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Wednesday, May 1, 2024

NTL fellowship CIIL मैसूर


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https://apply.ciil.org/single_jobs/196

Monday, April 29, 2024

स्थिति निर्देश (Deixis)

 स्थिति निर्देशक तत्व (Deixis) – इसके अंतर्गत वे प्रयोग आते हैं, जिनके संदर्भार्थ पाठ के बाहर उक्ति के कथन के समय और परिवेश में होते हैं। इनके भी तीन भेद किए जाते हैं-

·      व्यक्ति निर्देश (person) : मैंतुमवहवे आदि। (वक्ताश्रोता या वहाँ को लोगों को सूचित करने के लिए प्रयुक्त।

·      स्थान निर्देश (place) : यहाँवहाँइधरउधर आदि।

·      समय निर्देश (time) : अबतबआजअगले दिन आदि।

Tuesday, April 23, 2024

प्री-फ्रंटल कार्टेक्स

 25 की उम्र में जलती दिमाग में नई बत्ती, प्री-फ्रंटल ब्रेन होता एक्टिव

इंसानी शरीर की बनावट भी मैच्योरिटी पर असर डाल सकती है। मनोवैज्ञानिक दिमाग के प्री-फ्रंटल कार्टेक्स को परिपक्वता से जोड़कर देखते हैं। ब्रेन का यह हिस्सा पूरी तरह विकसित होने में सबसे लंबा समय लेता है और 22-23 साल की उम्र तक जाकर पूरी तरह विकसित हो पाता है।

प्री-फ्रंटल कार्टेक्स (PFC) हायर कॉग्निटिव स्किल के साथ डिसिजन मेकिंग, तर्कशीलता, समझदारी, इंपल्स कंट्रोल और स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए जिम्मेदार होता है। दिमाग के इस हिस्से से सोचना शुरू करने के बाद इंसान भावुक की जगह तर्कशील हो जाता है। भावनाओं मे बहकर फैसले नहीं लेता। कुछ भी करने से पहले अपनी इच्छा-अनिच्छा, फायदे-नुकसान का गणित लगा पाता है।

जैसाकि हम जानते हैं कि प्री-फ्रंटल कार्टेक्स देर से विकसित होता है, लेकिन बच्चा बुनियादी इंस्टिक्टिव ब्रेन यानी सेरेबेलम के साथ ही जन्म लेता है। दिमाग का ये हिस्सा उसके नेचुरल इंस्टिंक्ट जैसे भूख लगने पर खाना मांगना, चोट लगने पर रोना के लिए जिम्मेदार होता है। इन्हें सीखने की जरूरत नहीं होती।

लेकिन 20 से 25 साल की उम्र में विकसित होने वाले प्री-फ्रंटल कार्टेक्स में अपनी कोशिशों से सीखी गई चीजें स्टोर होती हैं। दिमाग का यही हिस्सा मैच्योरिटी के लिए जिम्मेदार होता है।

दैनिक भास्कर से साभार

लिंक : https://www.bhaskar.com/lifestyle/news/relationship-partner-mature-or-immature-signs-132913315.html

Saturday, April 20, 2024

टैग और टैगसेट (Tag and Tagset)

 किसी पाठ में आए हुए शब्दों के साथ उनके शब्दवर्ग (Parts of Speech-POS) या रूप-वाक्यीय सूचनाएँ  (Morpho-Syntactic Information) जोड़ना टैगिंग (Tagging) है। वह टूल या सॉफ्टवेयर जो टैगिंग करता है, टैगर (Tagger) कहलाता है।  

टैगिंग करने के लिए शब्दों के स्वरूप और प्रकार्य के अनुसार उनके अलग-अलग वर्ग/उपवर्ग बनाए जाते हैं। फिर प्रत्येक वर्ग के लिए एक चिह्न निर्मित किया जाता है। इसी चिह्न को टैग (Tag) कहते हैं, जैसे- जातिवाचक संज्ञा के लिए ‘NN’

टैगों के समुच्चय को टैगसेट (Tagset) कहते हैं।

टैगिंग के लिए एक टैगसेट का होना आवश्यक होता है। प्रत्येक भाषा में कुछ शब्दवर्ग समान होते हैं। अतः उनके टैग एक ही होने चाहिए। किंतु भाषा विशेष में पाए जाने वाले शब्दवर्गों के लिए स्वतंत्र टैग बनाए जा सकते हैं। विभिन्न कार्पस विकासकर्ताओं और प्राकृतिक भाषा संसाधन प्रणाली (NLP System) विकासकर्ताओं द्वारा भाँति-भाँति के टैगसेट विकसित किए जाते हैं। उनमें यह प्रयास रहता है कि यथासंभव एकरूपता बनी रहे।

इस लिंक पर जाकर और पढ़ें- 

टैगिंग और टैगसेट (Tagging and Tagset)