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Thursday, April 26, 2018

प्रत्यय

प्रत्यय  

प्रत्यय= प्रति (साथ में पर बाद में)+ अय (चलनेवाला) शब्द का अर्थ है,पीछे चलना। जो शब्दांश शब्दों के अंत में विशेषता या परिवर्तन ला देते हैं, वे प्रत्यय कहलाते हैं। जैसे- दयालु= दया शब्द के अंत में आलु जुड़ने से अर्थ में विशेषता आ गई है। अतः यहाँ 'आलू' शब्दांश प्रत्यय है। प्रत्ययों का अपना अर्थ कुछ भी नहीं होता और न ही इनका प्रयोग स्वतंत्र रूप से किया जाता है। प्रत्यय के दो भेद हैं-

कृत् प्रत्यय

वे प्रत्यय जो धातु में जोड़े जाते हैं, कृत प्रत्यय कहलाते हैं। कृत् प्रत्यय से बने शब्द कृदंत (कृत्+अंत) शब्द कहलाते हैं। जैसे- लेख् + अक = लेखक। यहाँ अक कृत् प्रत्यय है, तथा लेखक कृदंत शब्द है।
क्रमप्रत्ययमूल शब्द\धातुउदाहरण
1अकलेख्, पाठ्, कृ, गैलेखक, पाठक, कारक, गायक
2अनपाल्, सह्, ने, चर्पालन, सहन, नयन, चरण
3अनाघट्, तुल्, वंद्, विद्घटना, तुलना, वन्दना, वेदना
4अनीयमान्, रम्, दृश्, पूज्, श्रुमाननीय, रमणीय, दर्शनीय, पूजनीय, श्रवणीय
5सूख, भूल, जाग, पूज, इष्, भिक्ष्सूखा, भूला, जागा, पूजा, इच्छा, भिक्षा

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