भाषाविज्ञान वह विज्ञान या शस्त्र है जिसके अंतर्गत मानव
भाषओं का अध्ययन विश्लेषण किया जाता है तथा उसमें प्राप्त होने वाले नियमों की खोज
की जाती है। इस खोज से जो ज्ञान उपलब्ध होता है उसका अनुप्रयोग भाषा शिक्षण, अनुवाद, कोश निर्माण, भाषा नियोजन, भाषा
प्रौद्योगिकी और कंप्यूटेशनल भाषाविज्ञान जैसे अनेक क्षेत्रों में किया जाता है। भाषाविज्ञान
में किसी एक भाषा की संरचना का भी विश्लेषण किया जा सकता है और एक से अधिक भाषाओं
की संरचना का भी विश्लेषण किया जा सकता है। जब हम एक से अधिक भाषाओं की संरचना का
विश्लेषण करते हैं तो उनके बीच समानता और भिन्नता का प्राप्त होना स्वाभाविक है।
भाषा शिक्षण अथवा अनुवाद की दृष्टि से दो भाषाओं के बीच
संरचना के स्तर पर प्राप्त होने वाली भिन्नताओं और समानताओं की खोज करने की पद्धति
व्यतिरेकी विश्लेषण कहलाती है। भाषाविज्ञान के एक अंग या क्षेत्र के रूप में इसे
व्यतिरेकी भाषाविज्ञान भी नाम दिया गया है। इस स्थिति में देखा जाए तो
व्यतिरेकी भाषाविज्ञान भाषाविज्ञान का एक
अंग है जो सैद्धांतिक भाषाविज्ञान और अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान दोनों से जुड़ा हुआ
है।
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