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Tuesday, August 27, 2019

भाषा के आधारभूत अभिलक्षण (Design Features of Language)

भाषा के आधारभूत अभिलक्षण (Design Features of Language)

अमेरिकी संरचनावाद के विख्यात भाषावैज्ञानिक Charles Francis Hockett (जो एक anthropologist भी हैं) द्वारा 1960 ई. में ‘The Origin of Speech’ में भाषा 13 आधारभूत अभिलक्षणों की बात की गई। मानव भाषा का उद्देश्य मनुष्य को विचार करने और उनका संप्रेषण करने की सुविधा प्रदान करना है। यह कार्य अन्य प्राणियों द्वारा भी अपने स्तर पर किया जाता है, किंतु उनके द्वारा प्रयुक्त माध्यम मानव भाषा से अलग क्यों हैं? इसके उत्तरस्वरूप हॉकेट द्वारा इनका प्रतिपादन किया गया और इसे उन्होंने ‘design features of language’ नाम दिया। अतः आधारभूत अभिलक्षण वे अभिलक्षण हैं, जो मानव भाषा को अन्य प्राणियों द्वारा प्रयुक्त संकेत व्यवस्थाओं से अलग करते हैं। कुछ महत्वपूर्ण अभिलक्षण इस प्रकार हैं-  

1. यादृच्छिकता (Arbitrariness) : भाषा में शब्द और अर्थ के बीच कोई सीधा या प्राकृतिक संबंध नहीं होता, बल्कि माना हुआ संबंध होता है। यह माना हुआ संबंध समाज द्वारा स्वीकृत होता है। अर्थात किसी शब्द को हम भी वही कहते हैं, जो बाकी सभी लोग कहते हैं। उदाहरण के लिए हम विचार कर सकते हैं कि
पेड़ को पेड़ या कुर्सी को कुर्सी
ही क्यों कहते हैं?
इसके पीछे प ‌+ ए + ड़ ध्वनियों में कोई ऐसी विशेषता नहीं है, कि उन्हें पेड़ कहा जाए। पेड़ को कुर्सी या कुर्सी को पेड़ भी कहा जा सकता है, किंतु वह तब सही होगा, जब सभी लोग ऐसा कहने लगें।
बड़े लोगों के प्रभाव में ऐसा कभी-कभी होता भी है, जैसे- गांधी जी ने दलितों के लिए हरिजन शब्द का प्रयोग किया। श्री नरेंद्र मोदी ने विकलांगों के लिए दिव्यांग शब्द का प्रयोग किया।
नोट- यादृच्छिकता के कारण एक ही वस्तु के लिए अलग-अलग भाषाओं में अलग-अलग शब्द मिलते हैं, जैसे-
हिंदी - पानी,
अंग्रेजी - वाटर,
जापानी - मिजु आदि
एक ही भाषा में एक वस्तु के लिए कई शब्द मिलते हैं, जैसे-
पेड़, वृक्ष
या
पानी, जल
2.   अंतरविनिमेयता (Interchangeability) : मानव भाषा में संप्रेषण के दौरान एक ही व्यक्ति वक्ता और श्रोता दोनों हो सकता है। अर्थात् वक्ता और श्रोता बातचीत में अपनी भूमिकाएँ बदलते रहते हैं। उदाहरण के लिए यदि और में बातचीत हो रही है, जब बोलता है तो वह वक्ता है और श्रोता, जबकि जब बोलता है तो वह वक्ता है और श्रोता।

3.   सांस्कृतिक हस्तांतरण (Cultural Transmission) : भाषा के माध्यम से मानव समाज की संस्कृति एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को प्रदान की जाती है। मानव शिशु अपने समाज से भाषा सीखता है।
इसके विपरीत जैविक हस्तांतरण (biological transmission) की बात की जाती है। हमारे शरीर का आकार, रंग, अंगों का स्वरूप, चलने की क्रिया आदि जैविक हस्तांतरण है, जबकि भाषा, रहन-सहन, वस्त्र, हेयर-स्टाइल आदि सांस्कृतिक हस्तांतरण है।
4.   विविक्तता (Discreteness) : संप्रेषण के लिए किसी भी व्यक्ति द्वारा वाक्य’ (स्तर की इकाई) का प्रयोग किया जाता है। किंतु इसे छोटी इकाइयों में तोड़ा जा सकता है। भाषा की यह विशेषता विविक्तता कहलाती है। बोलते समय वक्ता लगातार बोलता रहता है। यदि उसके वक्तव्य को मशीन द्वारा व्यक्त की जाने वाली ध्वनि तरंगों में देखा जाए तो वे क्रमशः बढ़ती हुई दिखाई पड़ेंगी। उनमें यह अंतर कर पाना मुश्किल होगा कि कौन-सा शब्द कहाँ आरंभ हुआ है और कहाँ समाप्त हुआ है। किंतु हमारे कानों द्वारा जब वे तरंगे हमारे मस्तिष्क में जाती हैं तो बड़ी सरलता से हमारा मस्तिष्क उनमें से प्रत्येक शब्द और ध्वनि को अलग-अलग पहचान लेता है। छोटी इकाइयों में खंडित कर लेने की यही विशेषता विविक्तता कहलाती है।
5.   विस्थापन (Displacement) : भाषा में समय और स्थान से दूर भी बात करने की सुविधा है। अर्थात हम आज (किसी समय विशेष में) बैठकर उससे पहले या बाद के समय की बात कर सकते हैं, जैसे
·      2014 में 1945 या 2150 की बात करना।
यही बात स्थान के संदर्भ में देखी जा सकती है-
·      भारत में रहते हुए अमेरिका की बात करना।
इसे किसी अन्य माध्यम से तुलनात्मक रूप में अधिक सरलता से समझ सकते हैं, जैसे- आँखों द्वारा देखने की क्रिया। हम अपनी आँखों से केवल जिस समय में जिस स्थान पर रहते हैं, उसी समय में उसी स्थान की चीजें देख पाते हैं।
इसके विपरीत भाषा हमें सुविधा प्रदान करती है कि हम कभी भी कहीं भी रहते हुए किसी और समय या स्थान की बातचीत कर सकते हैं, भले ही वह हमारे समक्ष हो या न हो।
6.   उत्पादकता (Productivity) : भाषा में एक नियम के माध्यम से अनेक वाक्यों का निर्माण किया जा सकता है, जैसे-
संज्ञा पदबंध (NP) + क्रिया पदबंध (VP) = वाक्य (S)
राम               + जाता है           = राम जाता है।
लड़का           + जाता है           = लड़का जाता है।
राम               + खाता है          = राम खाता है।
राम               + जाता था         = राम जाता था।
भाषा की यही विशेषता उत्पादकता कहलाती है। इसके संदर्भ में प्रजनक भाषाविज्ञान के जनक नोऑम चॉम्स्की (1957) ने कहा है-
भाषा सीमित नियमों के माध्यम से असीमित वाक्यों को प्रजनित करने वाली व्यवस्था है।
इसे हम इस प्रकार से समझ सकते हैं कि किसी भी मानव भाषा में 40 से 100 के बीच ध्वनियाँ होती हैं, किंतु उन्हें मिलाकर लाखों शब्द बनाए जाते हैं। इसी प्रकार किसी भाषा में 10 लाख शब्द मान लिए जाएँ तो उन्हें मिलाकर करोड़ों वाक्य बनाए जा सकते हैं। भाषा की यही विशेषता उत्पादकता है।

अतः मानव भाषा अन्य प्राणियों द्वारा प्रयुक्त संकेत व्यवस्थाओं से बहुत अधिक विकसित है।
इस प्रकार के अन्य अभिलक्षण निम्नलिखित हैं

1.   Vocal-Auditory Channel

2. Broadcast Transmission and Directional Reception

3.   Transitoriness

4.   Total Feedback

5.   Specialization

6.   Semanticity



7.   Duality of Patterning

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