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Thursday, August 25, 2022

कृत्रिम बुद्धि के स्तर (Levels of Artificial intelligence)

 कृत्रिम बुद्धि के स्तर (Levels of Artificial intelligence)

दैनिक भास्कर से साभार 

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https://www.bhaskar.com/women/news/sending-a-photo-of-infection-in-the-childs-private-parts-to-the-doctor-is-a-crime-artificial-intelligence-becomes-vicious-130233938.html

AI के 3 स्तर और उनमें अंतर भी जान लीजिए...

1- ANI यानी आर्टिफिशियल नैरो इंटेलिजेंस

  • फिलहाल हम अभी इसी मशीनी इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसकी क्षमताएं सीमित हैं, किसी एक खास टास्क को अंजाम दे सकती हैं।
  • नैरो इंटेलिजेंस ढेर सारे डेटा का एनालिसिस करती है, उसमें कोई पैटर्न खोजती है, फिर उसके आधार पर आगे का अंदाजा लगाकर काम करती है।
  • अभी यह इंजीनियर्स की प्रोग्रामिंग और एल्गोरिदम के मुताबिक काम करती है। इंजीनियर्स की ओर से उसमें फीड किए गए नियमों को मानती है।
  • हमारे स्मार्टफोन, टीवी, सेल्फ ड्राइविंग कार, सीरी व एलेक्सा जैसे चैटबॉट, फोटो व चेहरे को पहचानने वाला सिस्टम इसी नैरो इंटेलिजेंस की देन है।
  • ईमेल से स्पैम छांटने, आवाज पहचानने में मोबाइल की मदद करने व कैंसर के लिए एक्सरे की स्कैनिंग करने जैसे काम नैरो इंटेलिजेंस ही कर रही है।

2- AGI यानी आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस

  • AGI इंसान के दिमाग की तरह काम करेगी। इसके पास हमारी तरह सोचने, समझने और काम करने की क्षमता होगी। इसपर काम चल रहा है।
  • जब बच्चा बहुत छोटा होता है, तो वह आसपास की चीजें देखता है, अनुभव करता है, उनसे सीखता है, फिर हर परिस्थिति में अलग-अलग फैसले लेता है।
  • बच्चे की तरह यह ताकतवर AI भी अपने अनुभवों से लगातार सीखती रहेगी, जानकारी बढ़ाकर व स्किल्स तराशकर खुद को और एडवांस बनाएगी।
  • AGI तर्क कर सकेगी। हालात का निरीक्षण कर उसके मुताबिक काम कर सकेगी, फिर भले ही उसे इंजीनियर्स की ओर से तय सीमाएं तोड़नी पड़ें।
  • AGI में खुद की चेतना होगी, कॉमन सेंस होगा। वह इंसानों की भावनाओं, जरूरतों को पढ़ सकेगी यानी उसमें इंसानों को समझने की क्षमता होगी।
  • हॉलीवुड की टर्मिनेटर फिल्म सीरीज में अर्नोल्ड श्वार्जनेगर जिस रोबोट का किरदार निभाते रहे हैं, उसकी इंटेलिजेंस AGI स्तर की ही है।

3- ASI यानी आर्टिफिशियल सुपर इंटेलिजेंस

  • ASI में इंसानों के दिमाग से भी ज्यादा क्षमताएं होंगी, जिसके बूते मशीनें लगभग हर लिहाज से इंसानों से ज्यादा ताकतवर, काबिल बन सकेंगी।
  • इस स्तर की इंटेलिजेंस फिलहाल साइंस फिक्शन में ही है। सुपरस्टार रजनीकांत की फिल्म ‘रोबोट’ में ‘चिट्‌टी’ की तरह तब मशीनें बहुत पावरफुल होंगी।
  • इस स्तर पर मशीनों में भी भावनाएं होंगी, वह प्यार और दर्द महसूस कर सकेंगी। इंसानों की तरह उनके भीतर भी संवेदनाएं होंगी, सोचने की क्षमता होगी।
  • ASI के बूते मशीनों में खुद के विश्वास और इच्छाएं भी हो सकती हैं। वह गणित से लेकर विज्ञान, आर्ट्स, खेल तक हर क्षेत्र में इंसानों से बेहतर होंगी।
  • मशीनों की ऐसी क्षमताएं हासिल कर लेने के बाद उन्हें कंट्रोल करना मुश्किल हो जाएगा। इसी कारण उन्हें इंसानों के अस्तित्व पर खतरा माना जा रहा है।

AI का जीतने के लिए इंसानों से धोखाधड़ी करना

इंसानों के साथ वीडियो गेम खेलने के दौरान AI

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