अर्थ रचना और मानसिक स्थान (Meaning construction and mental spaces)
मानसिक स्थान की अवधारणा Gilles
Fauconnier द्वारा 1985 ई.
में ‘Mental Spaces: Aspects of Meaning Construction
in Natural Language’ पुस्तक में दी गई है। इसका संबंध हमारी अर्थ रचना
की मानसिक प्रक्रिया है। उन्होंने अर्थ रचना (meaning construction) की प्रक्रिया के संबंध में कहा है-
“the high-level, complex mental operations
that apply within and across domains when we think, act,
or communicate” (Fauconnier 1997, p.1)
उन्होंने इसे सत्य- स्थितिपरक अर्थविज्ञान
(truth-conditional
semantics) में दी गई ‘possible worlds’ की
अवधारणा के सापेक्ष प्रस्तुत किया है। सत्य- स्थितिपरक अर्थविज्ञान में ‘Possible
world’ की अवधारणा इस बात पर आधारित है कि हमारा बाह्य संसार कैसा
हो सकता है?
मानसिक जगत की अवधारणा में यह आवश्यक
नहीं है कि प्रत्येक मानसिक स्थान वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करता हो, बल्कि वह वास्तविक संसार की अमूर्तिकृत रचना होती है जिसका संबंध अमूर्तीकृत
संज्ञानात्मक मॉडल (idealized cognitive model) से है। इसमें
‘मानसिक स्थान का निर्माण करना’ और एक
से ‘अधिक मानसिक स्थानों के बीच मैपिंग करना’ दो मुख्य काम हैं, जो अर्थ की रचना में सहायक होते
हैं। इस अवधारणा को Mark Turner के ‘blending theory’ से भी जोड़कर देखा जाता है।
मानसिक स्थान के अंतर्गत दो प्रकार के
स्थानों की बात की जाती है-
(क) आधार स्थान (Base
space)
(ख) निर्मित स्थान (Built
Space)
(क) आधार स्थान (Base
space)
आधार स्थान को वास्तविक स्थान भी कहा गया है, जिसका संबंध वास्तविक संसार के ज्ञान या अनुभव से है। अतः बाह्य संसार के
अनुभवों से निर्मित स्थान आधार स्थान के अंतर्गत आते हैं।
(ख) निर्मित स्थान (Built
Space)
निर्मित स्थान हमारी धारणाओं पर
आधारित होते हैं। अतः वह धारणा के सापेक्ष ही सत्य या असत्य होते हैं ।
कुछ Space builders भी होते हैं, जो वाक्य में prepositional
phrases, adverbs, connectives आदि के रूप में होते हैं।
इस संबंध में Foundation space and expansion space की
भी बात की जाती है, जिसे शर्तपरक परिस्थितियों के संदर्भ में
दर्शाया जाता है। इसे निम्नलिखित कथन द्वारा समझ सकते हैं-
if A then B
इनमें ‘if’ द्वारा अभिव्यक्त मानसिक स्थान ‘A’ आधारभूत स्थान
(foundation space) कहलाएगा और ‘then’ के पश्चात अभिव्यक्त ‘B’
मानसिक स्थान विस्तार स्थान (expansion space) कहलाएगा।
संदर्भ-
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