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Thursday, October 24, 2024

मुहावरे और लोकोक्तियों में अंतर

 गूगल के AI सर्च से 25 oct 2024 को प्राप्त




कहावतें/लोकोक्तियाँ 300







Sunday, October 20, 2024

मोर्स कोड

 मोर्स कोड एक ऐसा कोड है जिसमें वर्णों और अंकों को डॉट तथा लाइन के संयोजन से प्रस्तुत किया जाता है। इसका आविष्कार सैमुअल मोर्स द्वारा 1838 ई. में किया गया था।

इसे एक चित्र में निम्नलिखित प्रकार से देख सकते हैं-



Monday, October 14, 2024

मुहावरे-3


 



Sunday, October 13, 2024

क्रिटिकल अवधि


     1867 ईस्वी में खोजा गया दिना शनिचर नाम का बच्चा इस बात का उदाहरण है कि मानव भाषा अर्जन में क्रिटिकल अवधि जैसी कोई चीज होती है। अर्थात एक निश्चित आयु के बाद मानव शिशु भाषा को सीखना चाहे तो सीख नहीं सकता। यह बच्चा 12 साल की आयु में भेड़ियों से प्राप्त किया गया था। 12 साल तक इस भेड़ियों ने इसे पाला पोसा था, इसलिए यह भेड़ियों की तरह व्यवहार करता था और किसी भी मानव भाषा का प्रयोग नहीं करता था। मानव समाज में लाने के बाद इसे भाषा सीखाने की पर्याप्त कोशिश की गई किंतु यह भाषा नहीं सीख सका।
    माना जाता है कि बच्चों के अत्यंत प्रसिद्ध किरदार मोगली की संकल्पना उसी से ली गई है। उसका नाम दिना शनिचर इसलिए रखा गया था क्योंकि उसे शनिवार को प्राप्त किया गया था।
उसके बारे में टाइम्स आफ इंडिया में छपी एक खबर-


 

Wednesday, October 9, 2024

मुहावरे-2



 

Sunday, October 6, 2024

मुहावरे-1

 



पल्लवन या विस्तारण (Expansion or Elaboration)

पल्लवन या विस्तारण

पल्लवन का अर्थ है- किसी पाठ को बड़ा करना। यह किसी पाठ को बड़ा करने की प्रक्रिया है। पल्ल्वन या विस्तारण करने पर पाठ का आकार लगभग दो गुना या उससे अधिक हो सकता है। इसके लिए पाठ में दी गई सूचना या पाठ के विषय के बारे में विद्यार्थी को पूर्व जानकारी होनी चाहिए।

पल्लवन की विधि

1. पाठ में आए हुए छोटे वाक्यों को बड़ा करने का प्रयास करें।

2.  उदाहरण स्वरूप कोई बात जोड़ी जा सकती है।

3. पाठ में दी गई सूचना या कही गई बात के संदर्भ में नई जानकारी जोड़ें।

नोट : पल्लवन हेतु पाठ में नए वाक्य बनाते या जोड़ते समय ध्यान रखें कि वे गलत या त्रुटिपूर्ण ना हों।

उदाहरण :

मूल पाठ

भारत एक महान देश है। इसकी ज्ञान परंपरा हजारों साल पुरानी है। इस धरा पर अनेक ऋषियों और महात्माओं ने निरंतर जन्म लिया है। उन्होंने पूरी दुनिया को ज्ञान का पाठ पढ़ाया है। भारत की महान परंपरा की झलक इसकी आदिभाषा संस्कृत में लिखे हुए महान ग्रंथों से ही मिलने लगती है।

पल्लवन या विस्तारण से निर्मित पाठ

भारत एक महान देश है। इसकी महानता इसकी प्राचीन ज्ञान परंपरा से ही देखी जा सकती है। यह ज्ञान परंपरा हजारों साल पहले से प्राप्त होने लगती है। भारत की धरती पर अनेक ऋषियों और महात्माओं, जैसे- महात्मा बुद्ध, शंकराचार्य, महावीर स्वामी आदि का अवतरण हुआ है। इस क्रम में अनेक ऋषि, मुनि और महात्मा देखे जा सकते हैं जिन्होंने केवल भारत भूमि ही नहीं, बल्कि समस्त संसार को मानवता का पाठ पढ़ाया है और तत्वज्ञान का बोध कराया है। भारत की प्राचीन परंपरा के महान ग्रंथ इसकी आदिभाषा संस्कृत में देखे जा सकते हैं। इनमें वेद, पुराण आदि विविध प्रकार के ग्रंथ आते हैं, जिनमें ज्ञानधर्म, सत्य, नीति, कर्म आदि सभी के संदर्भ में प्रचुर मात्रा में ज्ञानपूर्ण बातें देखी जा सकती हैं।


Thursday, October 3, 2024

संस्कृत की समकालीन प्रासंगिकता को समझने की जरूरत





 

मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया जाएगा

 मराठी, पाली, प्राकृत, असमिया और बंगाली भाषाओं को 'शास्त्रीय भाषा' का दर्जा दिया जाएगा।

स्रोत : दैनिक भास्कर