25 बरस का हुआ मोबाइल फोन:पहले स्टेट्स सिंबल था लेकिन अब लोगों की जरूरत बन गया, दो दशक में दूसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट बना भारत
- 31 जुलाई 1995 को पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु और तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम के बीच पहली कॉल हुई थी
- वर्तमान में, भारत में लगभग 44.8 करोड़ मोबाइल फोन इंटरनेट यूजर्स है, उम्मीद की जा रही है कि 2023 में यह आंकड़ा 50 करोड़ के पार पहुंचेगा
भारत में मोबाइल फोन 25 साल का हो गया है। 31 जुलाई 1995 को पहली बार मोबाइल फोन ने भारतीय बाजार में कम रखा। पहली बार इसी दिन पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने पहली मोबाइल कॉल कर तत्कालीन केंद्रीय दूरसंचार मंत्री सुखराम से बात की थी। तब से लेकर अब तक भारत, चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टेलिकॉम मार्केट बन चुका है। वर्तमान में, भारत में लगभग 44.8 करोड़ मोबाइल फोन इंटरनेट यूजर्स है, और काफी हद तक इसका श्रेय मुकेश अंबानी को जाता है, जिन्होंने जियो के साथ देश में फ्री कॉलिंग और इंटरनेट कल्चर की शुरुआती की। पहले लग्जरी और स्टेट्स सिंबल के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाला स्मार्टफोन आज लोगों की जरूरत बन गया है। आइए जानते हैं 25 साल में कितना बदल गया है मोबाइल फोन...
1995: कॉरपोरेट्स को इंटरनेट के लिए 15000 रुपए तक देने होते थे
1995 में विदेश संचार निगम लिमिटेड ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर इंटरनेट कनेक्टिविटी का तोहफा भारत के लोगों को दिया। कंपनी ने देश में गेटवे इंटरनेट ऐक्सिस सर्विस के लॉन्च का ऐलान किया। शुरुआत में यह सेवा चारों मेट्रो शहरों में ही दी गई। लोग डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकम्युनिकेशन्स आई-नेट के जरिए लीज्ड लाइन्स या डायल-अप फैसिलिटीज़ के साथ इंटरनेट इस्तेमाल करते थे। उस समय 250 घंटों के लिए 5,000 रुपए देने होते थे जबकि कॉरपोरेट्स के लिए यह फीस 15,000 रुपए थी।
पहली कॉल राइटर्स बिल्डिंग से नई दिल्ली स्थित संचार भवन के बीच
ज्योति बसु ने यह कॉल कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग से नई दिल्ली स्थित संचार भवन में की थी। भारत की पहली मोबाइल ऑपरेटर कंपनी मोदी टेल्स्ट्रा थी और इसकी सर्विस को मोबाइल नेट (mobile net) के नाम से जाना जाता था। पहली मोबाइल कॉल इसी नेटवर्क पर की गई थी। मोदी टेल्स्ट्रा भारत के मोदी ग्रुप और ऑस्ट्रेलिया की टेलिकॉम कंपनी टेल्स्ट्रा का जॉइंट वेंचर था। यह कंपनी उन 8 कंपनियों में से एक थी जिसे देश में सेल्युलर सर्विस प्रोवाइड करने के लिए लाइसेंस मिला था।
कॉल करने वाले और सुनने वाले, दोनों को देने पड़ते थे पैसे
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