए।
(2) Edmodo में लर्निंग साइट का निर्माण-
इस पर अपनी लर्निंग साइट के निर्माण के लिए सबसे पहले इस
लिंक पर जाएँ-
इसके बाद होम विंडो खुलती है, जिसमें
उपर्युक्त परिचय दिखाई पड़ता है, उसके आगे ‘Sign up
for a free account’ मिलता है। उसे क्लिक करके अपना एकाउंट बनाएँ। जब
आप इसे क्लिक करते हैं तो आपको चारों विकल्प मिलते हैं और आपको चयन करना होता है कि
आप किस रूप में जुड़ना चाह रहे हैं-
Let's
get you started
Choose an account to get you started.
Not sure which account you need? Learn more here.
समुचित विकल्प पर क्लिक करें और एकाउंट बनाएँ। मैंने
Teacher
Account का चयन किया है। आप अपने गूगल एकाउंट का प्रयोग करते हुए Sign Up कर सकते हैं। जब आप अपनी ईमेल देते हैं तो यह इस प्रकार
की सूचनाओं के लिए permission माँगता है-
चूँकि ये permissions बहुत ही sensitive
हैं, इसलिए मेरी सलाह यही होगी, कि अपनी regular ई-मेल का प्रयोग इसके लिए न करें, क्योंकि इससे आपकी ड्राइव से संग्रहीत सूचनाओं के लीक होने का खतरा रहेगा।
कोई सहायक ईमेल हो तो उसका प्रयोग किया जा सकता है।
जब आप ईमेल से लॉग इन कर लेते हैं, तो आपको दो विकल्प मिलते हैं-
अब मैं Set Up A Class पर क्लिक
कर रहा हूँ, जिसमें ‘Create a digital classroom
space for you and your students to work together’ के लिए सुविधा मिलती
है। इसके बाद ये विकल्प मिलते हैं-
इसमें अपनी कक्षा का नाम लिखें और उसके विषय, ग्रेड का चयन करें, इसके बाद Customize
Your Class में रंग आदि का चयन करके अपनी क्लास का निर्माण करें।
जब आपकी कक्षा तैयार हो जाए, मूल
पृष्ठ आता है, जिसमें आपकी कक्षाओं और अन्य विवरण जोड़ने-घटाने, एडिट करने तथा अन्य लोगों का जोड़ते हुए कक्षा संचालित करने की सुविधा रहती
है-
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Plagiarism
अंग्रेजी में है, लेकिन उदाहरण के साथ समझाया गया है और सरल व्याख्या है। इन लिंकों पर जाकर देखें-
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Wednesday, June 10, 2020
Dr. Dhanji Prasad (Online Profiles)
Dr. Dhanji Prasad (Online Profiles)
1. ResearchGate
Dr. Dhanji Prasad (ResearchGate)
2. Google Scholar
Dr. Dhanji Prasad (GS)
3. ORCID
Dr. Dhanji Prasad (ORCID)
4. Academia
Dr. Dhanji Prasad (Academia)
5. Moodle
6. Anchor FM
7. poll everywhere
8. edmodo
Dr. Dhanji Prasad (edmodo)
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
Tuesday, June 9, 2020
अल्ज़ाइमर bbc
BBC विशेष
लिंक: https://www.bbc.com/hindi/vert-fut-52907099
अल्ज़ाइमर बीमारी का इलाज जगमगाती रोशनी कैसे कर सकती है?
डेविड रॉबसनबीबीसी फ़्यूचर
अल्ज़ाइमर, भूलने की बीमारी है. इस बीमारी में इंसान की याददाश्त कमज़ोर होने लगती है. बोलने में लड़खड़ाहट हो जाती है और फ़ैसला लेने की क्षमता कमज़ोर हो जाती है.
ये बीमारी अमूमन 60 साल की उम्र के बाद होती है और इसका कोई स्थाई इलाज भी नहीं है. हालांकि नियमित जाँच और शुरुआती इलाज से इस पर क़ाबू पाया जा सकता है.
लेकिन मरीज़ पूरी तरह ठीक हो ही जाएगा कहना मुश्किल है.
अब वैज्ञानिकों ने इसके इलाज का अनूठा तरीक़ा निकाला है.
चमकीली रोशनी और क्लिकिंग साउंड्स के संयोजन से एक ख़ास तरह की तरंग तैयार की गई है. जिसे गामा तरंग कहते हैं. इन गामा तरंगों से अल्ज़ाइमर का इलाज संभव बनाने का प्रयास किया जा रहा है.
डिमेंशिया की बीमारी में लाभप्रद
रिसर्चर ली-ह्युई त्साई इस दिशा में लंबे समय से काम कर रही हैं. उनका अभी तक का शोध डिमेंशिया की सबसे सामान्य बीमारी ठीक करने में काफ़ी हद तक कारगर साबित हुआ है.
पूरी दुनिया में अभी क़रीब 5 करोड़ लोग डिमेंशिया का शिकार हैं. 2050 तक ये संख्या तीन गुनी हो जाने की आशंका है.
अल्ज़ाइमर के मर्ज़ में दिमाग़ की कोशिकाओं के बाहर विषैले अमाइलॉइड की परत जम जाती है. इस परत की वजह से ही दिमाग़ के सभी हिस्सों में तालमेल नहीं बैठ पाता. पिछले तीन दशक से अमाइलॉइड की परत हटाने की दवा बनाने पर ही काम किया जा रहा है. लेकिन अभी तक कामयाबी नहीं मिली है.
नए अध्ययनों से इशारा मिल रहा है कि केमिकल इलाज के बजाय बिजली से उपचार इसका एक बेहतर विकल्प हो सकता है.
तरंगों के माध्यम से ज़हरीले पदार्थ को अपना असर शुरू करने से पहले ही ख़त्म किया जा सकता है. जिस तरह टीवी और रेडियो में अलग-अलग रेडियो वेव के माध्यम से कार्यक्रम प्रसारित किए जाते हैं
ठीक उसी तरह अलग-अलग फ्रीक्वेंसी वाली ब्रेनवेव के माध्यम से ये इलाज किया जाता है.
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तरंगों के प्रवाह से काम करने लगा माइक्रोग्लिया
वर्ष 2000 की एक स्टडी में बताया गया है कि अल्ज़ाइमर के मरीज़ों में गामा तरंग कमज़ोर होती हैं. दिमाग़ में ये ख़लल बीमारी के बाद शुरू होती है या किसी न्यूरोडिजेनरेशन का परिणाम होता है, कहना मुश्किल है.
इसके लिए त्साई की टीम ने ऑप्टोजेनेटिक्स नाम की तरंगों को खोपड़ी में भेजकर गामा तरंग को उत्तेजित करके निरीक्षण किया.
उनकी टीम ने पाया कि इस प्रयोग से ना सिर्फ़ अल्ज़ाइमर रोग से जुड़े अमाइलॉइड के टुकड़ों में कमी आई. बल्कि, जिस तंत्र की वजह से ये मर्ज़ होता है उसे नियंत्रित करने में भी कामयाबी मिली.
माइक्रोग्लिया मस्तिष्क में एक विशेष प्रकार की कोशिकाएं होती हैं जो दिमाग़ के कार्यवाहक और सुरक्षा गार्ड के रूप में काम करती हैं.
प्रोफ़ेसर त्साई कहती हैं कि ये कोशिकाएं दिमाग़ की इम्यून सर्विलांस हैं. पिछली रिसर्च में पाया गया था कि अल्ज़ाइमर के मरीज़ों में माइक्रोग्लिया अपनी ज़िम्मेदारियां सही तरीक़े से नहीं निभा रहे थे. लेकिन गामा तरंगों के माध्यम से माइक्रोग्लिया से उसका काम पूरी कामयाबी के साथ करा लिया गया. मात्र एक घंटे तक तरंगों के प्रहार से माइक्रोग्लिया सक्रिय रूप से काम करने लगीं.
गामा तरंगों को लेकर अभी तक जितने प्रयोग हुए हैं उनके नतीजे काफ़ी संतोषजनक हैं.
ऑप्टोजेनेटिक स्टिमयुलेशन के लिए सर्जरी की आवश्यकता होती है. लेकिन ये ऐसा उपचार नहीं है जिसे आसानी से मनुष्यों पर लागू किया जा सके. इसलिए इसका प्रयोग चूहे पर किया गया.
चूहों पर परीक्षण सफल
एक प्रयोग में चूहों पर हर रोज़ एक घंटे के लिए प्रकाश डाला गया जबकि दूसरे प्रयोग में तेज़ ध्वनियों का इस्तेमाल किया. पाया गया कि गामा तरंगे दिमाग़ की सुरक्षा गार्ड माइक्रोग्लिया कोशिकाओं की बढ़ी हुई गतिविधियों के साथ-साथ विषाक्त अमाइलॉइड के कम स्तर के साथ भी थीं.
यही नहीं चूहों के व्यवहार में भी अंतर देखा गया. उत्तेजना प्राप्त करने वाले चूहों को एक भूलभुलैया के आसपास अपना रास्ता सीखना आसान हो गया, जबकि अन्य बड़े होने के साथ-साथ भुलक्कड़ हो गए.
गामा तरंगों का परीक्षण चूहों पर तो कामयाब रहा. लेकिन, अब इंसान पर भी इसे आज़माने के लिए क्लिनिकल ट्रायल शुरू हो चुका है. डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण वाले मरीज़ों में तो इस प्रयोग का नतीजा बहुत ही कारगर साबित हुआ है.
लेकिन अभी ये नतीजे बहुत शुरुआती हैं. ज़्यादा बेहतर नतीजों के लिए अभी बड़े सैम्पल के साथ यही प्रयोग दोहराने की ज़रूरत है.
सेहतमंद इंसानों को भी दी जा सकती है?
मरीज़ को गामा तरंगें कितनी फ़्रिक्वेंसी पर दी जानी हैं अभी इसका भी ट्रायल होना बाक़ी है. साथ ही ये भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या गामा तरंगें किसी सेहतमंद इंसान को भी दी जा सकती हैं.
लेकिन प्रोफ़ेसर त्साई कहती हैं कि किसी भी तरंग के इस्तेमाल की एक सीमा है. फिर भी एक उम्र के बाद याद्दाश्त कमज़ोर होने के लक्षण शुरू होने के साथ ही गामा तरंगे इस्तेमाल करने की सलाह दी जा सकती है.
बहरहाल, अल्ज़ाइमर जैसी बीमारी से जड़े अभी बहुत से सवाल ऐसे हैं जिनका जवाब तलाशना अभी बाक़ी है. लेकिन, जिस दिशा में रिसर्च आगे बढ़ रहे हैं, उन्हें देख कर ये लगता है कि बहुत जल्द इस बीमारी का सही इलाज तलाश लिया जाएगा.
(बीबीसी फ़्यूचर पर इस स्टोरी को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. आप बीबीसी फ़्यूचर को फ़ेसबुक, ट्विटर,और इंस्टाग्राम पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
प्रोफेसर, केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा
Professor, Kendriya Hindi Sansthan, Agra
(Managing Director : Ms. Ragini Kumari)
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