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Sunday, November 12, 2017

परिचयात्मक जापानी भाषा


परिचयात्मक जापानी भाषा
(Introductory Japanese Language)





धनजी प्रसाद
सहायक प्रोफेसर, भाषा प्रौद्योगिकी



(2014)
प्रिय साहित्य सदन, सोनिया विहार
नई दिल्ली 110094
ISBN- 978-93-82699-05-7




भूमिका
भाषा हमारे आपसी संप्रेषण और दैनिक व्यवहर का माध्यम है। हमारे सभी प्रकार के कार्यों में भाषा की भूमिका किसी--किसी रूप में रहती है। अत: मानव जीवन में भाषा के बिना कुछ भी करने को सोच पाना संभव नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति अपनी मातृभाषा में भाषिक व्यवहार करता है। किंतु आज ज्ञान-विज्ञान और तकनीकी साधनों के विकास के कारण एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना और कार्य करना सामान्य बात हो गई है। ऐसी स्थिति में आज के इस वैश्विक दौर में जब एक से अधिक देशों, संस्कृतियों एवं भाषाओं के लोग आपस में मिल रहे हैं तो एक से अधिक भाषाओं के ज्ञान की आवश्यकता स्वत: ही महसूस होने लगती है।
किसी भी नई भाषा को सीखना एक कठिन कार्य होता है। यह कार्य और कठिन तब हो जाता है जब वह भाषा विदेशी भाषा हो और अध्येता से उसका किसी प्रकार का संबंध हो। अत: इस प्रकार की भाषा को सीखना अपने आप में चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। जब हम किसी नई भाषा को सीखने चलते हैं तो हमारी मातृभाषा भी व्याघात उत्पन्न करती है। अत: ठीक प्रकार से सीखने के लिए अध्यापक के अलावा  हमें सरल पाठ्य-पुस्तकों, ऑडियो-विजुअल सामग्री आदि की आवश्यकता होती है। प्रस्तुत पुस्तक इसी आवश्यकता को देखते हुए जापानी के लिए तैयार की गई है।
भारतीय परिप्रेक्ष्य में जापानी भाषा एक विदेशी भाषा है। हिंदी माध्यम से जापानी सीखने-सीखाने की बात करें तो इस कार्य हेतु सरल पुस्तकों का सामान्यत: अभाव ही दिखाई पड़ता है। वैसे भी हिंदी के सापेक्ष जापानी की व्यवस्था में अनेक जटिलताएँ दिखाई पड़ती हैं। अत: भिन्न-भिन्न दृष्टि से जापानी में पाए जाने वाले शब्दों उनके विविध वर्गों, शब्द रूपों एवं प्रयोगों से यह पुस्तक परिचय कराती है। जापानी में हिरागाना, काताकाना और कांजी तीन लिपियों का प्रयोग किया जाता है। इस पुस्तक में शब्दों को कांजी तथा हिरागाना (या काताकाना) में दिया गया है जिससे कि पाठक कांजी रूप के साथ-साथ हिरागाना उच्चारण को भी समझ सके।
इस पुस्तक में मुख्य रूप से विविध शब्द-वर्गों यथा- संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया, क्रियाविशेषण के अंतर्गत आने वाले शब्दों एवं उनके वाक्यात्मक प्रयोगों को सरल से सरल विधि द्वारा समझाया गया है। इसे भाषा शिक्षण के दृष्टिकोण से देखें तो कह सकते हैं कि इसमें मुख्य रूप से व्याकरण विधि का प्रयोग किया गया है। वैसे तो सभी प्रकार शब्दों और उनके प्रयोग को समझाने के लिए उदाहरण वाक्य दिए गए हैं फिर भी एक अध्याय में जापानी भाषा में बातचीत के आधारभूत वाक्यों का संग्रह है जिन्हें जानना जापानी सीखने के लिए आवश्यक है। इसके अलावा अंतिम अध्याय जापानी संस्कृति एवं साहित्य का परिचय देता है।
यह पुस्तक जापानी सीखने के लिए हिंदी और अँग्रेज़ी में उपलब्ध सरल पुस्तकों एवं अन्य सामग्री के अध्ययन पर आधारित है। साथ ही इसमें जापानी शिक्षण से जुड़ी ऑनलाइन वेबसाइटों पर उपलब्ध सामग्री का भी अवलोकन एवं उपयुक्त सामग्री का समावेश किया गया है। वैसे तो यह छोटी से पुस्तक जापानी का परिचयात्मक ज्ञान ही उपलब्ध कराती है किंतु फिर भी स्वरूप एवं लेखन शैली की विशिष्टता प्रदान करते हुए इसे आकर्षक बनाया गया है। मुझे आशा है कि आपको यह पुस्तक अवश्य पसंद आएगी।
जापानी भाषा को日本語 (निहोंगो) कहते हैं जिसमें日本 (निहों) का अर्थ है: जापान और (गो) का अर्थ है: भाषा। अर्थात्日本語 (निहोंगो) का अर्थ हुआ: जापान की भाषा। इसकी भाषिक स्थिति को यदि भौगोलिक दृष्टि से देखें तो इसे इस प्रकार से प्रदर्शित किया जा सकता है:
(विकिपेडिया से साभार)
अत: इसमें वैविध्य भी है। प्रस्तुत पुस्तक बहुप्रचलित रूप से प्रचलित कराएगी।
प्रस्तुत पुस्तक के लेखन में कुछ विशिष्ट लोगों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस क्रम में मैं अपने जापानी भाषा के गुरु श्री आकियो हागा के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ जिन्होंने दो वर्षों तक हमें जापानी सिखाई। इसके साथ जापान की ही एरी किकुची के प्रति मैं आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने जापानी में लिखी गई सामग्री को देखा और अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए। साथ-ही प्रस्तुत पुस्तक के लेखन हेतु प्रेरित करने के लिए मैं अपनी सहपाठी नूरिश परवीन को दिल से धन्यवाद देता हूँ। इसके अलावा अपने अन्य सहपाठियों शिल्पा, अमित्रा, रिंजू एवं सुहास का भी आभारी हूँ। मैं पुस्तक के लेखन हेतु परिवेश प्रदान करने के लिए .गां.अं.हिं.वि.वि. के कुलपति एवं  सभी शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।
यह पुस्तक जापानी में दो वर्ष का पाठ्यक्रम पूर्ण करने के उपरांत लिखी गई है। अत: त्रुटियाँ होना स्वाभाविक है। इस संदर्भ में सुधि पाठकों के विचार आमंत्रित हैं।



धनजी प्रसाद



अनुक्रमणिका

अध्याय                                         पृ. सं.
1. जापानी भाषा का परिचय
2. हिरागाना और काताकाना लिपियाँ
2.1 हिरागाना (ひらがな) लिपि
2.2 काताकाना (カタカナ) लिपि
3. जापानी भाषा में गिनती
3.1 आरंभिक दस अंक
3.2 संपूर्ण गिनती
3.3 अन्य संख्याएँ
3.4 जापानी में गणना करना
4. जापानी में बातचीत के आधारभूत वाक्य
5. जापानी में संज्ञा
5.1 शरीर के अंगों के नाम
5.2 फलों एवं सब्जियों के नाम
5.3 पशुओं के नाम
5.4 पक्षियों के नाम
5.5 संबंधियों (Relatives) के नाम
6. जापानी में सर्वनाम
6.1 जापानी में विविध सर्वनाम
6.2 पुरुषवाचक सर्वनामों के वाक्यात्मक प्रयोग
6.3 संकेतवाचक सर्वनाम
6.4 प्रश्नवाचक, अनिश्चयवाचक रूप
6.5 सर्वनामों के साथ प्रयुक्त प्रत्यय
7. जापानी में विशेषण
7.1 इकारांत विशेषण
7.2 नाकारांत विशेषण
7.3 जापानी विशेषणों में रूप परिवर्तन
7.4 जापानी विशेषणों का क्रिया-विशेषण प्रयोग
8. जापानी में क्रिया
8.1 धातुरूप      
8.2 क्रियाओं के विविध रूप
9. जापानी में क्रियाविशेषण
9.1 सामान्य जापानी क्रियाविशेषण
9.2 विशेषणों से निर्मित क्रियाविशेषण
10. जापानी में दिन और महीने
10.1 दिनों के नाम 
10.2 महीनों के नाम




           


1 comment:

  1. बहुत अच्छी प्रस्तुति परन्तु कृपया अन्य भाषा शिक्षण में मातृभाषा के व्याघात और उससे मुक्ति का तरीका क्या है बताएं

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