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Thursday, March 3, 2022

भाषा सर्वेक्षण और भाषाविज्ञान

 भाषा सर्वेक्षण और भाषाविज्ञान

इसे समझने से पूर्व भाषाविज्ञान के स्वरूप को इस प्रकार से देख सकते हैं-

2.1 सैद्धांतिक भाषाविज्ञान

अध्ययन और उपयोगिता की दृष्टि से भाषविज्ञान के दो पक्षों की बात की जाती है- सैद्धांतिक भाषाविज्ञान और अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान। इनमें सैद्धांतिक भाषाविज्ञान के अंतर्गत भाषा के स्तरों का अध्ययन करने वाली शाखाएँ आती हैं, जिनका हम परिचयात्मक अध्ययन कर चुके हैं। एक चित्र रूप में एक बार पुनः उन्हें इस प्रकार से देखा जा सकता है-

इस चित्र में भाषाविज्ञान की जिन शाखाओं को दर्शाया गया है, वे सभी सैद्धांतिक भाषाविज्ञान के अंतर्गत आती हैं। अतः सैद्धांतिक भाषाविज्ञान में भाषाविज्ञान की निम्नलिखित शाखाएँ आती हैं-

§  ध्वनिविज्ञान/स्वनविज्ञान (Phonetics)

§  स्वनिमविज्ञान (Phonology)

§  रूपविज्ञान (Morphology)

§  वाक्यविज्ञान (Syntax)

§  प्रोक्ति विश्लेषण (Discourse Analysis)

§  अर्थविज्ञान (Semantics)

इस प्रकार हम कह सकते हैं कि सैद्धांतिक भाषाविज्ञान में उपर्युक्त शाखाओं के माध्यम से भाषा की व्यवस्था का अध्ययन किया जाता है।

2.2 अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (Applied Linguistics)

इसका संबंध सैद्धांतिक भाषाविज्ञान के माध्यम से पढ़ी हुई सामग्री (प्राप्त ज्ञान) का अनुप्रयोग (Application) करने से है। उपर्युक्त शाखाओं के माध्यम से अर्जित ज्ञान भाषा का सैद्धांतिक ज्ञान कहलाता है। उस ज्ञान का अनुप्रयोग दो प्रकार से किया जा सकता है-

(क) दूसरी ज्ञानशाखाओं के साथ मिलाकर और अधिक अध्ययन :- इसे अंतरानुशासनिक (Interdisciplinary) अनुप्रयोग कहते हैं।

(ख) व्यावहारिक जीवन के किसी क्षेत्र में अनुप्रयोग :- इसे व्यावहारिक अनुप्रयोग कहते हैं।

अतः सैद्धांतिक और अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान को चित्र रूप में इस प्रकार से देख सकते हैं-

   

इनके अंतर्गत आने वाले विषयों को इस प्रकार से देख सकते हैं-

 अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान : अंतरानुशासनिक (Interdisciplinary)

इसके अंतर्गत कुछ ऐसे विषय आते हैं, जिनमें भाषाविज्ञान दूसरे विषयों के साथ जुड़कर भाषा और इससे संबंधित दूसरी इकाई के बारे में और अधिक अध्ययन करता है। भाषा के साथ जुड़ने वाली कुछ इकाइयाँ और उनसे बनने वाली भाषाविज्ञान की शाखाएँ इस प्रकार हैं-

भाषा + मन               = मनोभाषाविज्ञान

भाषा + समाज          = समाजभाषाविज्ञान

भाषा + संज्ञान           = संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान

भाषा + साहित्य         = शैलीविज्ञान                               आदि।

 

…….             ……..          ………….

अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान : व्यावहारिक (Practical)

इसके अंतर्गत वे क्षेत्र आते हैं, जिनमें भाषाविज्ञान में अध्ययन के माध्यम से अर्जित ज्ञान का अनुप्रयोग किया जाता है। अर्थात भाषावैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग करते हुए व्यावहारिक जीवन में इस क्षेत्रों से संबंधित कार्य किए जाते हैं। ऐसे कुछ प्रमुख क्षेत्र निम्नलिखित हैं-

1. अनुवाद (Translation)

2. भाषा शिक्षण (Language Teaching)

3. कोशविज्ञान एवं कोशनिर्माण (Lexicology and Lexicography)

4. भाषा नियोजन (Language Planning)

5. भाषा सर्वेक्षण (Language Survey)

6. वाक्दोष चिकित्सा (Speech Therapy)               आदि।

इस प्रकार हम देख सकते हैं कि भाषा सर्वेक्षण अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान के अंतर्गत व्यावहारिक (Practical) अनुप्रयोग से जुड़ा एक पक्ष है। यह सैद्धांतिक भाषाविज्ञान और समाजभाषाविज्ञान का अनुप्रयुक्त क्षेत्र है।

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