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Thursday, February 6, 2020

भाषा सार्वभौमता का सिद्धांत (Theory of Language Universals)

भाषा सार्वभौमता का सिद्धांत (Theory of Language Universals)
चॉम्स्की ने भाषा सार्वभौम की बात की है। इसके कारणों की ओर संकेत करते हुए उन्होंने कहा है कि सभी मानव शिशु एक निश्चित समयावधि में भाषा का अर्जन करते हैं। वह समयावधि सभी भाषाओं के लिए लगभग एक समान (01 से 03 वर्ष) है। इसी प्रकार किसी भाषायी समाज के बच्चे को किसी भी भाषायी समाज में रख देने पर वह उसी समाज की भाषा को बिना किसी बाधा के सीख लेता है।
इस प्रकार की बातें इस ओर संकेत करती हैं कि सभी मानव भाषाओं में अत्यंत गहन स्तर पर समानता है। अर्थात गहनता के किसी स्तर पर सभी भाषाओं के अमूर्तीकृत नियम एक जैसे हैं। उस प्रकार के अमूर्त नियमों की व्यवस्था को लेकर ही मानव शिशु जन्म लेता है और वह जिस भाषायी परिवेश में रहता है, उसी परिवेश की भाषा सीख लेता है।
चॉम्स्की द्वारा इस अवधारणा को भाषा अर्जन युक्ति (Language Acquisition Device- LAD) से जोड़कर भी देखा गया है। इस अवधारणा के प्रतिपादन के बाद भाषा सार्वभौमों (Language Universals) की दिशा में कई में कई विद्वानों द्वारा कार्य किया गया है। 

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