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Wednesday, April 25, 2018

उपसर्ग

उपसर्ग  

उपसर्ग = उप (समीप) + सर्ग (सृष्टि करना) का अर्थ है- किसी शब्द के समीप आ कर नया शब्द बनाना। जो शब्दांश शब्दों के आदि में जुड़ कर उनके अर्थ में कुछ विशेषता लाते हैं, वे उपसर्ग कहलाते हैं। 'हार' शब्द का अर्थ है पराजय। परंतु इसी शब्द के आगे 'प्र' शब्दांश को जोड़ने से नया शब्द बनेगा - 'प्रहार' (प्र + हार) जिसका अर्थ है चोट करना। इसी तरह 'आ' जोड़ने से आहार (भोजन), 'सम्' जोड़ने से संहार (विनाश) तथा 'वि' जोड़ने से 'विहार' (घूमना) इत्यादि शब्द बन जाएँगे। उपर्युक्त उदाहरण में 'प्र', 'आ', 'सम्' और 'वि' का अलग से कोई अर्थ नहीं है, 'हार' शब्द के आदि में जुड़ने से उसके अर्थ में इन्होंने परिवर्तन कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि ये सभी शब्दांश हैं और ऐसे शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं। हिन्दी में प्रचलित उपसर्गों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है।
  1. संस्कृत के उपसर्ग,
  2. हिन्दी के उपसर्ग,
  3. उर्दू और फ़ारसी के उपसर्ग,
  4. अंग्रेज़ी के उपसर्ग,
  5. उपसर्ग के समान प्रयुक्त होने वाले संस्कृत के अव्यय।

संस्कृत के उपसर्ग

क्रमउपसर्गअर्थशब्द
1अतिअधिकअत्यधिक, अत्यंत, अतिरिक्त, अतिशय
2अधिऊपर, श्रेष्ठअधिकार, अधिपति, अधिनायक
3अनुपीछे, समानअनुचर, अनुकरण, अनुसार, अनुशासन
4अपबुरा, हीनअपयश, अपमान, अपकार
5अभिसामने, चारों ओर, पासअभियान, अभिषेक, अभिनय, अभिमुख
6अवहीन, नीचअवगुण, अवनति, अवतार, अवनति
7तक, समेतआजीवन, आगमन
8उत्ऊँचा, श्रेष्ठ, ऊपरउद्गम, उत्कर्ष, उत्तम, उत्पत्ति
9उपनिकट, सदृश, गौणउपदेश, उपवन, उपमंत्री, उपहार
10दुर्बुरा, कठिनदुर्जन, दुर्गम, दुर्दशा, दुराचार
11दुस्बुरा, कठिनदुश्चरित्र, दुस्साहस, दुष्कर
12निर्बिना, बाहर, निषेधनिरपराध, निर्जन, निराकार, निर्गुण
13निस्रहित, पूरा, विपरितनिस्सार, निस्तार, निश्चल, निश्चित
14निनिषेध, अधिकता, नीचेनिवारण, निपात, नियोग, निषेध
15पराउल्टा, पीछेपराजय, पराभव, परामर्श, पराक्रम
16परिआसपास, चारों तरफपरिजन, परिक्रम, परिपूर्ण, परिणाम
17प्रअधिक, आगेप्रख्यात, प्रबल, प्रस्थान, प्रकृति
18प्रतिउलटा, सामने, हर एकप्रतिकूल, प्रत्यक्ष, प्रतिक्षण, प्रत्येक
19विभिन्न, विशेषविदेश, विलाप, वियोग, विपक्ष
20सम्उत्तम, साथ, पूर्णसंस्कार, संगम, संतुष्ट, संभव
21सुअच्छा, अधिकसुजन, सुगम, सुशिक्षित, सुपात्र
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