प्रथम
सेमेस्टर
प्रश्नपत्र
01: भाषा और भाषाविज्ञान (04 क्रेडिट)
क्र.सं.
|
विषय
|
अध्यापन
|
ट्यूटोरियल
|
इकाई -
1 भाषा
|
10
|
05
|
|
1
|
भाषा का अर्थ , भाषा की परिभाषा
|
02
|
01
|
2
|
भाषा की
विशेषताएं
|
03
|
01
|
3
|
व्यक्ति
बोली, बोली, उपभाषा और भाषा
|
02
|
02
|
4
|
वाचिक
और लिखित भाषा
|
03
|
01
|
इकाई -
2 भाषाविज्ञान
|
15
|
03
|
|
1
|
भाषाविज्ञान क्या
है?
|
02
|
01
|
2
|
अनुप्रयुक्त
भाषाविज्ञान
|
02
|
01
|
3
|
भाषाविज्ञान के अंग
(स्वनविज्ञान,स्वनिमविज्ञान, रूपविज्ञान,
वाक्यविज्ञान अर्थविज्ञान)
|
03
|
01
|
4
|
भाषावैज्ञानिक अध्ययन
की दिशाएं - वर्णानात्मक, तुलनात्मक,
ऐतिहासिक
|
03
|
02
|
इकाई -
3 भाषा के घटक
|
10
|
05
|
|
1
|
स्वनिम
|
02
|
01
|
2
|
रूप और
रूपिम
|
02
|
01
|
3
|
शब्द
और पद
|
02
|
01
|
4
|
पदबंध, उपवाक्य और वाक्य
|
02
|
01
|
5
|
अर्थ
|
02
|
01
|
इकाई -
4 भाषा
का अन्य विषयों से संबंध
|
10
|
05
|
|
1
|
भाषा
और समाज
|
03
|
01
|
2
|
भाषा
और मन
|
03
|
01
|
3
|
भाषा
और साहित्य
|
02
|
01
|
4
|
भाषा
और कंप्यूटर
|
02
|
02
|
संदर्भ
ग्रंथ :
1. Akmajian,
A, Richard, D., Farmer, A.K., Harnish, R. M. (2010). Linguistics: An Introduction
to Language and communication. New
Delhi: PHI.
2. Block,
B. & Trager, G. L. (1972). Outline of Linguistic analysis. New Delhi:
Munshiram Manoharlal.
3. Bloomfield,
L. (2012). Language. Delhi: Motilal Banarasi Das.
4. Chomsky,
N. (1986). Knowledge of Language: Its nature, origin, and use. New York:
Praeger.
5. David,
C. (2010). The Cambridge Encyclopedia of Language. Cambridge: Cambridge
University Press.
6. Fromkin,
V., & Rodman, R. (1998). An Introduction to Language. 6th edn, Fort Worth:
Harcourt Brace.
7. Harnish,
R. M., ed. (1994). Basic topics in the philosophy of language. Englewood
Cliffs, N.J.: Prentice-Hall.
8. Hymes,
D. H., ed. (1964). Language in culture and society. New York: Harper and Row.
9. Jakobson,
R., & M. Halle. (1956). Fundamentals of Language, The Hague: Mouton.
10. Jespersen,
O. (1924). The philosophy of grammar. London: Allen and Unwin.
11. Jesperson,
O. (1968). Language: It’s Nature, Development and Origin.Otto, London: Allen
and Unwin.
12. Katz,
J. (1966). The philosophy of language. New York: Harper and Row.
13 Lyons,
J. (1981). Language and Linguistics. London: C.U.P.
14. Owens, R. E.
(1984). Language development: An introduction. Columbus, Ohio: Charles E. Merrill Publishing Co.
15. Robins,
R. H. (1965). General Linguistics: An Introductory Survey. Bloomington, Indiana
University Press.
प्रश्नपत्र 02: भारतीय भाषा चिंतक (02
क्रेडिट)
क्र.सं.
|
विषय
|
अध्यापन
|
ट्यू.
|
इकाई – 1 संस्कृतकालीन चिंतन और चिंतक
|
10
|
05
|
|
1
|
वैदिक
भाषा चिंतन
|
02
|
02
|
2
|
यास्क
और निरुक्त
|
02
|
01
|
3
|
मुनित्रय
– पाणिनि, कात्यायन, पतंजलि
|
03
|
01
|
4
|
संस्कृत
वैयाकरणिक परंपरा में ध्वनि, शब्द और वाक्य संबंधी
प्रमुख अवधारणाएँ
|
03
|
01
|
इकाई – 2 आधुनिक भारतीय भाषाचिंतक
|
10
|
05
|
|
1
|
प्रमुख
भाषा चिंतक – 1. सुनिति कुमार चटर्जी 2. उदय नारायण तिवारी 3. रामकृष्ण गोपाल
भंडारकर 4. आचार्य देवेन्द्र नाथ शर्मा 5. रवींद्रनाथ श्रीवास्तव
|
05
|
02
|
2
|
प्रमुख
हिंदी वैयाकरण - कामताप्रसाद गुरु, आचार्य किशोरी
दास वाजपेयी, सूरजभान सिंह
|
05
|
03
|
संदर्भ ग्रंथ –
1. Culler, J. (1986). Ferdinand de
Saussure. 2nd edn, Ithaca, New York: Cornell University Press.
2. Geoffrey, S. (1980). Schools of
Linguistics. London: Hutchinson.
3. Jespersen, O. (1924). The
philosophy of grammar. London: Allen and Unwin.
4. Kapoor, Kapil. (2010). Dimensions
of Panini Grammar.New Delhi : D.K. Printword (P) Ltd.
5. Lyons, J. (1970). Noam Chomsky.
New York: Viking Press.
6. Mishra, Vidyaniwas. (1966). The
Descriptive Technique of Panini.Mouton.
7. Robins, R.H. (1990). A Short
History of Linguistics. London: Longman
8. अयंगार, वी.कृष्णस्वामी . (1981). पाणिनीय व्याकरण
प्रवेश. आगरा: उमा मेहरा एंड कंपनी.
9. अय्यर, के.ए.एस. (1991).
भर्तृहरि का वाक्य
पदीय. जयपुर: राजस्थान हिंदी ग्रंथ
अकादमी.
10.अरस्तू. (2003).काव्यशास्त्र . – अनु. डॉ. नगेंद्र, इलाहाबाद: भारती भंडार.
11. देशपांडे, गणेश त्र्यंबक. (1961). भारतीय साहित्य शास्त्र . बंबई: पापुलर बुक डिपो.
12. मिश्र, विद्यानिवास,
विद्यालंकार, अनिल, चतुर्वेदी, माणिकलाल. (1994). भारतीय भाषाशास्त्रीदय चिंतन, जयपुर: राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादेमी.
13. मिश्र, विद्यानिवास. (1978). भारतीय
भाषाशास्त्रीलय चिंतन की पीठिका, पटना: बिहार राष्ट्रयभाषा परिषद.
14. मीमांसक, युधिष्ठिर. (?).
संस्कृत व्याकरण का
इतिहास. वाराणसी: चौखंभा.
15. श्रीवास्तव, रवींद्रनाथ. (1984). भाषाशास्त्रा के सूत्रधार. नयी दिल्लीह: नेशनल पब्लिशिंग हाउस.
तृतीय
सेमेस्टर
प्रश्नपत्र : हिंदी भाषा (अनिवार्य
प्रश्नपत्र 02 क्रेडिट)
क्र.सं.
|
विषय
|
अध्यापन
|
ट्यू.
|
इकाई 01 : हिंदी भाषा :विविध पक्ष
|
10
|
05
|
|
1
|
ऐतिहासिक: हिंदी भाषा
का उद्वव और विकास
|
02
|
01
|
2
|
भौगोलिक: हिंदी की
बोलियाँ और उनका क्षेत्र
|
02
|
01
|
3
|
प्रसारात्मक
: हिंदी
का मानकीकरण एवं आधुनिकीकरण
|
02
|
01
|
4
|
प्रकार्यात्मक:
राजभाषा,
राष्ट्रभाषा, संपर्कभाषा एवं विश्वभाषा
|
02
|
01
|
5
|
संवैधानिक:
राजभाषा
अधिनियम
|
02
|
01
|
इकाई 02 : हिंदी भाषा : स्वरूप और प्रयोग
|
10
|
05
|
|
1
|
हिंदी वर्णमाला ,
हिंदी वर्तनी
|
02
|
01
|
2
|
संधि और समास
|
02
|
01
|
3
|
हिंदी का शब्दभंडार
|
02
|
01
|
4
|
हिंदी वाक्य
(उद्देश्य, विधेय, अन्विति आदि)
|
02
|
01
|
5
|
आलेखन,
टिप्पण, पत्राचार एवं पारिभाषिक शब्दावली
|
02
|
01
|
संदर्भ-ग्रंथ
1.
गुरु,
कामता प्रसाद. (1997). हिंदी
व्याकरण. काशी : नागरी प्रचारिणी सभा.
2.
तिवारी,
भोलानाथ. (1979). हिंदी भाषा की संरचना. दिल्ली : वाणी प्रकाशन.
3.
श्रीवास्तव,
रवींद्रनाथ. (1995). हिंदी भाषा : संरचना
के विविध आयाम. नयी दिल्ली : राधाकृष्ण प्रकाशन.
4. बाहरी ,
हरदेव (2010). हिंदी भाषा, इलाहाबाद , अभिव्यक्ति प्रकाशन.
5. Sharma,
Aryendra. (1983). A Basic Grammar of Modern Hindi. New Delhi: Central
Hindi Directorate.
6.
दास, ठाकुर (2007) कार्यालयीन हिंदी, जनवाणी प्रकाशन, दिल्ली
7. भाटिया, कैलाशचंद्र , प्रयोजनमूलक हिंदी : प्रक्रिया और स्वरूप (2005),
तक्षशिला प्रकाशन, नई दिल्ली
प्रश्नपत्र 01: हिंदी व्याकरण (04
क्रेडिट)
क्र.सं.
|
विषय
|
अध्यापन
|
ट्यू.
|
इकाई 01 : स्वर
एवं व्यंजन
|
10
|
05
|
|
1
|
स्वर ध्वनियाँ - ह्रस्व, दीर्घ
एवं प्लुत स्वर
|
05
|
02
|
2
|
व्यंजन ध्वनियाँ -
वर्गीय ध्वनियाँ, वर्गीय
ध्वनियों में घोषत्व एवं प्राणत्व,अंतस्थ ध्वनियाँ , ऊष्म ध्वनियाँ
|
05
|
03
|
इकाई 02 : संधि
एवं समास
|
10
|
05
|
|
1
|
संधि की परिभाषा
|
05
|
02
|
2
|
संधि के प्रकार - स्वर
संधि, व्यंजन संधि , विसर्ग संधि
|
||
3
|
समास की
परिभाषा
|
10
|
05
|
4
|
समास के प्रकार - द्वंद्व
समास , द्विगु समास, तत्पुरुष समास, कर्मधारय समास, बहुव्रीहि समास, अव्ययीभाव समास
|
||
इकाई 03 : शब्द संरचना
|
10
|
05
|
|
1
|
शब्द एवं पद
|
02
|
01
|
2
|
उपसर्ग
|
03
|
01
|
3
|
प्रत्यय - कृदंत प्रत्यय, तद्धित
प्रत्यय, स्त्रीवाची प्रत्यय, पुरुषवाची
प्रत्यय
|
05
|
03
|
इकाई 04 : वाक्य
के घटक
|
10
|
05
|
|
1
|
उद्देश्य एवं
विधेय
|
01
|
02
|
2
|
वाक्य की आवश्यकता
– योग्यता, आकांक्षा, सन्निधि
|
02
|
01
|
3
|
वाक्य के प्रकार
|
04
|
01
|
4
|
वाक्य और अन्विति
|
03
|
01
|
संदर्भ-ग्रंथ
1.
अग्निहोत्री, रमाकांत. (2013). हिंदी: एक मौलिक व्याकरण. नयी दिल्ली : वाणी प्रकाशन.
2.
काचरू, यमुना.
(1980). हिंदी का समसामयिक व्याकरण. नयी दिल्ली :
मैकमिलन.
3.
कालरा, सुधा. (1971). हिंदी वाक्य विन्यास. इलाहाबाद : लोकभारती प्रकाशन.
4.
गुरु, कामता प्रसाद. (1997). हिंदी
व्याकरण. काशी : नागरी प्रचारिणी सभा.
5.
तिवारी, भोलानाथ. (1979). हिंदी भाषा की संरचना. दिल्ली : वाणी प्रकाशन.
6.
वाजपेयी, किशोरीदास. (1998). हिंदी शब्दानुशासन.
काशी: नागरी प्रचारणी सभा.
7.
श्रीवास्तव, रवींद्रनाथ. (1995). हिंदी भाषा : संरचना के
विविध आयाम. नयी दिल्ली : राधाकृष्ण प्रकाशन.
8.
सहाय, चतुर्भुज. (1979). हिंदी वाक्यसंरचना. वाराणसी : संजय बुक सेंटर.
9.
सिंह, सूरजभान. (2000). हिंदी का वाक्यात्मक व्याकरण. दिल्ली : साहित्य सहकार.
10.
Kachru, Yamuna. (2006). Hindi. Amsterdam: John Benjamin
Publishing Company.
11.
Kaul, Omkar Nath.
(2006). Modern Hindi Grammar. Springfield, USA: Dunwoody Press.
12.
McGregor, R. S. (1972). Outline of
Hindi Grammar. Delhi: OUP.
13.
Sharma, Aryendra. (1983). A Basic Grammar of Modern Hindi.
New Delhi: Central Hindi Directorate.
प्रश्नपत्र 02. लिपि और उसका भारतीय
परिप्रेक्ष्य (02
क्रेडिट)
क्रम
|
विषय
|
अध्यापन
|
ट्यू.
|
इकाई -1 : लिपि :
स्वरूप और विकास
|
10
|
05
|
|
1
|
लिपि : परिभाषा एवं
स्वरूप
|
02
|
01
|
2
|
लिपि का उद्भवऔर
विकास
|
02
|
02
|
3
|
लिपि के प्रकार-
चित्रलिपि, भावलिपि, सूत्रलिपि,
आक्षरिक लिपि और वर्णनात्मक लिपि
|
03
|
01
|
4
|
लिपि और भाषा का
अंत:संबंध
|
03
|
01
|
इकाई-2 : लिपि :
भारतीय परिप्रेक्ष्य
|
10
|
05
|
|
1
|
प्राचीन भारतीय
लिपियां – खरोष्ठी,
ब्राह्मी
|
02
|
01
|
2
|
देवनागरी परिचय
|
02
|
02
|
3
|
देवनागरी लिपि :
सुधार एवं मानकीकरण
|
03
|
01
|
4
|
स्वनिक लिप्यंकन
|
03
|
01
|
वाह
ReplyDelete