1960 के दशक से ही व्यतिरेकी
विश्लेषण भाषा शिक्षण के लिए एक महत्वपूर्ण भाषा विश्लेषण पद्धति के रूप
में उभरकर सामने आया है। 'भाषा शिक्षण' भाषाविज्ञान का एक आधारभूत अनुपयुक्त क्षेत्र है। व्यतिरेकी
विश्लेषण भाषा शिक्षण के लिए आधारभूत सैद्धांतिक सामग्री प्रदान करता है। ऐसी
स्थिति में व्यतिरेकी विश्लेषण स्वतः ही भाषाविज्ञान की एक महत्वपूर्ण विश्लेषण
प्रणाली बन जाती है, जो भाषा शिक्षण के
लिए दो भाषाओं के बीच तुलनात्मक संरचनागत सामग्री प्रदान करती है।
व्यतिरेकी विश्लेषण
की भाषाविज्ञान में उपयोगिता को देखते हुए ही इस प्रणाली को कुछ विद्वानों द्वारा
व्यतिरेकी भाषाविज्ञान नाम भी दिया गया
है। यही कारण है कि भाषाविज्ञान में व्यतिरेकी
भाषाविज्ञान शब्द भी देखने को मिलता है।
अंग्रेजी में इसे Contrastive
linguistics और differential linguistics भी कहा गया है। विकिपेडिया में इसके बारे में कहा गया
है- "Contrastive
linguistics is a practice-oriented linguistic approach that seeks to describe
the differences and similarities between a pair of languages ".
No comments:
Post a Comment