व्यतिरेकी विश्लेषण वह कार्य है जिसमें दो भाषाओं की तुलना
करते हुए उनके बीच प्राप्त होने वाली संरचनागत असमानताओं और समानताओं का विश्लेषण
किया जाता है। इसका उद्देश्य भाषा शिक्षण अथवा अनुवाद संबंधी अनुप्रयोग होता है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए तो एक भाषा का द्वितीय भाषा के रूप में अथवा विदेशी भाषा
के रूप में शिक्षण करने के लिए उस भाषा (L1) और शिक्षार्थी की मातृभाषा (L2) की संरचना में पाई जाने वाली भिन्नता और समानता को खोजने की
प्रक्रिया व्यतिरेकी विश्लेषण कहलाती है।
व्यतिरेकी विश्लेषण भाषा शिक्षण के लिए आवश्यक नियम और
टूल्स प्रदान करता है किंतु अनेक विद्वानों द्वारा इस पद्धति की इस रूप में भी
आलोचना की जाती है कि द्वितीय भाषा अर्जन अथवा विदेशी भाषा अर्जन में केवल दोनों
भाषाओं के बीच प्राप्त होने वाली संरचनागत समानता और असमानता ही भाषा अधिगम में
समस्या नहीं पैदा करती है बल्कि उसमें अन्य दूसरे भी अनेक कारण होते हैं। उन
कारणों की खोज त्रुटि विश्लेषण के माध्यम से की जाती है।
अतः 'व्यतिरेकी विश्लेषण' त्रुटि विश्लेषण से भी अपने आप को जोड़ता है। भाषा शिक्षण
में हो रही कठिनाइयों को खोजने के लिए प्रयुक्त होने वाली ये दो प्रमुख विधियां
है। दोनों की प्रविधि अलग है, किंतु लक्ष्य
एक है।
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