उच्च शिक्षा वाले केंद्रीय संस्थानों में ओबीसी की आधी से ज़्यादा सीटें ख़ाली: रमेश पोखरियाल निशंक
BBC विशेष
केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि देश के उच्च शिक्षा के केंद्रीय संस्थानों में आरक्षित श्रेणी के कितने-कितने पद ख़ाली हैं.
शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि उच्च शिक्षा वाले केंद्रीय संस्थानों में अन्य पिछड़ी जाति यानी ओबीसी के लिए आरक्षित अध्यापकों की आधी से ज़्यादा सीटें ख़ाली हैं तो वहीं एससी-एसटी यानी अनुसूचित जाति और जनजाति श्रेणी में 40 फ़ीसदी सीटें ख़ाली हैं.
तीन कांग्रेस सांसदों ने इस पर उनसे सवाल पूछा था, जिसका उन्होंने जवाब दिया.
इनसे अलग प्रबंधन के लिए बेहद प्रसिद्ध भारतीय प्रबंधन संस्थान यानी आईआईएम में 60 फ़ीसदी से अधिक ओबीसी और एससी श्रेणी के पद ख़ाली हैं. वहीं, अनुसूचित जनजाति (एसटी) के 80 फ़ीसदी से अधिक आरक्षित पदों पर कोई नियुक्ति नहीं हुई है.
इसका अर्थ है कि एसटी के लिए आरक्षित 24 पदों में से सिर्फ़ पाँच पर नियुक्ति हुई है.
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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) ने केवल ग़ैर-अध्यापक पदों का आँकड़ा मुहैया कराया है. ऐसा माना जा रहा है कि आईआईटी और आईआईएम अपने यहाँ शिक्षकों के कोटे की सीमा में छूट देने की सिफ़ारिश कर रहा है.
प्रोफ़ेसर के पद हैं सबसे अधिक ख़ाली
कांग्रेस सांसद एन. उत्तम कुमार रेड्डी के सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री निशंक ने कहा कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफ़ेसर के पद सबसे अधिक ख़ाली हैं.
42 विश्वविद्यालयों में एसटी के लिए आरक्षित 709 असिस्टेंट प्रोफ़ेसर के पदों में से 500 भर चुके हैं. अगर प्रोफ़ेसरों के पद की बात करें तो एसटी के लिए आरक्षित 137 पदों में से सिर्फ़ 9 ही भरे हैं. इसका अर्थ हुआ कि 93% अब भी ख़ाली हैं.
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https://www.bbc.com/hindi/india-56411055
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