Total Pageviews

Wednesday, November 17, 2021

भाषा द्वैत (Diglossia)

 भाषा द्वैत (Diglossia)

जब किसी भाषा के एक से अधिक रूप उसी भाषायी समाज में प्रचलित हो जाते हैं तो इस स्थिति को भाषा द्वैत कहते हैं। यह स्थिति किसी भाषा के दो बोली रूपों या भाषा रूपों में हो सकती है। जब किसी भाषा के ऐसे दो रूप विकसित हो जाते हैं तो उन्हें सामान्यतः उच्च और निम्न के रूप में अलग-अलग दर्शाया जाता है। इन्हें इस प्रकार से दिखा सकते हैं-

§  उच्च ("H" or "high")

§  निम्न ("L" or "low")

इन रूपों के प्रयोग क्षेत्रों में अंतर होता है-

§  उच्च ("H" or "high") रूप के प्रयोग क्षेत्र – इस रूप का प्रयोग विशिष्ट प्रयोजन, औपचारिक शिक्षा, साहित्य आदि क्षेत्रों में होता है। सामान्य बातचीत या व्यवहार में सामान्यतः इस रूप का प्रयोग नहीं होता।

§  निम्न ("L" or "low") रूप के प्रयोग क्षेत्र – इस रूप का प्रयोग सामान्य बातचीत या व्यवहार में प्रयोग होता है। विशिष्ट प्रयोजन, औपचारिक शिक्षा, साहित्य आदि क्षेत्रों में इसका प्रयोग नहीं होता।

यूरोपीय भाषाओं में उच्च जर्मन और निम्न जर्मन इसका उदाहरण है। इसी प्रकार भारतीय भाषाओं में बंगाली में साधु बंगाली और चालित बंगाली को भी देखा जा सकता है। कुछ विद्वान संस्कृतनिष्ठ हिंदी और हिंदुस्तानी को भी इसी प्रकार से देखते हैं। वर्तमान संदर्भ में विशुद्ध हिंदी और हिंग्लिश को इसी प्रकार से देखा जा सकता है, यद्यपि यह अन्य भाषा के प्रभाव से विकसित रूप है।

No comments:

Post a Comment