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Thursday, September 5, 2024

न्यूरोभाषाविज्ञान : परिचय (Neurolinguistics : An Introduction)

 

न्यूरोभाषाविज्ञान मानव मस्तिष्क के उन न्यूरॉन तंत्रों (neural mechanisms) का अध्ययन करता है जो भाषा के बोध (comprehension), अर्जन (acquisition) और उत्पादन (production) को नियंत्रित करते हैं। मानव मस्तिष्क मनुष्य के भाषा-ज्ञान और भाषा-व्यवहार दोनों का आधार है। न्यूरॉन मानव मस्तिष्क की वे कोशिकाएँ हैं जिनमें ज्ञान एवं सूचना का संचयन और संसाधन होता है। न्यूरॉन तंत्र के का कार्य न्यूरोविज्ञान (Neurology) में किया जाता है। यह मुख्यत: चिकित्साविज्ञान का एक क्षेत्र है जो मानव मस्तिष्क में न्यूरॉनों के प्रकार्य, प्रणाली आदि में अनियमितताओं का अध्ययन करता है। इसी क्रम में न्यूरोभाषाविज्ञान एक नया उपक्षेत्र है जो मानव मस्तिष्क के भाषा संसाधन वाले पक्ष का अध्ययन विश्लेषण करता है। इसमें मानव मस्तिष्क में होने वाली भाषा संबंधी अनियमितताओं के विश्लेषण एवं उनके उपचार से संबंधित कार्य किया जाता है। इस संबंध में प्रो. शशिभूषण शितांशु (2012) ने इसे तंत्रिका भाषाविज्ञान नाम देते हुए अपनी पुस्तक अद्यतन भाषाविज्ञान में कहा है, “तंत्रिका भाषाविज्ञान, भाषाविज्ञान का एक नव्यतम प्रकार है। वस्तुत: यह भाषारोगविज्ञान से संबंधित भाषाविज्ञान है। वहाँ रोग-विषयक भाषावैज्ञानिक अभिगम (एप्रोच) की बात होती है, जहाँ भाषा-विकार होता है या उससे उत्पन्न भाषिक रुग्णता सामने आती है। वहाँ यह अभिगम भाषा-विकारों का उपचार करता है।” इसके मूल अध्ययन क्षेत्र को परिभाषित करते हुए विकिपेडिया में कहा गया है – “Neurolinguistics is the study of the neural mechanisms in the human brain that control the comprehension, production, and acquisition of language.”

न्यूरोभाषाविज्ञान कई दूसरे विज्ञानों से जुड़ा हुआ है। एक अंतरानुशासनिक ज्ञानक्षेत्र (interdisciplinary discipline) के रूप में यह कई दूसरे ज्ञानक्षेत्रों से अपने आप को संबंधित करते हुए अपनी पद्धति (methodology) और सिद्धांत (theory) का विकास करता है। कई क्षेत्रों से संबंधित होने के कारण इस विषय में शोधकर्ताओं द्वारा विविध प्रायोगिक तकनीकों (Variety of experimental techniques) का प्रयोग किया जाता है। इसमें उन्हें कई पृष्ठभूमियों का लाभ प्राप्त होता है। न्यूरोभाषाविज्ञान में अधिकांश कार्य मनोभाषाविज्ञान और सैद्धांतिक भाषविज्ञान से प्राप्त मॉडलों के आधार पर हुआ है। इसमें मुख्य फोकस इस बात का परीक्षण करने में होता है कि मनोभाषाविज्ञान द्वारा प्रस्तावित भाषा के बोधन और उत्पादन से संबंधित प्रक्रियाओं का मस्तिष्क द्वारा कैसे अनुप्रयोग (implementation) किया जाता है। न्यूरॉन मानव मस्तिष्क की क्रियाओं (activities) के कारक होते हैं। न्यूरोभाषाविज्ञान उन शरीरक्रियात्मक तंत्रों (physiological mechanisms) का अध्ययन करता है जिनके द्वारा मस्तिष्क भाषा से संबंधित सूचनाओं को संसाधित करता है। इसके साथ ही यह भाषावैज्ञानिक और मनोभाषावैज्ञानिक सिद्धांतों का aphasiology, brain imaging, electrophysiology, और computer modeling के आधार पर  परीक्षण करता है।

ऐतिहासिक दृष्टि से न्यूरोभाषाविज्ञान का मूल अफेजियाविज्ञान (aphasiology) में है जो मस्तिष्क क्षति (brain damage) से उत्पन्न भाषिक व्याधियों का अध्ययन है। 19 वीं सदी में सर्वप्रथम पॉल ब्रोका (Paul Broca) ने भाषा संसाधन से संबंधित विशेष मस्तिष्क क्षेत्र (particular brain area) को चिह्नित किया। इसे उनके ही नाम पर ब्रोका क्षेत्र के नाम से जाना गया। इसके बाद कार्ल वारनिके (Carl Wernicke) ने एक दूसरे क्षेत्र को चिह्नित किया जिसे वारनिके क्षेत्र नाम दिया गया। ब्रोका क्षेत्र वाक् उत्पादन (speech production) से संबंधित है। मानव मस्तिष्क के चित्र में ये क्षेत्र इस प्रकार प्राप्त होते हैं:-



       चित्र 1.0

इसके बाद किए गए कार्यों में कॉर्बिनियन ब्राडमैन (Korbinian Brodman) का कार्य महत्वपूर्ण है जिन्होंने मस्तिष्क के सतह (surface of brain) का संख्यात्मक क्षेत्रों (numbered areas) में विभाजन करते हुए मापन किया। इनमें से प्रत्येक क्षेत्र अपनी कोशिकीय-रचना (cytoarchitecture/cell structure) और प्रकार्य (fuction) पर आधारित है। इन क्षेत्रों को ब्राडमैन क्षेत्र के नाम से जाना जाता है। इनका न्यूरोभाषाविज्ञान में विस्तृत रूप से प्रयोग किया गया है। आधुनिक समय में न्यूरोभाषाविज्ञान (neurolinguistics) शब्द को हैरी व्हिटेकर (Harry Whitaker) से जोड़कर देखा जाता है जिन्होंने ‘journal of neurolinguistics’ को 1985 में स्थापित किया।

न्यूरोभाषाविज्ञान की विषयवस्तु (Scope of Neurolinguistics)

 न्यूरोभाषाविज्ञान की विषयवस्तु

 न्यूरोभाषाविज्ञान के अंतर्गत भाषा और मानव मस्तिष्क से जुड़े कुछ प्रश्नों का उत्तर ढूढ़ने का प्रयास किया जाता जाता है; जैसे- भाषिक सूचनाएँ मस्तिष्क में कहाँ संसाधित होती हैं? भाषा संसाधन मस्तिष्क में किस प्रकार घटित होता है? मस्तिष्क संरचनाएँ किस प्रकार भाषा अर्जन और भाषा अधिगम से जुड़ी हुई हैं? आदि। इसके लिए न्यूरोभाषाविज्ञान में मानव मस्तिष्क का न्यूरोशरीरशास्त्रीय (neurophysiological) विश्लेषण किया जाता है और विविध पक्षों पर प्रकाश डाला जाता है। इसे निम्नलिखित शीर्षकों के द्वारा समझा जा सकता है:

(1)  भाषा संसाधन का क्षेत्र निर्धारण (Localization of Language processing):- न्यूरोभाषाविज्ञान में मानव मस्तिष्क में भाषा से संबंधित विशिष्ट स्थानों (specific locations) का परीक्षण और विश्लेषण एक प्रमुख कार्य है। आरंभ में ब्रोका और वरनिके क्षेत्रों के निर्धारण के कार्य ने इसे आधार प्रदान किया। इसमें मुख्यतः इन बातों को देखा जाता है कि भाषिक सूचनाओं के संसाधन के समय मानव मस्तिष्क में कौन सी गतिविधियाँ होती हैं? क्या किसी विशेष प्रकार कि सूचना का संसाधन मस्तिष्क के किसी विशेष क्षेत्र में किया जाता है? भाषिक सूचनाओं के संसाधन के समय मस्तिष्क के भिन्न-भिन्न क्षेत्र किस प्रकार अंतरक्रिया (interaction) करते हैं? और किसी व्यक्ति द्वारा मातृभाषा के अतिरिक्त दूसरी भाषा का व्यवहार करने पर किस प्रकार मस्तिष्क के सक्रिय भाग में परिवर्तन होता है। इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर स्वरूप किए जाने वाले शोधकार्यों द्वारा मानव मस्तिष्क में संसाधन के क्षेत्र निर्धारण का कार्य होता है।

(2)  भाषा अर्जन (Language Acquisition):- न्यूरोभाषाविज्ञान मानव मस्तिष्क और भाषा अर्जन के बीच संबंधों को देखता है। भाषा अर्जन से संबंधित सामान्य शोधकार्यों में शिशु में भाषा विकास संबंधी चरणों की बात की गई है; जैसे- बबलाना, एक शब्दीय उच्चारण आदि। न्यूरोभाषावैज्ञानिक शोधकार्यों में भाषा विकास के चरणों और मस्तिष्क विकास के चरणों के बीच संबंधों को देखने का प्रयास किया गया है। कुछ अन्य शोध कार्यों में उन भौतिक परिवर्तनों का भी परीक्षण किया जाता है। जिनसे द्वितीय भाषा अर्जन (Second Language Acquisition) के दौरान मानव मस्तिष्क  गुजरता है। इसे neuroplasticity नाम दिया गया है।

(3)  भाषा चिकित्सा (Language pathology) :-  न्यूरोभाषावैज्ञानिक तकनीकों का प्रयोग भाषा संबंधी व्याधियों जैसे:- अफेजिया, डिसलेक्सिया आदि के अध्ययन में किया जाता है। इसमें मस्तिष्क की भौतिक विशेषताओं से इनके संबंध को भी देखा जाता है।

(4)  मस्तिष्क चित्रण (Brain Imaging) :- भाषावैज्ञानिक और मनोभाषावैज्ञानिक मॉडलों के परीक्षण के लिए न्यूरोभाषाविज्ञान में मस्तिष्क चित्रण पद्धतियों का उपयोग किया जाता है। इन पद्धतियों को मुख्यतः दो वर्गों में रखा जा सकता है:

(क)  रक्तसक्रिय/हीमोडायनेमिक (hemodynamic)

(ख) विद्युतदैहिक/इलेक्ट्रोफिजिओलोजिकल (electrophysiological)

 (क) हीमोडायनेमिक (hemodynamic):- मस्तिष्क चित्रण की यह तकनीक इस तथ्य के आधार पर कार्य करती है कि जब मस्तिष्क का कोई विशिष्ट भाग किसी कार्य को करता है तो उस क्षेत्र में ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए रक्त भेज दिया जाता है। मस्तिष्क में होने वाली इस प्रकार की क्रियाओं के दौरान परीक्षण से प्राप्त संकेतों और चित्रों को Blood Oxygen Level-Dependent (BOLD) रिस्पांस कहा गया है। PET (Poistron Emission Tomography), और FMRI (Functional Magnetic Resonance Imaging) आदि तकनीकों द्वारा इस प्रकार का परीक्षण किया जाता है।

 (ख) इलेक्ट्रोफिजिओलोजिकल (electrophysiological):- इलेक्ट्रोफिजिओलोजिकल तकनीकों में इस बात (तथ्य) को आधार बनाया जाता है कि जब न्यूरानों का समूह एक साथ छूटता है तब वे एक विद्युतिक द्विध्रुव (electric dipole) या धारा का निर्माण करते हैं। EEG (Electroen cephalography) और MEG (Magnetoencephalography) इसकी दो प्रमुख तकनीकें हैं। ईईजी में खोपड़ी पर लगे इलेक्ट्रोडों की सहायता से मस्तिष्क के विद्युत क्षेत्रों को मापा जाता है और MEG में मस्तिष्क के प्रक्षेत्र की विद्युतिक गतिविधि (electrical activity) द्वारा निर्मित चुम्बकीय क्षेत्रों का मापन अतिसंवेदनशील युक्तियों (extremely sensitive devices) द्वारा किया जाता है।

न्यूरोभाषाविज्ञान में भाषा संसाधन का क्षेत्र निर्धारण (Localization of Language processing in Neurolinguistics)

                     न्यूरोभाषाविज्ञान में मानव मस्तिष्क में भाषा से संबंधित विशिष्ट स्थानों (specific locations) का परीक्षण और विश्लेषण एक प्रमुख कार्य है। आरंभ में ब्रोका और वरनिके क्षेत्रों के निर्धारण के कार्य ने इसे आधार प्रदान किया। इसमें मुख्यतः इन बातों को देखा जाता है कि भाषिक सूचनाओं के संसाधन के समय मानव मस्तिष्क में कौन सी गतिविधियाँ होती हैं? क्या किसी विशेष प्रकार कि सूचना का संसाधन मस्तिष्क के किसी विशेष क्षेत्र में किया जाता है? भाषिक सूचनाओं के संसाधन के समय मस्तिष्क के भिन्न-भिन्न क्षेत्र किस प्रकार अंतरक्रिया (interaction) करते हैं? और किसी व्यक्ति द्वारा मातृभाषा के अतिरिक्त दूसरी भाषा का व्यवहार करने पर किस प्रकार मस्तिष्क के सक्रिय भाग में परिवर्तन होता है। इस प्रकार के प्रश्नों के उत्तर स्वरूप किए जाने वाले शोधकार्यों द्वारा मानव मस्तिष्क में संसाधन के क्षेत्र निर्धारण का कार्य होता है।

neuroplasticity

            न्यूरोभाषाविज्ञान मानव मस्तिष्क और भाषा अर्जन के बीच संबंधों को देखता है। भाषा अर्जन से संबंधित सामान्य शोधकार्यों में शिशु में भाषा विकास संबंधी चरणों की बात की गई है; जैसे- बबलाना, एक शब्दीय उच्चारण आदि। न्यूरोभाषावैज्ञानिक शोधकार्यों में भाषा विकास के चरणों और मस्तिष्क विकास के चरणों के बीच संबंधों को देखने का प्रयास किया गया है। कुछ अन्य शोध कार्यों में उन भौतिक परिवर्तनों का भी परीक्षण किया जाता है। जिनसे द्वितीय भाषा अर्जन (Second Language Acquisition) के दौरान मानव मस्तिष्क  गुजरता है। इसे neuroplasticity नाम दिया गया है। 

न्यूरोभाषाविज्ञान और मस्तिष्क चित्रण (Neurolinguistics and Brain Imaging)

 भाषावैज्ञानिक और मनोभाषावैज्ञानिक मॉडलों के परीक्षण के लिए न्यूरोभाषाविज्ञान में मस्तिष्क चित्रण पद्धतियों का उपयोग किया जाता है। इन पद्धतियों को मुख्यतः दो वर्गों में रखा जा सकता है:

(क)  रक्तसक्रिय/हीमोडायनेमिक (hemodynamic)

(ख) विद्युतदैहिक/इलेक्ट्रोफिजिओलोजिकल (electrophysiological)

 (क) हीमोडायनेमिक (hemodynamic):- मस्तिष्क चित्रण की यह तकनीक इस तथ्य के आधार पर कार्य करती है कि जब मस्तिष्क का कोई विशिष्ट भाग किसी कार्य को करता है तो उस क्षेत्र में ऑक्सीजन की पूर्ति के लिए रक्त भेज दिया जाता है। मस्तिष्क में होने वाली इस प्रकार की क्रियाओं के दौरान परीक्षण से प्राप्त संकेतों और चित्रों को Blood Oxygen Level-Dependent (BOLD) रिस्पांस कहा गया है। PET (Poistron Emission Tomography), और FMRI (Functional Magnetic Resonance Imaging) आदि तकनीकों द्वारा इस प्रकार का परीक्षण किया जाता है।

 (ख) इलेक्ट्रोफिजिओलोजिकल (electrophysiological):- इलेक्ट्रोफिजिओलोजिकल तकनीकों में इस बात (तथ्य) को आधार बनाया जाता है कि जब न्यूरानों का समूह एक साथ छूटता है तब वे एक विद्युतिक द्विध्रुव (electric dipole) या धारा का निर्माण करते हैं। EEG (Electroen cephalography) और MEG (Magnetoencephalography) इसकी दो प्रमुख तकनीकें हैं। ईईजी में खोपड़ी पर लगे इलेक्ट्रोडों की सहायता से मस्तिष्क के विद्युत क्षेत्रों को मापा जाता है और MEG में मस्तिष्क के प्रक्षेत्र की विद्युतिक गतिविधि (electrical activity) द्वारा निर्मित चुम्बकीय क्षेत्रों का मापन अतिसंवेदनशील युक्तियों (extremely sensitive devices) द्वारा किया जाता है।


न्यूरोभाषाविज्ञान में भाषाविज्ञान और मनोभाषाविज्ञान (Linguistics and Psycholinguistics in Neurolinguistics)

न्यूरोभाषाविज्ञान में मुख्यतः मनोभाषाविज्ञान और भाषाविज्ञान द्वारा भाषा और मानव मस्तिष्क के संबंध में दिए गए सिद्धांतों के परीक्षण (testing) और मूल्यांकन (evaluation) का कार्य किया जाता है। सैद्धांतिक भाषाविज्ञान भाषा संरचना एवं भाषा सूचना (language information) के संगठन से संबंधित व्याख्यात्मक मॉडलों को प्रस्तावित करता है। मनोभाषाविज्ञान भाषा सूचना कैसे मस्तिष्क में संसाधित होती है, के व्याख्यायक मॉडलों को प्रस्तावित करता है। न्यूरोभाषाविज्ञान में इस बात के लिए मस्तिष्क क्रियात्मकता (brain activity) का परीक्षण किया जाता है कि मस्तिष्क की जैविक संरचनाओं (biological structures of brain) जैसे:- न्यूरान्स, में मनोभाषावैज्ञानिक मॉडलों का संसाधन किस प्रकार किया जाता है।

इस प्रकार न्यूरोभाषाविज्ञान न्यूरोविज्ञान और भाषाविज्ञान के योग से बना एक अंतरानुशासनिक ज्ञानक्षेत्र है जिसमें अध्ययन एवं विश्लेषण हेतु भाषावैज्ञानिक ज्ञान का उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त इसमें मनोभाषाविज्ञान की भी आवश्यकता होती है। इसे Elisabeth Atudies के शब्दों में भी देख सकते हैं,Neurolinguistics studies the relation of language and communication to different aspects of brain function, in other words it tries to explore how the brain understand and produces language and communication. This involves attempting to combine neurological/neurophysiological theory (how the brain is structured and how it functions) with linguistic theory (how language is structured and how it functions). Aspart from neurology and linguistics, psychology is another central source discipline for neurolinguistics.