Total Pageviews

Sunday, October 6, 2024

पल्लवन या विस्तारण (Expansion or Elaboration)

पल्लवन या विस्तारण

पल्लवन का अर्थ है- किसी पाठ को बड़ा करना। यह किसी पाठ को बड़ा करने की प्रक्रिया है। पल्ल्वन या विस्तारण करने पर पाठ का आकार लगभग दो गुना या उससे अधिक हो सकता है। इसके लिए पाठ में दी गई सूचना या पाठ के विषय के बारे में विद्यार्थी को पूर्व जानकारी होनी चाहिए।

पल्लवन की विधि

1. पाठ में आए हुए छोटे वाक्यों को बड़ा करने का प्रयास करें।

2.  उदाहरण स्वरूप कोई बात जोड़ी जा सकती है।

3. पाठ में दी गई सूचना या कही गई बात के संदर्भ में नई जानकारी जोड़ें।

नोट : पल्लवन हेतु पाठ में नए वाक्य बनाते या जोड़ते समय ध्यान रखें कि वे गलत या त्रुटिपूर्ण ना हों।

उदाहरण :

मूल पाठ

भारत एक महान देश है। इसकी ज्ञान परंपरा हजारों साल पुरानी है। इस धरा पर अनेक ऋषियों और महात्माओं ने निरंतर जन्म लिया है। उन्होंने पूरी दुनिया को ज्ञान का पाठ पढ़ाया है। भारत की महान परंपरा की झलक इसकी आदिभाषा संस्कृत में लिखे हुए महान ग्रंथों से ही मिलने लगती है।

पल्लवन या विस्तारण से निर्मित पाठ

भारत एक महान देश है। इसकी महानता इसकी प्राचीन ज्ञान परंपरा से ही देखी जा सकती है। यह ज्ञान परंपरा हजारों साल पहले से प्राप्त होने लगती है। भारत की धरती पर अनेक ऋषियों और महात्माओं, जैसे- महात्मा बुद्ध, शंकराचार्य, महावीर स्वामी आदि का अवतरण हुआ है। इस क्रम में अनेक ऋषि, मुनि और महात्मा देखे जा सकते हैं जिन्होंने केवल भारत भूमि ही नहीं, बल्कि समस्त संसार को मानवता का पाठ पढ़ाया है और तत्वज्ञान का बोध कराया है। भारत की प्राचीन परंपरा के महान ग्रंथ इसकी आदिभाषा संस्कृत में देखे जा सकते हैं। इनमें वेद, पुराण आदि विविध प्रकार के ग्रंथ आते हैं, जिनमें ज्ञानधर्म, सत्य, नीति, कर्म आदि सभी के संदर्भ में प्रचुर मात्रा में ज्ञानपूर्ण बातें देखी जा सकती हैं।


No comments:

Post a Comment