नई कहानी लिखने के लिए सबसे पहले उसका विषय सोचें। विषय तय हो जाने के बाद यह निर्धारित करें कि कहानी किसके लिए लिखी जा रही है? यदि कहानी बच्चों के लिए लिखी जा रही है तो उसकी शब्दावली सरल होनी चाहिए तथा प्रस्तुति रोचक होनी चाहिए। बड़े लोगों के लिए लिखा जा रहे कहानी में गंभीरता होना आवश्यक है।
कहानी लेखन के चरण
1. विषय का निर्धारण
सबसे पहले कहानी के विषय का निर्धारण करते हैं।
2. कहानी के पाठक या श्रोता के अनुसार प्रस्तुति शैली का निर्धारण
विषय निर्धारण के पश्चात पाठक या श्रोता के अनुसार प्रस्तुति शैली का निर्धारण करते हैं।
3. कथानक और उसकी पृष्ठभूमि का निर्धारण
उपर्युक्त दोनों बातें तय हो जाने के बाद सोचते हैं की कहानी की पृष्ठभूमि क्या होगी? उदाहरण के लिए यदि किसी व्यक्ति या लोगों के बारे में है तो उसका समाज क्या होगा?
किस समय की कहानी होगी- वर्तमान काल की, भूतकाल की अथवा भविष्य काल की। इसी प्रकार ग्रामीण परिवेश होगा या शहरी आदि सब मन में सोचते हैं।
4. लेखन
सब कुछ निश्चित कर लेने के बाद कहानी का लेखन किया जाता है।
यहाँ chatgpt द्वारा बनाई गई एक कहानी का उदाहरण दिया जा रहा है-
**"सच्ची मित्रता"**
एक गाँव में दो दोस्त रहते थे, रामू और श्यामू। दोनों बचपन से साथ खेलते थे और एक-दूसरे के अच्छे और बुरे समय में साथ रहते थे। एक दिन गाँव में एक बड़ा तूफ़ान आया। सभी लोग अपने घरों में छिप गए, लेकिन रामू और श्यामू को अपनी जान की चिंता नहीं थी। रामू का घर तूफ़ान में बर्बाद हो गया, जबकि श्यामू का घर सुरक्षित रहा।
रामू ने श्यामू से मदद माँगी, और श्यामू बिना किसी देरी के अपनी मदद देने के लिए तैयार हो गया। श्यामू ने रामू को अपने घर में आश्रय दिया, और दोनों ने मिलकर रामू के घर की मरम्मत की।
रामू ने श्यामू से कहा, "तू मेरी मदद के लिए हमेशा खड़ा रहता है। मैं तुझे कभी नहीं भूल सकता।" श्यामू मुस्कराया और कहा, "दोस्ती में कोई हिसाब-किताब नहीं होता, रामू। सच्ची मित्रता का मतलब एक-दूसरे का साथ देना है, चाहे हालात जैसे भी हों।"
वो दोनों समझ गए कि सच्ची मित्रता सिर्फ मुश्किल समय में नहीं, बल्कि हर पल एक-दूसरे के साथ खड़े रहने में है।
कहानी से शिक्षा: सच्ची मित्रता परखा नहीं जाता, यह केवल साथ रहने और एक-दूसरे का सहारा बनने से ही निखरती है।
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