Total Pageviews

Wednesday, November 19, 2025

गाना गाने वाला गधा

 एक समय की बात है। एक किसान के खेत में एक गधा काम करता था। वह मेहनती था, लेकिन एक बड़ी कमजोरी थीउसे अपने गाने की बहुत प्रशंसा थी। असल में उसका गाना बहुत बेसुरा था, पर वह सोचता था कि वह बहुत मीठा गाता है!हर रात वह खेतों में घूमते समय जोर-जोर से रेंकने लगता। किसान और पड़ोसी लोग उसकी आवाज़ से परेशान रहते। चोरी की योजनाउस गधे का एक दोस्त था गीदड़।

दोनों रात को खेतों में घूमते और खाने के लिए कुछ ढूँढते। एक दिन उन्हें एक बगीचा मिला, जहाँ रसीले तरबूज उग रहे थे। दोनों चुपके से अंदर घुसे और खूब पेट भरकर खाने लगे। खाना खाकर गधे का मन खुश हो गया।

उसने कहा— “क्या मीठे तरबूज थे! मेरे मन में गीत फूट रहे हैं। मैं अभी गाऊँगा!गीदड़ डर गया।

उसने कहा— “अरे पागल! अगर तू यहाँ गाना शुरू कर देगा तो माली आ जाएगा और हमें पकड़ लेगा। अभी चुप रहना। लेकिन गधे ने उसकी बात नहीं मानी।

वह बोला— “कला को दबाना पाप है! मैं गाऊँगा तो जरूर!गीदड़ ने समझ लिया कि अब यह नहीं मानेगा।

वह बोला— “ठीक है, तू गा। मैं तो अपनी जान बचाने चलता हूँ।

और वह तेजी से बगीचे से बाहर भाग गया। गधे का हश्रगधे ने पूरे जोर से गाना शुरू किया

ढेंचूढेंचूढेंचू…”शोर सुनते ही माली डंडा लेकर दौड़ा आया।

गधे को पकड़कर उसने खूब पीटा और बगीचे से बाहर भगा दिया। बेचारा गधा दर्द से चिल्लाता हुआ बाहर आया।

गीदड़ ने दूर खड़े होकर कहा—“भाई, मैंने पहले ही कहा थासमय और स्थान देखकर बोलना चाहिए।

तेरी यह मूर्खता ही तेरी मुसीबत का कारण बनी।

कहानी की सीख : समय और परिस्थिति देखकर ही बोलना चाहिए। अतिआत्मविश्वास और घमंड हमेशा नुकसान करता है। अच्छे मित्र की सलाह मानना चाहिए।

No comments:

Post a Comment