नव-ग्राइसियन प्रकरणार्थविज्ञान (neo-Gricean Pragmatics)
ग्राइस के बाद काम करने वाले विद्वानों में Larry Horn और Levinson का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। इनके द्वारा प्रकरणार्थविज्ञान (Pragmatics) संबंधी दी गई अवधारणाओं को इस प्रकार से देख सकते हैं-
Larry Horn: इनके अनुसार दो लोगों के बात करते समय वार्ता का संतुलित होना आवश्यक है। इस संबंध में हॉर्न द्वारा दो सिद्धांत दिए गए हैं-
The Q-principle – पर्याप्त बोलें। ( “Say enough” )
The R-Principle – बहुत अधिक न बोलें (“Don’t say too much”)
Levinson : Levinson द्वारा वार्ता के संदर्भ में तीन सिद्धांत (Principles) दिए गए हैं, जो वक्ता और श्रोता दोनों की दृष्टि से महत्व रखते हैं -
Q-Principle: This principle can be summarized in the slogan ‘What is not said is not the case’.
I-Principle: This principle can be summarized in the slogan ‘What isn’t said is the obvious’ (Levinson 1987b) or, less perspicuously, ‘What is simply described is stereotypically and specifically exemplified’ (Levinson 1995).
The M-Principle: This principle can be summarized in the slogan ‘Marked or more prolix expressions warn of an abnormal situation’.
संदर्भ-
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