Total Pageviews
विषय सूची
- 1. भाषा : आधारभूत (Language: Fundamentals)
- 2. सामान्य भाषाविज्ञान (General Linguistics)
- 3. ध्वनि/स्वनविज्ञान एवं स्वनिमविज्ञान (Phonetics&Phonology)
- 4. रूपविज्ञान (Morphology)
- 5. वाक्यविज्ञान (Syntax)
- 6. अर्थविज्ञान (Semantics)
- 7. प्रोक्ति-विश्लेषण और प्रकरणार्थविज्ञान (Discourse Analysis & Pragmatics)
- 8. भारतीय भाषा चिंतन (Indian Language Thought)
- 9. पश्चिमी भाषा चिंतन (Western Language Thought)
- 10. व्याकरण सिद्धांत (Grammar Theories)
- 11. ऐतिहासिक/ तुलनात्मक भाषाविज्ञान (His.&Com. Lig.)
- 12. लिपिविज्ञान (Graphology)
- 13. व्यतिरेकी भाषाविज्ञान (Contrastive Ligs)
- 14. अंतरानुशासनिक भाषाविज्ञान (Interdisciplinary Ligs)
- 15. समाजभाषाविज्ञान (Sociolinguistics)
- 16. मनोभाषाविज्ञान (Psycholinguistics)
- 17. संज्ञानात्मक भाषाविज्ञान (Cognitive Linguistics)
- 18. न्यूरोभाषाविज्ञान (Neurolinguistics)
- 19. शैलीविज्ञान (Stylistics)
- 20. अनुप्रयुक्त भाषाविज्ञान (A.L.)
- 21. अनुवाद (Translation)
- 22. भाषा शिक्षण (Language Teaching)
- 23. कोशविज्ञान (Lexicology)
- 24. भाषा सर्वेक्षण (Language Survey)
- 25. भाषा नियोजन (Lg Planning)
- 26. क्षेत्र भाषाविज्ञान (Field Ligs)
- 27. मीडिया/ सिनेमा और भाषा (Media/Cinema & Language)
- 28. UGC-NET भाषाविज्ञान
- 29. गतिविधियाँ/नौकरी (Activities/Job)
- 30. SCONLI-12 (2018)
- 31. भाषाविज्ञान : शोध (Linguistics : Research)
- 32. EPG भाषाविज्ञान
- 33. विमर्श (Discussion)
- 34. लिंक सूची (Link List)
- 35. अन्य (Others)
Sunday, May 5, 2024
भारतीय लिपियों की कहानी : अशोक के स्तंभ
Wednesday, May 1, 2024
NTL fellowship CIIL मैसूर
Monday, April 29, 2024
स्थिति निर्देश (Deixis)
स्थिति निर्देशक तत्व (Deixis) – इसके अंतर्गत वे प्रयोग आते हैं, जिनके संदर्भार्थ पाठ के बाहर उक्ति के कथन के समय और परिवेश में होते हैं। इनके भी तीन भेद किए जाते हैं-
· व्यक्ति निर्देश (person) : मैं, तुम, वह, वे आदि। (वक्ता, श्रोता या वहाँ को लोगों को सूचित करने के लिए प्रयुक्त।
· स्थान निर्देश (place) : यहाँ, वहाँ, इधर, उधर आदि।
· समय निर्देश (time) : अब, तब, आज, अगले दिन आदि।
Tuesday, April 23, 2024
प्री-फ्रंटल कार्टेक्स
25 की उम्र में जलती दिमाग में नई बत्ती, प्री-फ्रंटल ब्रेन होता एक्टिव
इंसानी शरीर की बनावट भी मैच्योरिटी पर असर डाल सकती है। मनोवैज्ञानिक दिमाग के प्री-फ्रंटल कार्टेक्स को परिपक्वता से जोड़कर देखते हैं। ब्रेन का यह हिस्सा पूरी तरह विकसित होने में सबसे लंबा समय लेता है और 22-23 साल की उम्र तक जाकर पूरी तरह विकसित हो पाता है।
प्री-फ्रंटल कार्टेक्स (PFC) हायर कॉग्निटिव स्किल के साथ डिसिजन मेकिंग, तर्कशीलता, समझदारी, इंपल्स कंट्रोल और स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार होता है। दिमाग के इस हिस्से से सोचना शुरू करने के बाद इंसान भावुक की जगह तर्कशील हो जाता है। भावनाओं मे बहकर फैसले नहीं लेता। कुछ भी करने से पहले अपनी इच्छा-अनिच्छा, फायदे-नुकसान का गणित लगा पाता है।
जैसाकि हम जानते हैं कि प्री-फ्रंटल कार्टेक्स देर से विकसित होता है, लेकिन बच्चा बुनियादी इंस्टिक्टिव ब्रेन यानी सेरेबेलम के साथ ही जन्म लेता है। दिमाग का ये हिस्सा उसके नेचुरल इंस्टिंक्ट जैसे भूख लगने पर खाना मांगना, चोट लगने पर रोना के लिए जिम्मेदार होता है। इन्हें सीखने की जरूरत नहीं होती।
लेकिन 20 से 25 साल की उम्र में विकसित होने वाले प्री-फ्रंटल कार्टेक्स में अपनी कोशिशों से सीखी गई चीजें स्टोर होती हैं। दिमाग का यही हिस्सा मैच्योरिटी के लिए जिम्मेदार होता है।
दैनिक भास्कर से साभार
लिंक : https://www.bhaskar.com/lifestyle/news/relationship-partner-mature-or-immature-signs-132913315.html