वस्तु
के रूप में भाषा
कोई भी
इकाई जिसका एक रूपाकार और प्रयोग होता है, वस्तु है। वस्तु को दो रूपों में समझा जा सकता है- मूर्त और अमूर्त।
अमूर्त वस्तुएँ वे हैं जिन्हें हम देख या महसूस नहीं कर सकते, लेकिन उनका प्रयोग करते हैं।
इस
दृष्टि से देखा जाए तो भाषा एक अमूर्त व्यवस्था है। ध्वनियों या पाठों द्वारा इसकी
अभिव्यक्ति होती है। अतः वाचिक और लिखित रूप भाषा की सामग्री हैं।
स्वायत्तता
यद्यपि भाषा का संबंध मानव मन और मानव समाज से है, किंतु इसके बावजूद भाषा की एक स्वतंत्र
व्यवस्था भी प्राप्त होती है जिसे हम ‘भाषा की संरचना’ के रूप में देख सकते हैं।
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