हिंदी में बद्ध रूपिमों द्वारा निर्मित शब्द
हिंदी में कुछ ऐसे भी
शब्द प्राप्त होते हैं, जिनमें आए हुए दोनों रूपिम बद्ध
रूपिम होते हैं। उनमें से एक मूलतः बद्ध रूपिम (उपसर्ग/प्रत्यय) होता है, जबकि दूसरा कोशीय बद्ध रूपिम होता है। कोशीय बद्ध रूपिम से तात्पर्य है- शब्द
का कोशीय अर्थ तो होता है, किंतु वह अकेले वाक्य में प्रयुक्त
नहीं होता। इसका कारण है- इस प्रकार के शब्दों का संस्कृत से सीधे हिंदी में आकर प्रयुक्त
होना। ऐसे शब्दों में प्रयुक्त कोशीय शब्द संस्कृत में तो स्वतंत्र रूप से प्रयोग के
योग्य थे, किंतु हिंदी में ये अकेले नहीं आते। ऐसे कुछ उपसर्ग-निर्मित
शब्द इस प्रकार हैं-
(1)
सुजाता = सु
+ जाता
परिजाता = परि
+ जाता
(2)
उपकार = उप+
कार
प्रतिकार = प्रति
+ कार
(3)
अनुकूल = अनु
+ कूल
प्रतिकूल = प्रति
+ कूल
(4)
प्रधान = प्र
+ धान
विधान = वि
+ धान
(5)
आचार = आ +
चार
विचार = वि
+ चार
(6)
विकास = वि + कास
निकास = नि + कास
(7)
प्रकाश = प्र + काश
अवकाश = अव
+ काश
(8)
निवेदन = नि
+ वेदन
संवेदन = सं
+ वेदन
प्रतिवेदन = प्रति
+ वेदन
इसी प्रकार प्रत्यय, संधि और समास से निर्मित शब्द भी देखे जा सकते हैं।
हिंदी में बद्ध रूपिमों द्वारा निर्मित शब्द
हिंदी में कुछ ऐसे भी
शब्द प्राप्त होते हैं, जिनमें आए हुए दोनों रूपिम बद्ध
रूपिम होते हैं। उनमें से एक मूलतः बद्ध रूपिम (उपसर्ग/प्रत्यय) होता है, जबकि दूसरा कोशीय बद्ध रूपिम होता है। कोशीय बद्ध रूपिम से तात्पर्य है- शब्द
का कोशीय अर्थ तो होता है, किंतु वह अकेले वाक्य में प्रयुक्त
नहीं होता। इसका कारण है- इस प्रकार के शब्दों का संस्कृत से सीधे हिंदी में आकर प्रयुक्त
होना। ऐसे शब्दों में प्रयुक्त कोशीय शब्द संस्कृत में तो स्वतंत्र रूप से प्रयोग के
योग्य थे, किंतु हिंदी में ये अकेले नहीं आते। ऐसे कुछ उपसर्ग-निर्मित
शब्द इस प्रकार हैं-
(1)
सुजाता = सु
+ जाता
परिजाता = परि
+ जाता
(2)
उपकार = उप+
कार
प्रतिकार = प्रति
+ कार
(3)
अनुकूल = अनु
+ कूल
प्रतिकूल = प्रति
+ कूल
(4)
प्रधान = प्र
+ धान
विधान = वि
+ धान
(5)
आचार = आ +
चार
विचार = वि
+ चार
(6)
विकास = वि + कास
निकास = नि + कास
(7)
प्रकाश = प्र + काश
अवकाश = अव
+ काश
(8)
निवेदन = नि
+ वेदन
संवेदन = सं
+ वेदन
प्रतिवेदन = प्रति
+ वेदन
इसी प्रकार प्रत्यय, संधि और समास से निर्मित शब्द भी देखे जा सकते हैं।
हिंदी में बद्ध रूपिमों द्वारा निर्मित शब्द
हिंदी में कुछ ऐसे भी
शब्द प्राप्त होते हैं, जिनमें आए हुए दोनों रूपिम बद्ध
रूपिम होते हैं। उनमें से एक मूलतः बद्ध रूपिम (उपसर्ग/प्रत्यय) होता है, जबकि दूसरा कोशीय बद्ध रूपिम होता है। कोशीय बद्ध रूपिम से तात्पर्य है- शब्द
का कोशीय अर्थ तो होता है, किंतु वह अकेले वाक्य में प्रयुक्त
नहीं होता। इसका कारण है- इस प्रकार के शब्दों का संस्कृत से सीधे हिंदी में आकर प्रयुक्त
होना। ऐसे शब्दों में प्रयुक्त कोशीय शब्द संस्कृत में तो स्वतंत्र रूप से प्रयोग के
योग्य थे, किंतु हिंदी में ये अकेले नहीं आते। ऐसे कुछ उपसर्ग-निर्मित
शब्द इस प्रकार हैं-
(1)
सुजाता = सु
+ जाता
परिजाता = परि
+ जाता
(2)
उपकार = उप+
कार
प्रतिकार = प्रति
+ कार
(3)
अनुकूल = अनु
+ कूल
प्रतिकूल = प्रति
+ कूल
(4)
प्रधान = प्र
+ धान
विधान = वि
+ धान
(5)
आचार = आ +
चार
विचार = वि
+ चार
(6)
विकास = वि + कास
निकास = नि + कास
(7)
प्रकाश = प्र + काश
अवकाश = अव
+ काश
(8)
निवेदन = नि
+ वेदन
संवेदन = सं
+ वेदन
प्रतिवेदन = प्रति
+ वेदन
इसी प्रकार प्रत्यय, संधि और समास से निर्मित शब्द भी देखे जा सकते हैं।
हिंदी में बद्ध रूपिमों द्वारा निर्मित शब्द
हिंदी में कुछ ऐसे भी
शब्द प्राप्त होते हैं, जिनमें आए हुए दोनों रूपिम बद्ध
रूपिम होते हैं। उनमें से एक मूलतः बद्ध रूपिम (उपसर्ग/प्रत्यय) होता है, जबकि दूसरा कोशीय बद्ध रूपिम होता है। कोशीय बद्ध रूपिम से तात्पर्य है- शब्द
का कोशीय अर्थ तो होता है, किंतु वह अकेले वाक्य में प्रयुक्त
नहीं होता। इसका कारण है- इस प्रकार के शब्दों का संस्कृत से सीधे हिंदी में आकर प्रयुक्त
होना। ऐसे शब्दों में प्रयुक्त कोशीय शब्द संस्कृत में तो स्वतंत्र रूप से प्रयोग के
योग्य थे, किंतु हिंदी में ये अकेले नहीं आते। ऐसे कुछ उपसर्ग-निर्मित
शब्द इस प्रकार हैं-
(1)
सुजाता = सु
+ जाता
परिजाता = परि
+ जाता
(2)
उपकार = उप+
कार
प्रतिकार = प्रति
+ कार
(3)
अनुकूल = अनु
+ कूल
प्रतिकूल = प्रति
+ कूल
(4)
प्रधान = प्र
+ धान
विधान = वि
+ धान
(5)
आचार = आ +
चार
विचार = वि
+ चार
(6)
विकास = वि + कास
निकास = नि + कास
(7)
प्रकाश = प्र + काश
अवकाश = अव
+ काश
(8)
निवेदन = नि
+ वेदन
संवेदन = सं
+ वेदन
प्रतिवेदन = प्रति
+ वेदन
इसी प्रकार प्रत्यय, संधि और समास से निर्मित शब्द भी देखे जा सकते हैं।
No comments:
Post a Comment