कृत्रिम बुद्धि के स्तर (Levels of Artificial intelligence)
दैनिक भास्कर से साभार
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AI के 3 स्तर और उनमें अंतर भी जान लीजिए...
1- ANI यानी आर्टिफिशियल नैरो इंटेलिजेंस
- फिलहाल हम अभी इसी मशीनी इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी क्षमताएं सीमित हैं, किसी एक खास टास्क को अंजाम दे सकती हैं।
- नैरो इंटेलिजेंस ढेर सारे डेटा का एनालिसिस करती है, उसमें कोई पैटर्न खोजती है, फिर उसके आधार पर आगे का अंदाजा लगाकर काम करती है।
- अभी यह इंजीनियर्स की प्रोग्रामिंग और एल्गोरिदम के मुताबिक काम करती है। इंजीनियर्स की ओर से उसमें फीड किए गए नियमों को मानती है।
- हमारे स्मार्टफोन, टीवी, सेल्फ ड्राइविंग कार, सीरी व एलेक्सा जैसे चैटबॉट, फोटो व चेहरे को पहचानने वाला सिस्टम इसी नैरो इंटेलिजेंस की देन है।
- ईमेल से स्पैम छांटने, आवाज पहचानने में मोबाइल की मदद करने व कैंसर के लिए एक्सरे की स्कैनिंग करने जैसे काम नैरो इंटेलिजेंस ही कर रही है।
2- AGI यानी आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस
- AGI इंसान के दिमाग की तरह काम करेगी। इसके पास हमारी तरह सोचने, समझने और काम करने की क्षमता होगी। इसपर काम चल रहा है।
- जब बच्चा बहुत छोटा होता है, तो वह आसपास की चीजें देखता है, अनुभव करता है, उनसे सीखता है, फिर हर परिस्थिति में अलग-अलग फैसले लेता है।
- बच्चे की तरह यह ताकतवर AI भी अपने अनुभवों से लगातार सीखती रहेगी, जानकारी बढ़ाकर व स्किल्स तराशकर खुद को और एडवांस बनाएगी।
- AGI तर्क कर सकेगी। हालात का निरीक्षण कर उसके मुताबिक काम कर सकेगी, फिर भले ही उसे इंजीनियर्स की ओर से तय सीमाएं तोड़नी पड़ें।
- AGI में खुद की चेतना होगी, कॉमन सेंस होगा। वह इंसानों की भावनाओं, जरूरतों को पढ़ सकेगी यानी उसमें इंसानों को समझने की क्षमता होगी।
- हॉलीवुड की टर्मिनेटर फिल्म सीरीज में अर्नोल्ड श्वार्जनेगर जिस रोबोट का किरदार निभाते रहे हैं, उसकी इंटेलिजेंस AGI स्तर की ही है।
3- ASI यानी आर्टिफिशियल सुपर इंटेलिजेंस
- ASI में इंसानों के दिमाग से भी ज्यादा क्षमताएं होंगी, जिसके बूते मशीनें लगभग हर लिहाज से इंसानों से ज्यादा ताकतवर, काबिल बन सकेंगी।
- इस स्तर की इंटेलिजेंस फिलहाल साइंस फिक्शन में ही है। सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म ‘रोबोट’ में ‘चिट्टी’ की तरह तब मशीनें बहुत पावरफुल होंगी।
- इस स्तर पर मशीनों में भी भावनाएं होंगी, वह प्यार और दर्द महसूस कर सकेंगी। इंसानों की तरह उनके भीतर भी संवेदनाएं होंगी, सोचने की क्षमता होगी।
- ASI के बूते मशीनों में खुद के विश्वास और इच्छाएं भी हो सकती हैं। वह गणित से लेकर विज्ञान, आर्ट्स, खेल तक हर क्षेत्र में इंसानों से बेहतर होंगी।
- मशीनों की ऐसी क्षमताएं हासिल कर लेने के बाद उन्हें कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। इसी कारण उन्हें इंसानों के अस्तित्व पर खतरा माना जा रहा है।
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